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वो बदसूरत थी फिरभि 125 साल से निहार रहें हैं उसे………..

पैरिस का एफिल टावर 125 साल का हो गया है. यह बात सोचने में अजीब लगती है कि दुनिया के सात अजूबों में शुमार एफिल टावर को जब बनाया गया तो इसे पैरिस की खूबसूरती खराब करने वाली ईमारत का नाम दिया गया था.दुनिया के सबसे रोमांटिक शहर पैरिस में एफिल टावर के सामने तस्वीर खिचवाना हर किसी का सपना होता है. लेकिन इसे कब और क्यों बनवाया गया इस बात पर कम ही लोगों का ध्यान जाता है. 26 जनवरी 1887 को पैरिस के शौं दे मार्स में एफिल टावर की नींव रखी गई. फ्रांसीसी क्रांति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर इसे बनाया गया. उस समय की योजना के अनुसार इसे केवल बीस साल के लिए ही पैरिस में रहने की अनुमति दी गई थी. 1909 में समय सीमा पूरी हो जाने के बाद इसे गिरा दिया जाना था. लेकिन बीस सालों में टावर की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि इसे गिराने का विचार रद्द कर दिया गया.

पैरिस पर दाग?

एफिल टावर को 1887 से 1889 के बीच बनाया गया. पूरा होने पर इसे बनाने वाले गुस्ताव एफिल ने टावर के ऊपर फ्रांस का झंडा लगाया. झंडा लहराते वक्त उन्होंने शायद यह सोचा भी नहीं होगा की पूरी दुनिया इसकी खूबसूरती की दीवानी हो जाएगी. यह ख्याल उन लोगों के मन में तो हरगिज नहीं आया होगा जिन्होंने नारे लगाए और एफिल टावर को बनाने से रोकने के लिए प्रदर्शन किए. एफिल टावर को हटाने की मांग करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. इस कमेटी में कई कलाकार भी शामिल थे. इन लोगों ने टावर को पैरिस पर एक दाग और शर्मनाक बताया. हालांकि आज 125 साल बाद शायद ही कोई इस बात से सहमत हो.

लोहे से बने इस टावर को ‘आयरन लेडी’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके निर्माण के लिए 7,300 टन लोह का इस्तेमाल हुआ. तीन सौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले एफिल टावर को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब मिला. इसके बाद इसने दुनिया भर के लेखकों, कवियों और संगीतकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा. कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हो चुकी है. 60 के दशक में बनी फिल्म ‘एन ईवनिंग इन पैरिस’ में भी इसे देखा गया. लेकिन इतने सालों में इसका जलवा जरा भी कम नहीं हुआ है.

एफिल टावर या रेडियो टावर

1921 में यहीं से फ्रांस में पहला रेडियो प्रसारण हुआ. हालांकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस पर काफी खतरा मंडराता रहा. फ्रांस की सेना को इस बात का डर था कि हिटलर की सेना एफिल टावर को सूचना निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है. इसे नष्ट करने के आदेश भी दिए गए थे. लेकिन एफिल टावर इस बुरे वक्त से बिना किसी नुकसान के बाहर निकल आया.आज पैरिस आने वाला हर व्यक्ति अपने साथ खिलौने के रूप में एक नन्हा एफिल टावर जरूर साथ ले कर जाता है. दुनिया भर में लाखों लोगों के घरों में एफिल टावर का नन्हा रूप देखा जा सकता है. हर साल लाखों लोग इसे देखने के लिए पैरिस पहुंचते हैं. आतंकवादी हमलों की चेतावनियों के बावजूद पिछले साल एफिल टावर ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. 2011 में 70 लाख से अधिक लोग इसे देखने पहुंचे. प्रति दिन सूर्यास्त के बाद हर एक घंटे पर पांच मिनट के लिए टावर जगमगाता है. इसमें बीस हजार बिजली के बल्ब लगाए गए हैं. ऐसी भी योजना है की एफिल टावर को छह लाख पौधों से ढक दिया जाए ताकि यह एक विशाल पेड़ जैसा दिखे.इसकी सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए इसे बुलेटप्रूफ शीशे की दीवार और स्टील फेसिंग से ढंका जा रहा है। यह काम जुलाई तक पूरा हो जाएगा। इसपर लगभग 300 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। आतंकी हमले रोकने के लिए पेरिस के प्रमुख स्थलों को सुरक्षित बनाने का काम किया जा रहा है। अब इसका दीदार करने के लिए आने वाले लोगों को तीन स्तरीय जांच के बाद ही एंट्री मिलेगी। बता दें कि 2015 से पेरिस में हुए आतंकी हमलों में 240 लोगों की मौत हो गई थी।

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