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हिंदी खतरे में है, हिन्दी का प्रभाव बाॅलीवुड के कारण : अप्रवासी लेखक धर्मपाल महेंद्र जैन

 

— भारत दौरे पर आए प्रवासी लेखक धर्मपाल महेंद्र जैन ने की दिलचस्प चर्चा

मध्यप्रदेश। हिंदी खतरे में है, हिन्दी का प्रभाव बाॅलीवुड के कारण है।देव नागरिकी कितने दिन चलेगी कहना मुश्किल है। ऐसे भी किताबों के पाठक कम होते जा रहे हैं। ई-पत्रिका और ई-पेपर का दौर है। यह बात केनेडा से भारत आए अप्रवासी भारतीय लेखक धर्मपाल महेंद्र जैन ने कहीं । इन दिनों धर्मपाल महेंद्र जैन मप्र के प्रवास पर है। धर्मपाल महेंद्र जैन ने दिलचस्प चर्चा की।

उन्होंने कहा कि विदेशों में रह कर हिन्दी लिखना और हिन्दी के लिए काम करना कितना मुश्किल है। यह पूछने पर उन्होंने बताया कि जहां हम लिख रहे हैं। वहां हिन्दी के पाठक नहीं हैं। भाषा में लगातार हो रहे बदलाव को लेकर सवाल करने पर उन्होंने बताया कि भाषा निरंतर बदलती रही है। इसमें कोई समस्या नहीं है। तुलसी की रामायण से लेकर अब तक राम कथा की भाषा में कई बदलाव आए। यह बदलाव समकालीन भाषा के चलते ही आए और यह आगे भी आएंगे। उनके लेखन के संबंध में पूछने पर उन्होंने बताया कि मैं लेखन लेखक बनने के लिए नहीं करता। मेरा लेखन विचारधारा का लेखन है। मैं सरकार और वैश्विक समस्याओं पर लिखता हूं। मानवीय आधारों पर लोगों के लिए लिखता हूं।

— 20 साल पहले पत्रकारिता की शुरुआत

उन्होंने 20 साल पहले पत्रकारिता की शुरुआत की थी। नवदुनिया में पत्र संपादन के साथ ही व्यंग लेखन भी शुरू किया। इसके बाद लिखने का क्रम लगातार जारी रहा। अब तक मैं 500 से अधिक कविताएं, हास्य-व्यंग्य प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, आकाशवाणी से प्रसारित लिख चुका हूं। “दिमाग वालों सावधान” और “सर क्यों दाँत फाड़ रहा है” (व्यंग्य संकलन) व “इस समय तक” कविता संकलन प्रकाशित हो चुका हैं।

— सफलता के पीछे का मकसद भी सोचें

सपने देखना और फिर उन्हें पूरा करना अच्छी बात है। सपने देखकर उन्हें पूरा करने के लिए दिशा का निर्धारण कर आगे बढ़ना चाहिए। सफलता हांसिल करने के साथ ही हमेशा यह सोचना चाहिए कि इसके पीछे मकसद क्या है?

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