सीएम शिवराज ने कहा, स्कूलों में पढ़ाएंगे भगवान परशुराम का पाठ, कर्मकांडी संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति
भोपाल। गुफा मंदिर में अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर गुफा मंदिर प्रांगण में भगवान परशुराम जी की 21 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में 5100 महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। इसमें जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, गुफा मंदिर के महंत रामप्रवेशदास महाराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व महापौर आलोक शर्मा, पूर्व ं मंत्री पीसी शर्मा सहित बड़ी संख्या में शहर के लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि पुजारियों को मानदेय दिया जाएगा। कर्मकांडी संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संस्कृत शिक्षकों के 1900 पद भरे गए हैं। जब तक दूसरे पदों की भर्ती नहीं होती है, तब तक शिक्षक रखे जाएंगे। पुजारियों को 5000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। इतना ही नहीं मंदिरों की समितियों के पास हैं, वो जमीन नहीं बेची जाएंगी। पुजारियों को अधिकार दिए जाएंगे। कर्मकांडी संस्कृत छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। साथ ही संभल योजना का लाभ भी दिया जाएगा।1000 ब्राह्मण समाज के युवा शामिल होंगे। 1100 वैदिक ब्राह्मण स्तुति वाचन करेंगे। 500 युवाओं की टोली आखड़ों के साथ नृत्य करते हुए शोभा यात्रा में शामिल रहेंगे। ब्राह्मण समाज के 20 अलग-अलग संगठनों से जुड़े लोग शामिल होंगे। स्कलों में भगवान परशुराम के चरित्र को पढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बीमारू राज्य से अच्छा बना दिया : अवधेशानंद गिरि
भगवान परशुराम की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ाचौहान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मप्र बीमारू राज्य हुआ करता था, जो अब सबसे अच्छा राज्य बन गया है। यह श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही जाता है। मुख्यमंत्री के बारे में कहा कि देश के बहुत बड़े नेता हैं, जो देश का भविष्य हैं। हम पहले हिन्दू हैं, इसके बाद जाति है। हम लोग यदि जातियों में नहीं बंटे होते तो आक्रमणकारी हमको बंधक नहीं बनाते।
प्रचलित मान्यताएं
परशुराम के बारे में कहा जाता है कि त्रेता में शिव धनुष पर प्रपंचा साधने पर राम-लक्ष्मण पर क्रोधित हुए। पर राम का स्वरूप जान वह सीधे तप करने के लिए महेंद्रगिरी पर्वत को गमन कर गए। तो द्वापर में वह भीष्म, द्रोण और कर्ण के गुरू बने। पर वर्ण छिपाने पर कर्ण को भी उनके कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। और परशुराम का यह कोप ही कर्ण की मृत्यु की वजह बना। तो अंबा का हरण करने पर भीष्म से युद्ध किया और इच्छामृत्यु के वरदान ने ही भीष्म की रक्षा की। पिता जमदग्नि की आज्ञा से मां रेणुका का सिर काटने वाले परशुराम का बुद्धिचातुर्य ही था कि पिता ने वरदान दिया तो फिर मां और भाईयों का जीवनदान मांग लिया। इस महान ऋषि की कहानियां बहुत हैं और इनकी वीरता सभी को ओज से भर देती है।
वर्णन मिलता है कि परशुराम त्रेता में थे, द्वापर में थे और कलियुग में कल्कि अवतार के रूप में जन्म लेकर कलियुग का अंत करेंगे। तो शिव प्रदत्त परशु यानि कुल्हाड़ी जिनका अस्त्र है, ऐसे परशुराम को बारंबार प्रणाम। गुफा मंदिर में उनका नया धाम आस्थावान श्रद्धालुओं की आस्था का परमधाम अवश्य बनेगा।