Madhy Pradesh

समाज के विभेदों का निदान शिक्षा,जेण्डर समानता के विस्तार में ही निहित – एडीजी अनुराधा शंकर

 

डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू द्वारा ‘‘जेंडर संवेदनशीलता पर वेबिनार

 

मध्यप्रदेश। डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू द्वारा ‘‘जेंडर संवेदनशीलता और संबंधित मुद्दें’’ विषय पर आयोजित अकादमिक गतिविधियों की श्रृंखला में 31 जुलाई को आईपीएस अनुराधा शंकर सिंह ने भारतीय संस्कृति और जेण्डर भेद पर बोलते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है। इसकी उदारता तथा समन्वयवादी गुणों अन्य संस्कृतियों को समाहित तो किया परंतु अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखा।
भारतीय वैदिक संस्कृति में रोमाला, घोषाल, सूर्या, अपाला, सावित्री, गार्गी आदि जैसी विदुषियों के महत्वपूर्ण योगदान मिलते हैं लेकिन उन्हें वेद पढ़ने से ही वंचित कर दिया गया। सारा मूलतत्व सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना में निहित है। हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने में आज भी बेटा-बेटी में अंतर दिखाई देता है। विभिन्न कालों में महिलाओं के लिए कभी भी आदर्श स्थिति नहीं रहीं। उन्होंने आदिवासी संस्कृति को जेण्डर भेद रहित संस्कृति बताते हुए कहा वहां स्त्री और पुरूष, परिश्रम और फल दोंनों साथ पाते है। वर्तमान महामारी के दौर में महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि ‘‘बिना स्त्री के ताकतवर हुये कोई भी संग्राम नहीं जीता जा सकता‘‘ समाज में व्याप्त विभेदों का निदान शिक्षा और जेण्डर समानता के विस्तार में ही निहित है। शरीर की ताकत से अधिक बुद्धि की ताकत है यह समझना होगा। स्त्री को देह से ऊपर देखते हुए व्यक्ति के रूप में समझना होगा और मानव मानसिकता में बदलाव लाना आवश्यक है। उन्होंने कुछ एक महिलाओं के उच्च पदों पर पहुंच जाने से ग्लास सीलिंग खत्म होने की बात का नकारते हुए कहा कि अभी जेण्डर समानता के स्तर तक आने में एक लम्बी यात्रा करनी बाकी है।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि भारतीय संस्कृति के विभिन्न कालों में महिलाओं की बदलती स्थिति का कारण पितृसत्तात्मक समाज और मानव की संकुचित मानसिकता है। हम सभी समाज नहीं समुदाय मानसिकता में जीते है, यही कारण है कि समाज में महिलाओं का उजला और प्रभावी चेहरा अपवाद स्वरूप ही है। आज पूरे समाज को मानव मानसिकता के रूप में प्रस्तुत होने की आवश्यकता है।
स्वागत उद्बोधन आईक्यूएसी सेल के अध्यक्ष प्रो. डीके वर्मा द्वारा दिया गया। आभार संकायाध्यक्ष डाॅ. मनीषा सक्सेना द्वारा दिया गया। संचालन डाॅ. मनोज गुप्ता द्वारा दिया गया।

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