Madhy Pradesh

निजी अस्पतालों से क्यों इतना लगाव, क्या व्यवस्थाएं सब ठीक

– निजी अस्पतालों का निरीक्षण हो तो पता चले
– उपचार के लिए होते जा रहे हैं निर्भर
सीहोर। प्रदेश में सीहोर जिला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का ग्रह जिला है। यहां स्वास्थ्य की सुविधाओं यदि बेहतर होंगी तो इसका संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा पर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकारी अस्पतालों की तो किसी से छुपी हुई नहीं है। ऐसे में उपचार के लिए मरीजों और उनके परिजनों की निर्भरता निजी अस्पतालों पर बढती जा रही है पर निजी अस्पतालों का निरीक्षण स्वास्थ्य विभाग और आला अफसरों द्वारा नहीं के बराबर किया जाता है। इससे कई सवाल खडे हो रहे हैं। यदि जिले में निजी अस्पतालों का निरीक्षण किया जाता है, तो वहां की व्यवस्थाओं की स्थितियों की असलियत भी जनता के सामने आ सकेगी, इससे वह बेहतर लाभ ले सकते है।
गौरतलब है कि सीहोर जिला मुख्यालय के अलावा तहसील मुख्यालयों पर बीते वर्षों में तेजी से निजी अस्पताल खुले हैं। इसके साथ ही पैथालाजियों की भी संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं और सुविधाओं की कमी के कारण से जिले के मरीज और उनके परिजन बेहतर उपचार की आस में निजी अस्पताल में पहुंचते है पर यहां भी अव्यवस्थाएं सामने आने लगी है। इसका उदाहरण करीब एक पखवाडे पूर्व जिले की आष्टा तहसील में सामने आया था, जहां एक निजी अस्पताल में प्रसूता की मौत हो गई थी। मामले के तूल पकडने के बाद इसमें जांच चल रही है।
नहीं रहती जानकारी
जिले में पैथालाजियां एवं निजी अस्पतालों में उपचार के लिए जाने वाले मरीजों की संख्या में कोरोना काल के बाद से सबसे अधिक देखी जा रही है। निजी अस्पतालों में सुविधाएं कैसी है। यहां पर कार्य करने वाला स्टापफ कितना प्रशिक्षित है और कितना अप्रशिक्षित इसकी जानकारी मरीजों और उनके परिजनों को नहीं रहती है। इस कारण से यहां उपचार के लिए जाने वाले मरीजों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड1ता है, वहीं लापरवाही का खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को उठाना पडता है। इस लापरवाही के कारण ही बीते दिनों आष्टा में हुई प्रसूता की मौत का उदाहरण सामने है।
समय समय पर हो निरीक्षण
वर्तमान समय में सरकारी अस्पतालों से ज्यादा लोग निजी अस्पतालों में उपचार कराने के लिए पहुंच रहे है। इसकी वजह है कि सरकारी अस्पतालों संसाधनों की कमी के कारण से कई जांचों के लिए भी मरीजों को निजी अस्पतालों की शरण में जाना पडता है। आम जनों का कहना है कि जिले में दो दर्जन से अधिक निजी अस्पताल संचालित हो रहे है। इनकी समय समय पर जांच होना चाहिए। इससे निजी अस्पतालों की कमियों में भी सुधार हो सके और मरीजों को बीते दिन आष्टा के एक निजी अस्पताल में हुई घटना जैसी स्थितियों का सामना नहीं करना पडे।

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