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राजस्थान: करौली जिले के समरदा गाँव में दबंगों द्वारा किसान की ज़मीन पर अवैध कब्जा

शिकायतों के बावजूद नहीं हुई सुनवाई, पीड़ित किसान न्याय के लिए भटकता रहा; उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई

राजस्थान : करौली जिले की गाँव समरदा में एक ग्रामीण की ज़मीन पर दबंग द्वारा अवैध कब्जा करने का मामला सामने आ रहा है जिसकी शिकायत किसान ने उच्च अधिकारियों से करने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई फिर पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की है। मगर आज तक उस मामले में कोई वैध कार्यवाही नहीं की गई है। यह है पूरा मामलाआपको बता दें कि समरदा ग्राम निवासी लक्की पिता सुखराम ने जानकारी बताया कि उसके खेत में खड़ी हुई है जो कि अभी कटने की कगार पर थी लेकिन कुछ दबंगों द्वारा उसकी ज़मीन पर कब्जा किया गया है जिसकी शिकायत किसान ने पुलिस अधिकारियों थाना पर भी की लेकिन अभी तक किसान की समस्याओं का कोई निराकरण नहीं हुआ है।क्या लिखा है शिकायत पत्र में
आवेदन बाबत अनवेदक गणो द्वार खेत उगाई फसल नष्ट व को रौंद देने बारे कार्यवाही किये जाने बाबत
फसल बर्बाद हो गई है तथा मेरे खेत ते आने बेहई जाने का कोई रास्ता नही फिर भी अनावेदकगण मेरी बरसाती फसल में तो को मेरी खड़ी फसल में से ट्रेक्टर का आना जाना करते है। जिसके कारण आवेदक की फ़सल को नष्ट व बर्बाद कर दिया है।

माननीय उच्चतम न्यायालय में भी अपने न्यायिक निर्णय पृथ्वीराज चौहान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया रिट पिटीशन नंबर 1015/2018 निर्णय दिनांक 15-02-2020 पैरा संख्या 15 में भी यह न्याय सिद्धान्त पतिपादित किया है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय की मंशानुसार अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के शारीरिक एवं सम्पत्ति के प्रति घटित अपराध दण्ड संहिता के भिन्न प्रकृति के रूप में है, उन्हें सामान्य रूप से भारतीय दण्ड संहिता के अपराधों से तुलना करके नहीं देखा जा सकता। उन्हें विशेष रूप से इस अधिनियम के तहत विशेष प्रक्रिया का पालन कर अनुसंधान, जांच व विचारण के समय देखे जाने की व्यवस्था की गई है।

अतः हमारा मानना है कि उक् प्रकरण में अभियुक्तगण के विरुद्ध विधिवत आपराधिक दाण्डिक कार्यवाही किये जाने के साथ-साथ पीड़ित को इस अधिनियल की मंशानुसार उसे शारीरिक एवं साम्यत्यिक अधिकारों के संरक्षण एवं पुनरऊदार की विशेष आवश्यकता है। अतः जिला कलेक्टर करोली व जिना पुलिस अधीक्षक करौली को निर्देश दिया जाता है कि यह धारा 10 व 15 ए अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में उपबन्धित प्रावधानों का पालन कर प्रभावी कार्यलही कर पीडित के आक्षेपित आराजी से संबंधित साम्पत्यिक अधिकार व शारीरिक संरक्षण हेतु समुचित उपाय कर इस न्यायालय को सूचित करे।

फौजदारी लिपिक को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त आदेश की प्रति संकलित कर धारा 15 ए (8) एससी/एसटी एक्ट के तहत आवश्यक कार्यवाही हेतु पृथक से पत्रावली खोली जावे। इसलिये उपरोक्त विधि एवं तथ्य की रोशनी में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि उपरोक्त अभियुक्तगण के विरुद्ध अनुसूचित जाति संवर्ग के सदस्य श्री लक्खी बैरवा के स्वामित्व व आधिपत्य की भूमि पर अनाधिकृत रूप से बल व हिंसा का प्रयोग कर आपराधिक अतिचार करते हुए उसकी भूमि के उपयोग उपभोग व फसल करने में बाधा कारित की है तथा बाधा कारित करते हुए पीडित व उसके परिवारीजन पर बल व हिंसा का प्रयोग करते हुए उपहति कारित किये जाने के पर्याप्त साक्ष्य प्रसंज्ञान लिये जाने हेतु अभिलेख पर हैं अतः पुलिस द्वारा प्रस्तुत उक्क् एफआर अस्वीकार की जाती है तथा परिवादी की प्रोटेस्ट पिटीशन स्वीकार की जाकर अभियुक्तगण अतरसिंह, बदनसिंह, नरसी व सिया पुत्रान जयलाल जातियान गुर्जर निवासी गैरई की गुबाडी पुलिस थाना सपोटरा, जिला करौली के विरुद्ध धारा 323,341,447/34 भादंसं व धारा 3(1) (सी) (एफ) (जी) (आर) (एस), 2 (बीए) अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत प्रसंज्ञान लिया जाता है। प्रकरण दर्ज रजिस्टर हो। विशिष्ठ लोक अभियोजक को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त प्रकरण की अन्य आपराधिक प्रकरणों की तरह अपेक्षित दस्तावेजात व साक्ष्य संकलित कर पैरवी करेंगे। विशिष्ठ लोक अभियोजक गवाहन सूची पेश साथ ही अभियुक्तगण पर विशिष्ठ अधिनियम का आरोप होने से उन्हें ) जरिये गिरफतारी वारण्ट तलब किया जावे। उपरोक्त प्रकरणों में से नवीनतम प्रकरण 569/2020 पुलिस थाना सपोटरा अपराध अन्तर्गत धारा 143,3123,341,354,447,379 भा दं से व धारा 3 (1) (आर) (एस) (एफ) (डब्ल्यू), 2 (va) एससी/एसटी एक्ट 1989 अभियुक्तगण के आपराधिक कृत्य के बाबत पृथक से दर्ज कराया है जिसमें पीडित लक्खी व उसके परिवारीजन के साथ मारपीट में चोटें आई हैं जिसकी लिखित रिपोर्ट इस न्यायालय के समक्ष उप पुलिस अधीक्षक वृत कैलादेवी के द्वारा प्रस्तुत की गई।
संपीटरा की ओर से प्रस्तुत FR से संतुष्ट न होकर पुनः जांच कराये जाने का निवेदन किया है और अपनी प्रोटेस्ट पिटीशन में लिखित एवं मौखिक रूप से निवेदन किया है कि अभियुक्कगण बदमाश विनन्म के व्यक्ति है, जो गरीध व अनुसूचित जाति-अनुसूचित जन जाति वो व्यक्तियों की जमीन पर विधि विरुद्ध रूप में कक्षा करते है और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को उनकी जमीन पर कारत सहीं करने देते है। बड़ी फसल को काट कर ले जाते है। अभियुक्तगण द्वारा अनुसंधान अधिकारी पर दबाव बना कर उत्क्ता प्रकरण में एफ.आर. सिदिल नेचर का बताते हुए प्रस्तुत की है। आरोपीगण के पास उक्त जमीन का कोई वैधानिक रूप से स्वामित्व व आधिपत्य नहीं है। मुस्तगीस के विधिक स्वामित्व व आधिपत्य की भूमि से उसे येकब्जा कर खड़ी फसल को लाठी व हिंसा के बल पर काट कर ले जाते है। इस बाबत आरोपीगण अतरसिंह बदनसिंह नरसी, सिया पुत्र जयलाल जाति गुर्जर गैरई की गुबाडी पुलिस कना सपोटरा के आपराधिक कृत्य के लिये पीडित परिवादी द्वारा पूर्व व वर्तमान में निम्न प्रकरण दर्ज कराये गये हैं

दबंग देते है जान से मारने की धमकिया

न्याय के लिए दर-दर भटक रहा लक्की का परिवार वह बुजुर्ग परिवार । उसका कहना है कि गाँव की आबादी में उसकी ज़मीन है जिस पर गाँव के ही कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है जबकि वह ज़मीन हमारे पूर्वजों की है। हम उस पर कई वर्षों से खेती कर रहे है अपना जीवपन यापन कर रहे है। साथ ही पीड़ित किसान का कहना है कि कई बार पुलिस अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद उस ज़मीन से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया। दबंग किशम के लोगों ने तहसीलदार के साथ मिलकर हमारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। और थाना अधिकारियों द्वारा सिर्फ़ निराकरण का आश्वासन देकर वापस घर भेज दिया जाता है।

ई खबर मीडिया के लिए हरियाणा ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट

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