श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर शहडोल में बिना डिग्री डायलिसिस का खुलासा, हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश!
आज हम आपके सामने एक ऐसे मामले को लेकर आए हैं जो शहडोल के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ये मामला है शहडोल के श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर का, जो इन दिनों गंभीर विवादों में घिरा हुआ है।
मीडिया में श्रीराम हेल्थ केयर सेन्टर हॉस्पिटल शहडोल म.प्र. की कई महीनों से चल रही है, श्रीराम हेल्थ केयर सेन्टर हॉस्पिटल के ऊपर गम्भीर आरोप है, डायलिसिस और डिलेवरी के कारण कई, महिलाओं की मृत्यु हुई, डायलिसिस गणेश कुशवाहा करता है, उनके पास ना कोई डिग्री रही और ना डायलिसिस करने का कोई ज्ञान भी नही रहा। माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेते हुये सी.एम.एच.ओ. शहडोल को आदेश किया, श्रीराम हेल्थ केयर सेन्टर हॉस्पिटल में जिन मरीजों की मृत्यु हुई है, तीन हाते में जाँच करके माननीय उच्च न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। सी.एम.एच.ओ. एम.एस. सागर आपने स्टॉफ गोपीलाल की डिग्री लगाकर झूठी रिपोर्ट बनाया, डॉक्टर भूपेन्द्र सिंह सेंगर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में जाकर झूठा एफिडेविट झूठी रिपोर्ट जाकर पेस किया एवं सम्मिट किया। झूठा एफिडेविट देना न्यायालय में अपराध श्रेणी में आता है, दन्तात्मक सेक्शन धारा 225 के तहत डॉ. भूपेन्द्र सिंह सेंगर एवं सी.एम.एच.ओ. एम. एस. सागर ये दोनों अपराध के श्रेणी में आ गये है। सेक्शन धारा 225 के तहत ये दोनों के ऊपर अपराध कायम करके मुकदमा चलना चाहिये। इस धारा में 3 साल से लेकर 7 साल तक का सजा का प्रावधान है।
बताया जा रहा है कि श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर पर डायलिसिस प्रक्रिया का संचालन करने वाले गणेश कुशवाहा पर आरोप है कि उनके पास न तो इस प्रक्रिया को संचालित करने की कोई डिग्री है और न ही विशेषज्ञता। इसकी वजह से कई मरीजों की जान तक चली गई है। स्वास्थ्य चिकित्सालय के सीएमएचओ, एम.एस. सागर पर भी आरोप है कि उन्होंने अपने ही स्टाफ गोपी लाल की डिग्री का फर्जी इस्तेमाल करके अस्पताल और प्रबंधक को बचाने की कोशिश की।
अब तो माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर ने भी हस्तक्षेप करते हुए सभी मौतों की जांच का आदेश दिया है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे तीन सप्ताह में पूरी जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करें, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को सजा मिले।
इस पूरे मामले में बड़ा खुलासा तब हुआ जब कलकत्ता के आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर संजीव घोष की गिरफ्तारी हुई, जिनकी बेनामी संपत्ति और 20 करोड़ का फॉर्म हाउस भी उजागर हुआ है। इससे साफ है कि यह मामला और भी गंभीर है और इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के संकेत मिल रहे हैं।
शहडोल के एक स्थानीय नागरिक, राजेश कुमार विसनदासानी ने कहा है कि उन्हें उच्च न्यायालय से उम्मीद है कि सीएमएचओ को गिरफ्तार कर मामले की गहराई से जांच की जाएगी। दोस्तों, अब देखने वाली बात ये है कि क्या सरकार और प्रशासन दोषियों पर सख्त कार्रवाई करते हैं या नहीं। शहडोल के लोगों को न्याय मिलेगा या नहीं?
राजेश कुमार विशनदासानी शहडोल