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90 साल से एक ही ज़मीन पर रह रहे परिवार को न्याय का नहीं मिल रहा हक! मोदी और नीतीश की नीतियों पर उठाए गए गंभीर सवाल

कटिहार जिले के गाँव कलदेही के निवासी राजू कुमार चौधरी ने मीडिया के माध्यम से अपनी व्यथा को व्यक्त करते हुए न्याय की गुहार लगाई है। उनका आरोप है कि उनके परिवार की 90 साल पुरानी ज़मीन का सर्वे 1954 में एक गड़बड़ी के तहत किया गया था, जब उनके दादा जी को इस ज़मीन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वह उस समय घर में नहीं थे और घाट पर काम कर रहे थे। इसके कारण, ज़मीन का सर्वे किसी और के नाम से किया गया और उनके परिवार को इस मामले में कोई सूचना नहीं दी गई। नतीजतन, उनके नाम पर लाल कार्ड जारी कर दिया गया, जबकि वे 90 साल से उसी ज़मीन पर रह रहे थे।

अब, 2024 में जब ज़मीन का पुनः सर्वे हो रहा है, तो अधिकारियों का कहना है कि उनके पास ज़मीन के कागजात नहीं हैं, इसलिए उनका नाम सर्वे में नहीं आ सकता। राजू कुमार चौधरी का कहना है कि कागजात न होते हुए भी उनका परिवार 90 साल से उस ज़मीन पर रह रहा है और उनका कोई दूसरा ठिकाना भी नहीं है। वे पूरी तरह से उसी ज़मीन पर आश्रित हैं।

राजू कुमार ने इस मामले में मोदी सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों पर गहरा सवाल उठाया। उनका कहना है कि यह “अंधा और गंदा कानून” गरीबों के खिलाफ है, जो लोगों को उनके हक से वंचित कर रहा है। उनका आरोप है कि सरकार गरीबों को बेघर कर रही है, क्योंकि जिनके पास कागजात नहीं हैं, उनके लिए कोई स्थान नहीं है।

उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि 90 साल से एक ही ज़मीन पर रह रहे उनके परिवार के हक को पहचाना जाए और इस बार के सर्वे में उनका नाम जरूर शामिल किया जाए। यह मामला एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकार गरीबों के अधिकारों को दबाकर उन्हें उनके बुनियादी हकों से वंचित कर रही है?

राजू कुमार चौधरी और उनके परिवार का कहना है कि अगर 90 साल से किसी ज़मीन पर रहकर इंसान की पहचान बन चुकी हो, तो उसे उसके हक से क्यों वंचित किया जाए? क्या यही है मोदी सरकार और नीतीश सरकार का “अच्छा शासन”?

ई खबर मीडिया के लिए देव शर्मा की रिपोर्ट

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