पीड़िता संगीता मौर्य ने लगाई इंसाफ की गुहार, सड़क दुर्घटना में घायल पति के इलाज के लिए मदद की अपील।
आज हम एक ऐसी दर्दनाक कहानी लेकर आए हैं, जो इंसानियत और समाज के न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देती है। यह कहानी है जौनपुर जिले के ग्राम अंगुली मुबारकपुर की संगीता मौर्य की, जिनके पति एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए हैं। लेकिन इस घटना के बाद जो कुछ हो रहा है, उसे सुनकर आपका भी दिल दहल जाएगा।
तो हुआ क्या था? चलिए जानते हैं विस्तार से।
8 अक्टूबर 2024 – ये तारीख संगीता मौर्य और उनके परिवार के लिए एक बुरे सपने से कम नहीं है। उस दिन संगीता के पति राहुल मौर्य अपने साथी अखिलेश प्रजापति के साथ तेतारपुर से काम खत्म कर घर लौट रहे थे। ये दोनों मेहनत-मजदूरी करके शाम के वक्त एक मोटरसाइकिल पर सवार होकर वापस आ रहे थे। रास्ते में, जब वे बंद बस्ती गुलालपुर के पास पहुंचे, तभी एक तेज़ रफ्तार से आता हुआ ट्रैक्टर-ट्रॉली उनकी मोटरसाइकिल से टकरा गया। इस ट्रैक्टर के मालिक का नाम पद्माकर उपाध्याय है, जो उसी इलाके के रहने वाले हैं।
अब जरा सोचिए, इस हादसे में क्या-क्या हुआ होगा! राहुल मौर्य को इतनी गहरी चोटें आईं कि उनके सीने में गंभीर चोट लगी और उनका पैर कई जगह से टूट गया। उनके साथी अखिलेश को भी चोटें आईं, पर राहुल की स्थिति सबसे गंभीर थी। ये हादसा उनके परिवार के लिए किसी अंधकार से कम नहीं था।
और हादसे के बाद? हादसे के बाद जो हुआ वो और भी दर्दनाक है। सराय ख्वाजा थाने में गाँव के प्रधान लाल साहब यादव की मौजूदगी में एक समझौता हुआ, जिसमें ट्रैक्टर मालिक पद्माकर उपाध्याय ने यह वादा किया कि वह राहुल मौर्य के इलाज का पूरा खर्च उठाएंगे। संगीता को एक उम्मीद की किरण दिखी थी कि शायद अब उनके पति का इलाज हो पाएगा।
लेकिन दोस्तों, वादा करना और निभाना, ये दो अलग बातें हैं। आज संगीता मौर्य के लिए वह दिन किसी बुरे सपने जैसा बन गया है, क्योंकि पद्माकर उपाध्याय ने अपने वादे से मुकरने का निर्णय लिया है। संगीता का कहना है कि पद्माकर अब साफ तौर पर इलाज का खर्च देने से मना कर रहे हैं। उल्टा धमकी दे रहे हैं कि “एक पैसा भी नहीं देंगे, जो करना है कर लो!”
संगीता ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधान लाल साहब यादव ग्राम मुबारकपुर के रहने वाले हैं उनके द्वारा ही जोर जबरदस्ती सुलाह नामा करवाया गया के हम ही आपके इलाज का सारा खर्चा उठाएंगे परंतु बाद में वह अपने वादे से मुकर गए और पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति भी कमजोर है वह इतना खर्च नहीं उठा पा रहे हैं शासन प्रशासन भी गरीब परिवार की मदद करें और उनके इलाज का सारा खर्चा उठाएं संगीता ने आगे जानकारी देते हुए के बताया कि उनके छोटे-छोटे चार बच्चे हैं जब कमाने वाले के ही चोट लग गई है तो इन बच्चों का पालन पोषण कैसे होगा। संगीता ने बताया कि हम चार-पांच हॉस्पिटलों के चक्कर काट चुके हैं रात 10:30 डॉक्टर ने रेफर कर दिया और फिर आलोक दुर्गा सिटी सेंटर में लेकर अपने पति को गए जहां उनका इलाज चल पा रहा है संगीता ने आर्थिक मदद की भी अपील की है कि यहां बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है और हम खर्च उठाने में असमर्थ है तो हम सरकार हमारी आर्थिक मदद भी करें।
जरा सोचिए, एक गरीब परिवार, जिसकी जीविका सिर्फ एक व्यक्ति पर निर्भर है। वह व्यक्ति, जो अब अस्पताल में जीवन-मृत्यु से संघर्ष कर रहा है। संगीता मौर्य, जो अपने घर की एकमात्र उम्मीद थी, आज पूरी तरह से टूट चुकी हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। संगीता का कहना है कि उनके पास इलाज के पैसे नहीं हैं, और अगर प्रशासन ने उनकी मदद नहीं की, तो उनके पति का इलाज करवाना उनके लिए असंभव हो जाएगा।
और यहाँ सिर्फ पुलिस प्रशासन ही नहीं, बल्कि संगीता ने सरकार से भी मीडिया के माध्यम से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें। संगीता चाहती हैं कि उनके पति का इलाज हो सके, और जो वादे किए गए थे, उन्हें पूरा करवाया जाए। इस अपील में संगीता का दर्द साफ झलकता है, उनकी बेबसी, उनकी लाचारी, जो शायद हर उस इंसान को छू जाए जो सच में इंसानियत को मानता है।
तो दोस्तों, क्या गरीबों की मदद का वादा बस एक दिखावा बनकर रह जाएगा? क्या हमारे समाज में ऐसे लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं जो एक गरीब मजदूर के इलाज का खर्च उठाने का वादा करके मुकर जाते हैं?
संगीता मौर्य के इस दर्द को समझिए, उनकी इस गुहार को सुनिए, और ज्यादा से ज्यादा इस वीडियो को शेयर कीजिए, ताकि इस परिवार को न्याय मिल सके। हमारे समाज में ऐसे अन्याय के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है।
हम आपसे अपील करते हैं कि इस दर्दनाक घटना को सुने और साझा करें। शायद आपकी आवाज़ संगीता मौर्य तक न्याय पहुँचाने में मदद कर सके।