मप्र में पंचायत चुनाव : आरक्षण व्यवस्था पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, पर कोर्ट नहीं जाएगी
भोपाल। पंचायत चुनाव में आरक्षण की दो व्यवस्था का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। त्रिस्तरीय पंचायत राज संगठन के पदाधिकारियों सहित अन्य ने इस व्यवस्था को नियमों के विपरीत बताया है। कांग्रेस ने भी इस पर सवाल उठाए हैं, लेकिन वह न्यायालय नहीं जाएगी। जिन्होंने याचिका दायर की है, पार्टी उनका सहयोग करेगी। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की घोषणा करने के साथ आगे की तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।
उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार ने कमल नाथ सरकार के समय हुए पंचायतों के आरक्षण और परिसीमन को निरस्त कर दिया है। इसके लिए मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लाया गया है। इसके माध्यम से 2014 की स्थिति को लागू किया गया है, यानी उस समय जो पंचायत क्षेत्र थे और जो आरक्षण था, वही लागू रहेगा। उधर, जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का आरक्षण नए सिरे से किया जा रहा है।
इसके लिए प्रक्रिया 14 दिसंबर को होगी। कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया का कहना है कि पार्टी चुनाव में जाने के लिए तैयार है, पर ऐसा पहली बार हो रहा है कि पंचायत चुनाव दो आरक्षण व्यवस्था से कराए जाएंगे। परिसीमन के मामले में उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी किए हैं, जिनका निराकरण अब तक नहीं हुआ है। मतदाता सूची भी अंतिम नहीं हुई है। एक जनवरी को जो नए मतदाता बनेंगे, उन्हें इस चुनाव में मतदान का मौका भी नहीं मिलेगा। यह पूरा कार्यक्रम त्रुटिपूर्ण है। पार्टी न्यायालय में नहीं जाएगी, लेकिन जो याचिकाकर्ता हैं, उन्हें सहयोग दिया जाएगा।
वहीं, त्रिस्तरीय पंचायत राज संगठन के संयोजक डीपी धाकड़ ने कहा कि हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में त्वरित सुनवाई के लिए आवदेन दिया है। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण की व्यवस्था सरकार का विषय है। अध्यादेश के माध्यम से जो व्यवस्था प्रभावी की गई है, उसके अनुसार ही कार्य किया जा रहा है। नया परिसीमन निरस्त होने के बाद मतदाता सूची में सुधार का काम भी पूरा हो गया है। सोमवार को इसका अंतिम प्रकाशन भी हो जाएगा।