घर के सामने बनी झोपड़ी को हटाने के लिए महिला ने लगाई मदद की गुहार, पुलिस से कार्रवाई की अपील
समस्तीपुर: भूमि विवाद में झोपड़ी कब्जे को लेकर महिला ने पुलिस से की गंभीर शिकायत, कार्रवाई की मांग
समस्तीपुर जिले के मोहिउदीन नगर थाना क्षेत्र में भूमि विवाद को लेकर एक महिला ने थानाध्यक्ष से गंभीर शिकायत की है, जिसमें उन्होंने अपनी ज़मीन पर अवैध कब्जे और झोपड़ियां बनाने को लेकर पुलिस से कठोर कार्रवाई की मांग की है। महिला की शिकायत में यह भी आरोप है कि जब उसने कब्जे को हटाने की कोशिश की तो उसे जान से मारने की धमकियां मिलीं, और पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
पीड़िता की शिकायत
यह शिकायत उषमा देवी (50 वर्ष), निवासी ग्राम आनंदगोलवा वार्ड-13, थाना मोहिउदीन नगर द्वारा की गई है। उषमा देवी ने बताया कि उनके पति श्री शम्भु महतो के साथ उनकी ज़मीन का बटवारा पवन सिंह, लटाई महतो, उमेश महतो और शम्भु महतो के बीच हुआ था। बटवारे के बाद, उषमा देवी की ज़मीन पर उमेश महतो ने अवैध रूप से एक झोपड़ी बना ली हैं, जो उनकी निजी ज़मीन पर कब्जा कर बनाई गई हैं।
उषमा देवी ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने कब्जे को हटाने की कोशिश की तो उमेश महतो, मीना देवी, बादल महतो, छोटू महतो, पैरा विशाल महतो, आयुष महतो और मोहित महतो जैसे लोग उनके खिलाफ हिंसक हो गए। इन लोगों ने उषमा देवी को न सिर्फ धमकियां दीं, बल्कि उनके घर में घुसकर मारपीट भी की।
पुलिस से निराशा
उषमा देवी ने बताया कि जब उसने इस मामले की शिकायत पुलिस से की, तो पुलिसकर्मी संजय सिंह ने मामले की जांच के लिए दोनों पक्षों को बुलाया। हालांकि, एक पक्ष को ही बुलाया गया और उमेश महतो के घर के किसी भी सदस्य को जांच के दौरान नहीं बुलाया गया। इसके बाद जब उषमा देवी ने झोपड़ियां हटाने की कोशिश की, तो उन पर हमला किया गया। उन्हें बेरहमी से पीटा गया और जब उन्होंने पुलिस को कॉल किया, तो पुलिस ने केवल घटनास्थल पर आकर उन्हें बाहर से लौटा दिया, बिना कोई ठोस कार्रवाई किए।
उषमा देवी ने यह भी आरोप लगाया कि गांव के मुखिया और सरपंच ने भी उनका साथ नहीं दिया और मामले को दबाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि उन्हें न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है, क्योंकि न तो स्थानीय लोग और न ही प्रशासन उनकी मदद कर रहा है।
उषमा देवी का अपील
उषमा देवी ने थानाध्यक्ष से निवेदन किया है कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई की जाए और दोषियों को सजा दिलवाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन उनके पक्ष में खड़ा नहीं होता तो वे उच्च अधिकारियों से भी मदद की उम्मीद करती हैं।
इस मामले को लेकर क्षेत्र में खासा आक्रोश है, और लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब प्रशासन और पुलिस की ओर से कार्रवाई की उम्मीद नहीं है, तो आम नागरिक कैसे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। उषमा देवी ने अब तक अपने संघर्ष को अकेले ही लड़ने की कोशिश की है, लेकिन अब उन्हें प्रशासन से मदद की उम्मीद है।
गांव में बढ़ती असुरक्षा और प्रशासन की निष्क्रियता
यह मामला केवल एक भूमि विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में बढ़ती असुरक्षा और प्रशासन की निष्क्रियता का प्रतीक बनता जा रहा है। लोगों का कहना है कि जब पुलिस और स्थानीय प्रशासन ही नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?