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95 साल से चल रही रामलीला में बिना किसी मानदेय के अभिनय करते हैं पचास से अधिक कलाकार

-एक छोटे से चबूतरे से शुरू हुई रामलीला ने प्रदेश में बनाया अलग मुकाम

                      (दीपक भार्गव)

मध्यप्रदेश के सीहोर जिला स्थित शाहगंज में आयोजित होने वाली रामलीला 95 वर्ष हो गए हैं। शाहगंज के पुरानी बस्ती स्थित गौर मोहल्ला में बने एक छोटे से चबूतरे पर करीब 95 साल पहले शुरू हुई रामलीला ने आज प्रदेश में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। धर्म व सांस्कृति के प्रचार के प्रचार के उद्देश्य से शुरू की गई रामलीला समिति के पास जहां आज अपना साज-सज्जा का सामान है, वहीं एक सुसज्जित मंच भी है। शाहगंज की रामलीला समिति की सबसे मुख्य बात यह है कि समिति के 50 से अधिक सदस्य बिना किसी मानदेय के रामलीला में अभिनय करते हैं। अभिनय के दौरान पुरस्कार स्वरूप मिलने वाली राशि से रामलीला समिति के आयोजन का खर्चा चलता है। रामलीला समिति के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सैनी ने चर्चा के दौरान बताया कि धर्म को धारण करने से समाज को सन्मार्ग की प्रेरणा मिलती है ओर श्री रामायण दृश्यों के दर्शन मात्र से व्यक्ति का मन पवित्र हो जाता है।
रामलीला में सहयोग-
भगवान राम के चरित्र को जनमानस तक पहुंचाने के लिए आयोजित होने वाली रामलीला में पुरानी पीढ़ी ने भरपूर योगदान दिया। जिनके सहयोग व अथक प्रयास से रामलीला का आयोजन नगर में अनवरत होता चला ज रहा है। जिनमें स्व. शम्भूनाथ कौल, गोपीलाल कौल, बिंदा कसेरा, लिखीराम गौर, रामगुलाम दरबार, रामनाथ गौर, हरिशंकर सैनी, रामनारायण गुप्ता, फूलचंद मुकद्दम, मथुरा प्रसाद पटवारी, भवर गुरुजी, रामगुलाम वीर, घासीराम गौर, कालूराम तिवारी, लालमन चौधरी, नर्मदा प्रसाद भार्गव, दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव, कपूरी लाल शर्मा, रामकिशोर तिवारी, प्रकाश विजयवर्गीय, द्वारका प्रसाद विश्वकर्मा, फूंदीलाल विश्वकर्मा आदि हैं।

आयोजन को मिल रही प्रशंसा-
शाहगंज में हो रही रामलीला का मंचन देखने के लिए दूर-दूर से ग्रामीणजन आते हैं। कलाकारों द्वारा जिस तरह से अभिनय किया जा रहा है उसे लगातार प्रशंसा मिल रही है। पवित्र नवरात्रि में रामलीला का आयोजन अब क्षेत्र में विशेष पहचान के रुप में रेखांकित हो गया है। रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार भी किसी दर्शक को मायूस नहीं होने देते ओर सर्वश्रेष्ठ अभिनय के माध्यम से आयोजन को गरिमा प्रदान किये हुए हैं।

 

 

 

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