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मुख्यमंत्री के भरोसे ने चमत्कृत कर दिया भूपेन्द्र को

– सपने में भी नहीं सोचा था कि सीएम के ओएसडी जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी मिलेगी

– यूथ कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस में मीडिया उपाध्यक्ष रहे गुप्ता हैं पचोरी खेमे से

(कीर्ति राणा)

मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी के रूप में भूपेन्द्र गुप्ता की नियुक्ति जितनी कांग्रेसजनों को चौंकाने वाली है, उससे कहीं अधिक खुद भूपेन्द्र भी कमलनाथ के दिखाए इस विश्वास से चमत्कृत हैं। इसका कारण यह कि उन्होंने तो सपने में नहीं सोचा था कि सीएम उन्हें ओएसडी के रूप में अपने साथ रखेंगे।वे इस पद का दायित्व संभालने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।
उनसे पहले पूर्व पुलिस अधिकारी प्रवीण कक्कड़ को ओएसडी नियुक्त किया गया है। जहां तक भूपेन्द्र गुप्ता का सवाल है वे सागर के कट्टर कांग्रेसी परिवार से हैं।उनके पिता स्व डॉ गोपालकृष्ण स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नॉलाजी से बीई, बीटेक मैकेनिकल करने के बाद उद्योग विभाग में कुछ वक्त सहायक संचालक की नौकरी करने के बाद 1984 से युवक कांग्रेस में सक्रिय, संगठन महासचिव, सर्वे प्रकोष्ठ के संयोजक रहने के साथ ही सुरेश पचोरी, सुरेंद्र सिंह ठाकुर और मुकेश नायक के साथ प्रदेश युवक कांग्रेस में पदों पर रहने के बाद मप्र कांग्रेस में सचिव, प्रवक्ता और अभी चुनाव से पहले मीडिया विभाग में शोभा ओझा के साथ अभय दुबे, सईद जाफ़र और भूपेन्द्र गुप्ता ये तीनों उपाध्यक्ष रहे हैं।
मूल रूप से पचोरी खेमे से माने जाने वाले भूपेन्द्र ने सहजता, सौम्यता और विषय पर पकड़ जैसी खासियत से अपनी पहचान बनाई है।ओएसडी के रूप में उन्होंने ज्वाइन तो कर लिया है लेकिन कार्य तय होना है।उनका मानना है कमलनाथ जी का रोडमेप तय है नौजवानों को रोजगार, महिला-बेटियों की सुरक्षा, बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता और शिक्षा उन्नयन। चूँकि मैंने लंबे समय से कमलनाथ जी की वर्किंग को नजदीक से देखा है इसलिए जो भी दायित्व मिलेगा उसे करने में दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने मुझ पर भरोसा किया, इस दायित्व के काबिल समझा यह क्या कम है।वैसे भी वे सौम्यता की राजनीति करते हैं, दुश्मनी किसी से रखते नहीं। उनके जो घोषित दुश्मन हैं उनसे कांग्रेस ही नहीं बाकी दल भी सहमत ही रहेंगे। कौन नहीं चाहेगा कि कुपोषण मिटे, गरीबी दूर हो, अशिक्षित दूर हो, अदक्षता दूरहो, समाज भ्रष्टाचार मुक्त हो-ये सारी बुराइयां ही उनके दुश्मन हैं।

मुझे पहली बार छिंदवाड़ा बुलाया तब मैंने समझा उनका माइक्रो मैनेजमेंट

तत्कालीन प्रधानमंत्री #इंदिरा गांधी के वक्त से सांसद-केंद्रीय मंत्री जैसे पदों पर रहे #कमलनाथ जी की वर्किंग की तारीफ सुनते आए भूपेंद्र गुप्ता को जब चुनाव से काफी पहले कमलनाथ ने #छिंदवाड़ा बुलाया और पोलिंग बूथ से लेकर विधानसभा स्तर तक कार्यकर्ताओं की बैठक में साथ रखा तब गुप्ता ने देखा कि कांग्रेस की रणनीति बनाने, सिस्टम तैयार करने से लेकर माइक्रो लेबल तक कमलनाथ किस तरह मैनेजमेंट करते हैं। किसी दूरस्थ बूथ की भी जानकारी उनकी अंगुलियों पर रहती थी कि वहां से चालीस वोट का अंतर आया था।
वे अपने कार्यकर्ताओं पर न सिर्फ भरोसा करते हैं बल्कि उन्हें सिखाते भी हैं।बड़ी साफगोई से बात करते हैं। ये दायित्व सौंपने से पहले मुझे बुलाया और कहा भूपेन्द्र तुम पर भरोसा कर रहा हूँ, संभाल लोगे ज़िम्मेदारी? मैं कुछ सकुचाया तो बोले मत घबराओ मैं हूं ना।कार्यकर्ताओं से गलतियां हो भी जाएं तो वे गुस्सा करने या अवसरों में कटौती करने की अपेक्षा जोश भरते हैं, काम को और बेहतर तरीके से करने के तरीके भी बताते हैं।अपने लीडर से फ़ालोअर की यही तो अपेक्षा रहती है।

ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के जिम्मे स्वेच्छा अनुदान राशि आवेदनों का निराकरण

ओएसडी प्रवीण कक्कड़
सीएम के एक अन्य ओएसडी प्रवीण कक्कड़ नए विधानसभा भवन में पाँचवीं मंजिल पर बैठते हैं और सीएम ने उन्हें स्वेच्छा अनुदान राशि आवेदनों का निराकरण सौंप रखा है। मुख्यमंत्री कार्यालय को मंत्रियों, कांग्रेस कार्यालयों, दोनों दलों के सांसदों, विधायकों द्वारा सिफारिश किए व अन्य स्तर पर उपचार खर्च राशि स्वीकृति वाले जो आवेदन प्राप्त होते हैं, वो सारे आवेदन जाँच पश्चात मंजूरी के लिए कक्कड़ को भेज दिए जाते हैं।उन्हें हर दिन करीब तीन सौ आवेदन तो प्राप्त होते हीं हैं।बीते तीन-चार दिन में ही 50-60 लाख की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है।कक्कड़ की प्रवीणता ही है कि हर रोज वे निराकृत किए आवेदनों की सूची सीएम तक भिजवा भी देते हैं।
आवेदन मंजूरी की प्रक्रिया के संबंध में कक्कड़ बताते हैं जो आवेदन उपयुक्त पाए जाते हैं उन आवेदकों को एसएमएस से सूचना दी जाती है।आवेदक यह इंतजार ना करें कि राशि मंजूरी का लेटर मिलेगा तब अस्पताल में देंगे।उन्हें स्वीकृत राशि का जो एसएमएस मिलता है उसे अस्पताल प्रबंधन को दिखा कर बाकी कार्रवाई कर सकते हैं, यदि अस्पताल संचालक आनाकानी करें तो कलेक्टर को अपनी परेशानी बता सकते हैं।सिर्फ आवेदन भेजने का मतलब यह भी नहीं कि राशि स्वीकृत हो ही जाएगी क्योंकि कई आवेदन समुचित दस्तावेज ना होने या अन्य कारणों से खारिज भी करना पड़ते हैं।

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