अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 8 फरवरी, 2018 को
नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित ढांचे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। 3 जस्टिस की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी, 2018 को होगी। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई 2019 तक टालने की बात कही।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सभी दस्तावेज पूरे करने की मांग की है। न्यायलय ने दायर दीवानी अपीलों में एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड को निर्देश दिया कि वे एक साथ बैठकर यह सुनिश्चत करें कि सारे दस्तावेज दाखिल हों और उन पर संख्या भी लिखी हो।
3.45 PM: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर अगली सुनवाई 8 फरवरी, 2018 को होगी।
3.30 PM: अच्छी खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे द्वारा दिया गया फॉर्मूला मान लिया है: वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड चेयरमैन
3.06PM: कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब भी मामले की सुनवाई होगी, कोर्ट के बाहर भी इसका गंभीर प्रभाव होगा। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 15 जुलाई 2019 के बाद इस मामले की सुनवाई करें।
3.00 PM सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने 5 जजों की बेंच से सुनवाई की मांग की।
2.55pm: सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने 15 जुलाई 2019 के बाद सुनवाई की मांग की।
2.45PM: सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने ASG मेहता के दावों पर सवाल उठाए। कपिल सिब्बल ने कहा कि इतने कम समय में 19000 पन्नों के दस्तावेज कैसे जमा हुए? सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें और अन्य याचिकाकर्ताओं को मामले से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए गए हैं।
2.35PM: उत्तर प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे अडिशनल सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल के सभी दावों को गलत बताया। मेहता ने SC से कहा, सभी संबंधित दस्तावेज और जरूरी अनुवादित कॉपियां जमा की जा चुकी हैं।
2.30 PM:सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की स्पेशल बेंच इस मामले को सुन रही है।
2.27PM: सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों वाली बेंच से कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं किए गए।
2.22PM: बाबरी मस्जिद विवाद: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ रहे हैं
2.16 PM: राम जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने का समर्थन किया।
2.10 PM चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच कर रही है सुनवाई।
बता दें कि यह मामला सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी अति संवेदनशील है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की विशेष पीठ मंगलवार को इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। सुनवाई अयोध्या में विवादित भूमि के मालिकाना हक को लेकर है।
क्या हुआ अब तक
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की स्पेशल बेंच इस मामले को सुन रही है।
2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ अलग-अलग पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
अयोध्या मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।
अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह सुझाव
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई इस मामले को शांति से सुलझाने के विफल सुझाव की पृष्ठभूमि में हो रही है।
सर्वोच्च अदालत ने इस वर्ष मार्च में पक्षों को मामले को आपस में बैठकर कोर्ट से बाहर सुलझाने का सुझाव दिया था। लेकिन कोई भी पक्ष इसके लिए राजी नहीं हुआ। हालांकि, इसके बाद से यह मामला और जटिल हो गया है, क्योंकि शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में शपथपत्र दायर कर कहा है कि विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए। लेकिन वह इस मामले में पक्षकार नहीं है। बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद को कहीं और मुस्लिम बहुल क्षेत्र में मुनासिब दूरी पर बनाया जा सकता है, क्योंकि यह बेहद पूजनीय भगवान राम का जन्मस्थान है।
सात साल में हो चुकी हैं 20 अपील
सितंबर 2010 से लेकर पिछले सात वर्षों में कम से कम 20 अपीलें और क्रॉस अपीलें जन्मभूमि स्थान पर मालिकाना हक को दावा कर सुप्रीम कोर्ट में दायर हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया था। मामले में लड़ रहे पक्षों में जिनमें भगवान रामलला विराजमान स्वयं भी हैं, निर्मोही अखाड़ा, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सरकार शामिल हैं। हाईकोर्ट के विवादित हिस्से को तीन हिस्सों (दो हिस्से हिंदू और एक हिस्सा मुस्लिम पक्ष) में बांटने के फैसले को चुनौती देते हुए सभी पक्षों ने कहा है कि फैसला आस्था के अधार पर दिया गया और दस्तावेजी सबूतों को नहीं देखा गया। यह फैसला अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन भी करता है, जो सभी विश्वासों को बराबर के अधिकार देते हैं। इस मामले में सर्वोच्च कोर्ट भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी, शिया वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को भी सुनेगा।