निकाय चुनाव 2021 : भाजपा में आज से शुरू हो सकता है मंथन का दौर
– कांग्रेस भी जिताउ चेहरों पर गढाए हुए नजर
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]जोरावर सिंह[/mkd_highlight]
मध्यप्रदेश। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भले ही फरवरी के बाद होंगे पर प्रदेश में दोनों ही प्रमुख दल जीत हार के गणित में जुट गए है। 2020 की उतार चढाव भरी सियासत के बाद अब नए साल में अपना अपना दबदबा कायम करने की जुगत भिडाने में जुट गई है। जहां भाजपा में दो जनवरी से चुनावी स्थितियों को समझने और कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के बैठकों का दौर शुरू होगा तो वहीं कांग्रेस पार्टी जिताउ चेहरों पर नजर गढाए हुए है।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ग्रह जिला मुख्यालय के रिसोर्ट पार्क में सभी जिलों के जिला अध्यक्षों का प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया थाय इसमें भाजपा के सभी जिलाध्यक्षों के प्रशिक्षण वर्ग के साथ भाजपा कोर कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें भाजपा के कददावर नेता जुटे थे, इसमें नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियों पर भी मंथन हुआ था। अब सियासी सूत्रों की माने तो दो जनवरी से भाजपा नगरीय निकाय चुनावों में अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने जा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान सियासत में विचार धारा की सियासत से ज्यादा रणनीतियां कारगर हो रही है। इसलिए इस बार निकाय चुनावों में प्रदेश में अपनी अपनी रणनीतियों के सहारे चुनावी मैदान में उतरेंगे। किसकी रणनीति कितनी सपफल होगी यह तो आगामी दिनों में ही पता चल सकेगा।
-यह पहनाएंगे अमली जामा
भाजपा इस समय प्रदेश में सत्ताधारी दल है। भाजपा की नगरीय निकाय चुनावों में बेहतर हिस्सेदारी थी, अब भाजपा इसे बरकरार रखने की तैयारी में है। इसके लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने प्रदेश महामंत्री हरिशंकर खटीकएभगवान दास सबनानीए कविता पाटीदारए शरतेन्दु तिवारी और रणवीर सिंह रावत को जिम्मा सौंपा गया है। यह नेता पार्टी की रणनीति के आधार पर संभावनाओं को तलाशेंगे
-युवाओं और मुददों पर फोकस
प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व ही यह जाहिर कर चुके हैं कि नगरीय निकाय चुनावों में युवाओं का अधिक मौके दिये जाएंगे। इसके साथ ही भाजपा जनवरी महीने में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ होने वाली बैठकों में स्थानीय मुददों को जानेगीय।जमीनी स्तर पर किस युवा की कितनी पकड हैए इसकी जानकारी भी जुटाएंगे। इसके लिए भाजपा अपने जिलाध्यक्षों, महामंत्रियों और मंडल अध्यक्षों से भी फीडबैक लेगीय इससे माना जा रहा है भाजपा इस बार नगरीय निकाय चुनावों को बहुत गंभीरता से ले रही है। सभी पहलुओं पर विचार विमर्श के बाद ही टिकटों का वितरण किया जाएगा।
-डेमेज कंटोल पर कांग्रेस का फोकस
नगरीय निकाय चुनावों में इस बार भाजपा को कडी टक्कर देकर मजबूत उम्मीदवारों के चयन और चुनावों के दौरान कांग्रेस में होने वाले डेमेज को कंटोल करने की रणनीति के साथ इस बार कांग्रेस निकाय चुनावों में उतरने की तैयारी में है। इसलिए कांग्रेस ने अभी से जिला स्तर और ब्लाक स्तर पर बैठकों को दौर शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में नगरीय निकाय चुनावों में अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के सामने ताल ठोकने वालों से पार्टी को नुकसान उठाना पडता है। अब यह तो वक्त बताएगा कि कांग्रेस अपनी इस रणनीति में कितना सपफल हो पाती है या नहीं.
-जनता की नाराजगी को बनाएंगे मुददा
प्रदेश में कांग्रेस से जुडे सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने जनता की नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है। इसमे प्रमुख बिंदु बताया जा रहा है वह यह है कि स्थानीय स्तर पर मतदाता किन वजहों से भाजपा से नाराज चल रहा है और कौन से मुददे है जिन पर वह भाजपा के साथ खडा है। कौन सी स्थानीय समस्याएं है जिनका समाधान होना था पर नहीं हो पाया है, जिन निकायों में भाजपा के अध्यक्ष और परिषद में भाजपा का दबदबा था। इन परिषदों ने जनता से कौन से वादे किये थे, जो पूरे नहीं पाए हैं और आमजन के जहन में है, इससे वह नाराज भी है। ऐसे मुददों को निकाय चुनावों में कांग्रेस उभारेगी, अब कांग्रेस का फीडबैक कितना कारगर होगा यह तो वक्त ही बताएगा।
-खेमेबाजी का खतरा दोनों ओर
निकाय चुनावों को इस बार सियासी पंडित अधिक महत्वपूर्ण मान रहे हैं, इसकी वजह है कि निकाय चुनाव परिणाम प्रदेश की सियासत की नई इबारत लिखेंगे। कांग्रेस पार्टी तो लंबे अर्से से खेमेबाजी से जूझती रही है, इसका ही परिणाम है कि कांग्रेस को प्रदेश में जीतकर भी हार का सामना करना पडाय पर अब भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के आ जाने के बाद से एक नया खेमा शुरू हो गया है। इस खेमे को भी संतुष्ट करना भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ है। अब खेमेबाजी के खतरा भाजपा और कांग्रेस दोनों पर है पर इससे प्रभावित ज्यादा कौन होगा। यह तो निकाय चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे।