एक ऐलोपैथिक डॉक्टर के भरोसे 300 मरीज
— शासन की अनदेखी बना रेहटी का सामुदायिक स्वास्थ्य
(बलराम सिसोदिया)
मध्यप्रदेश। प्रदेश के सीहोर जिले के रेहटी में शासन ने नगर को 30 बिस्तर वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो दे दिया लेकिन यहां विगत 10 वर्षों से यह एचएससी स्टाफ और डॉक्टर की कमीं से जूझ रहा है। वर्तमान में तो इस सरकारी अस्पताल के यह हाल हो गए हैं कि एक ऐलोपैथिक डॉक्टर के भरोसे 300 मरीज हैं। ऐसे में एकमात्र ऐलौपैथिक डाक्टर रात रात भर सो नही पा रहे हैं। जहां उन्हें एमएलसी के साथ पीएम भी करना पड़ता है। वहीं बैठकों में भी जाना पड़ता है। उनके सहयोग के लिए यहां दो आयूष डॉक्टर है। जो आयुष ईलाज के साथ ऐलोपैथिक ईलाज भी उन्हें करना पड़ रहा है। यहां की ओपोडी इन दिनों 300 से अधिक हो रही है। और यहां पदस्थ ऐलौपैथिक डॉक्टर मेहरबान सिंह को पूरे दिन मरीजों को देखने के साथ उन्हें एमएलसी और पीएम तथा बैठक में भी उन्हें जाना पड़ता है। उन्हें रात रात भर जागकर मरीजों को देखना पड़ रहा है। उनके सहयोग के लिए आयूष डाक्टर डॉ रामनाथ घुसिया, डॉ अनुकृति दुवे, आयुष ईलाज के साथ ऐलोपैथिक ईलाज भी मजबूरी में करना पड़ रहा है। यहां पदस्थ ऐलोपैथिकडॉक्टर डॉ एसके यादव का स्थांतरण हो गया था। लेकिन डॉक्टर की कमी के कारण उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने रिलीव नही किया। वह 5 नवंबर 2019 से 5 दिन की छुट्टी पर गए थे] लेकिन एक माह बीतने के बाद भी वह अपनी ड्यूटी पर नही आ सके हैं। ऐसे में अस्पताल का पूरा भार यहां के प्रभारी डॉ मेहरबान सिंह पर आ पड़ा है। उनके द्वारा सीएमएचओ सीहोर को भी पदस्थ भेजने का आवेदन दिया है। लेकिन यहां अभी तक एक डॉक्टर के भरोसे ही पूरा अस्पताल निर्भर हो गया है।
— अस्पताल में स्टाफ की भी कमी
जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ डाक्टर सहित ६ डॉक्टरों की नियुक्ति होना चाहिए वहां केवल एकमात्र डाक्टर ही नगर सहित आस-पास के 38 गांवों के मरीजों को संभालना पड़ रहा है। जब यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शासन ने दिया था। तब 30 बिस्तर वाला अस्पताल के साथ यहां 4 अन्य विशेषज्ञ डाक्टर की भी नियुक्ति 10 वर्ष पहले होना था। लेकिन इस अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर की नियुक्ति एक लंबे अरसे केबाद भी नही होना शासन लोगों के स्वास्थ्य के प्रति कितना सजग है। यह अनुमान रेहटी सरकारी अस्पताल से लगाया जा सकता है।
— स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डाक्टर का अपना दर्द…
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर मेहरबान सिंह ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि एक माह से में ठीक से सो नही पाया। मुझे ही एमएलसी पीएम और बैठक में जाना पड़ता है। रात्रि में इमरजेंसी आती है तो रात रात भर जागकर मरीजों की सेवा करना पड़ रहा है। मैं एक माह से ठीक से सो भी नही पाया हूं। जिला प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी अभी तक यहां दूसरा डाक्टर नही भेजना यह उचित नही है। वहीं अस्पताल स्टाफ की कमी से भी बर्षों से जूझ रहा है।