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ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया को किंग कोहली का सहारा, टीम की नाव पार लगाने की जिम्मेदारी

विराट कोहली… क्रिकेट जगत का ऐसा सूरज, जिसकी बैटिंग रूपी रोशनी ने टीम इंडिया को टी20 वर्ल्ड कप 2024 सहित अनगिनत मैचों में विजेता बनाया। उन्होंने अपने बल्लेबाजी कौशल से एक ऐसी लकीर खींची है, जिस पर दूसरे युवा प्लेयर्स चलना चाहेंगे। वह क्रिकेट जगत में उस शिखर पर हैं, जहां पहुंचना किसी भी बल्लेबाज के लिए एक सपना होता है। दुनिया के खतरनाक बॉलर्स कैगिसो रबाडा, मिचेल स्टार्क, जेम्स एंडरसन, हारिस रऊफ भी उनके सामने बेअसर साबित होते हैं। स्पिनर्स के बुने हुए जाल को कोहली ऐसे काटते हैं, जैसे वह प्याज की परत छील रहे हों। उनकी बल्लेबाजी देखना फैंस की आंखों को सुकून देता है और टीम इंडिया को राहत की सांस। वह दुनिया के किसी भी कोने में खेल रहे हों, हमेशा एक अलग छाप छोड़ने के लिए तैयार होते हैं। 22 नवंबर से शुरू होने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में दुनिया उनकी बैटिंग का जलवा देखने के लिए तैयार है।

भारतीय टीम में मौजूद सबसे अनुभवी प्लेयर  

भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 22 नवंबर से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलनी है। पिछली चार बार से टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ BGT की ट्रॉफी जीती है, जिसमें से दो बार तो ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में रौंदा है। लेकिन इस बार टीम इंडिया के लिए सीरीज जीतना बिल्कुल आसान नहीं है, क्योंकि भारत को घर में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज 3-0 से गंवानी पड़ी है और टीम का मनोबल गिरा हुआ है। ऊपर से कोढ़ में खाज ये है कि पहले टेस्ट में नियमित कप्तान रोहित शर्मा भी नहीं खेलेंगे। वह अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ऑस्ट्रेलिया नहीं गए हैं। इन परिस्थितियों में अगर टीम इंडिया की नाव कोई पार लगा सकता है, तो वह विराट कोहली ही हैं। मौजूदा भारतीय टीम में वह सबसे अनुभवी प्लेयर हैं और उनके पास विरोधी टीमों को पटखने का अपार अनुभव है। अगर टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने का ख्वाब संजोना है, तो कोहली का बल्ला चलना बहुत ही जरूरी है। उनके पास वह काबिलियत है कि वह किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ा सकें।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निखरकर सामने आता है कोहली का प्रदर्शन

विराट कोहली के रुतबे, क्रिकेट के कद और फैन फॉलोइंग का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत के वहां पहुंचने से पहले ही ऑस्ट्रेलियाई अखबारों में कोहली छाए हुए थे। ऐसा पहले शायद ही कभी किसी भारतीय प्लेयर को स्वागत मिला हो। ऑस्ट्रेलियाई पिचें हमेशा से ही तेज गेंदबाजों की मददगार रही हैं यहां पर फास्ट बॉलर्स को पिच से उछाल और तेज गति मिलती है। ऐसी पिचों पर बल्लेबाजी करना लोहे के चने चबाने जैसा होता है। लेकिन कोहली इन पिचों पर अंगद की तरह पांव रख देते हैं और फिर उन्हें आउट करना किसी भी गेंदबाज के लिए मुश्किल होता है। ऑस्ट्रेलियाई धरती पर उनका प्रदर्शन हमेशा ही निखरकर सामने आया है। ऑस्ट्रेलिया में कोहली ने टेस्ट में चार शतक और 6 अर्धशतक लगाए हैं। कंगारुओं के लिए वह हमेशा से आफत साबित हुए हैं और उनकी आक्रामकता मैदान पर देखते ही बनती है।

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