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श्रमिकों का शोषण: जबलपुर रेलवे स्टेशन पर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन

जबलपुर जिले के बागरा जी गांव के रहने वाले 22 वर्षीय महेंद्र सिंह धुर्वे और उनके साथ काम कर रहे लगभग 20 मजदूरों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। ये सभी मजदूर जबलपुर रेलवे स्टेशन पर विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं। महेंद्र सिंह और उनके साथियों का कहना है कि उनके साथ न केवल आर्थिक शोषण हो रहा है, बल्कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जा रहा है।

मजदूरी में कटौती और छुट्टी का अभाव

महेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें और उनके साथियों को महीने में केवल 8,000 से 9,000 रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जबकि उनका वास्तविक वेतन 15,000 से 20,000 रुपये के बीच होना चाहिए। इसके अलावा, महीने में चार छुट्टियां मिलने का प्रावधान है, लेकिन उन्हें ये छुट्टियां भी नहीं दी जातीं।

मैनेजर द्वारा दुर्व्यवहार और धमकी

महेंद्र सिंह ने जब इस वेतन विसंगति और छुट्टियों के मुद्दे पर अपने मैनेजर सनी घुसिया से बात करने की कोशिश की, तो स्थिति और बिगड़ गई। महेंद्र सिंह का आरोप है कि सनी घुसिया ने उनकी बातों को गंभीरता से लेने के बजाय, उन्हें चुप कराने की कोशिश की। जब महेंद्र ने अपनी आवाज उठाई, तो मैनेजर ने न केवल उन्हें धमकाया, बल्कि सार्वजनिक रूप से दो-चार थप्पड़ मारकर उन्हें अपमानित भी किया।

आधार कार्ड और पासबुक की जब्ती

इस घटना के बाद, मैनेजर ने महेंद्र सिंह और उनके साथियों के पासबुक और आधार कार्ड भी अपने कब्जे में ले लिए। इन दस्तावेजों की जब्ती से मजदूरों को और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे न तो अपने बैंक खातों का उपयोग कर पा रहे हैं और न ही अपनी पहचान का प्रमाण पेश कर पा रहे हैं।

मजदूरों की गुहार

महेंद्र सिंह और उनके साथी अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि उनके वेतन में कटौती और अन्य शोषणकारी प्रथाओं की जांच की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने अपने आधार कार्ड और पासबुक वापस दिलाने की भी मांग की है ताकि वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकें।

प्रशासन की चुप्पी

इस मामले में स्थानीय प्रशासन और रेलवे अधिकारियों से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मजदूरों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

श्रमिक अधिकारों की अनदेखी

यह मामला श्रमिक अधिकारों की गंभीर अनदेखी और शोषण का स्पष्ट उदाहरण है। श्रम कानूनों के तहत हर मजदूर को उचित वेतन, निर्धारित छुट्टियां, और सम्मान का अधिकार है। यदि इन अधिकारों का हनन हो रहा है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवाधिकारों के खिलाफ भी है।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और इन मजदूरों को न्याय कब तक मिल पाता है।

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