2 लाख बचाने टेंडर निरस्त, 10 करोड़ बचाने से परहेज
वार्डों में होने वाले छोटे कामों में तय शेडयूल ऑफ रेट (एसओआर) से अधिक दरें आने पर निगम प्रशासन टेंडर निरस्त कर दोबारा टेंडर बुलाता है, ताकि निगम की रकम बचा सके। हाल ही में दोबारा टेंडर बुलाने पर पहली बार की तुलना में कम रेट आए। एक काम में निगम के 1 लाख 80 हजार और दूसरे काम में तीन लाख की बचत हुई।
लेकिन दूसरी तरफ 125 करोड़ के काम में एसओआर से अधिक रेट आने के बाद निगम दोबारा टेंडर कराने से पीछे हट गया। जबकि इसमें 10 करोड़ का सीधा नुकसान हो रहा है। इस काम के टेंडर को निरस्त करने के बजाए एमआईसी ने भी आंखमूंद कर मंजूरी दे दी। अब राज्य स्तरीय तकनीकी समिति (एसएलटीसी) में मामला स्वीकृति के लिए भेजा जाना है।
बता दें कि पहला मामला पीजीबीटी कॉलेज के पास 45 लाख रुपए से कम्यूनिटी हॉल निर्माण का है। इसके लिए निगम ने टेंडर बुलाए थे। विधायक निधि से यह काम होना है। इसमें 9 फीसदी अधिक दरें प्राप्त हुई। जिसे निरस्त करते हुए दोबारा टेंडर किए गए। इस बार निगम को 5 फीसदी कम रेट आए। यानी इस काम में निगम को 1 लाख 80 हजार रुपए का पैसा बच गया।
दूसरा मामला सीएम इंफ्रा के तहत जोन 12 में 1 करोड़ 8 लाख रुपए की लागत से सीसी रोड का निर्माण का है। जिसके टेंडर हुए थे। इसमें एस्टीमेट के बराबर ही रेट आए थे। इसके बावजूद भी निगम ने टेंडर निरस्त करते हुए दोबारा टेंडर किए। दूसरी बार लागत से 3 फीसदी कम रेट आए। इससे निगम को 3 लाख 24 हजार रुपए का फायदा हुआ।
10 करोड़ का नुकसान अमृत के काम में ऐसे होगा
अमृत योजना के तहत 125 करोड़ 81 लाख से अधिक राशि से 15 नालों के निर्माण और चैनलाइजेशन के टेंडर हुए थे। इसमें 5 काम 2 से 9 फीसदी तक तय एसओआर से कम रेट आए। वहीं 10 कामों में अनुमानित लागत से 2 से 9.12 फीसदी तक अधिक रेट आए। यदि ये काम कम रेट में जाते तो निगम को 10 करोड़ की बचत हो सकती है। लेकिन निगम प्रशासन ने एमआईसी भेज दी। जहां एमआईसी ने भी पारित कर दिया। निगम के जानकार बताते हैं कि जब बाकी के नाले एसओआर से कम रेट पर जा सकते हैं तो बाकी के नाले भी कम रेट पर जा सकते हैं। इसके लिए निगम को दोबारा टेंडर बुलाना चाहिए।
गड़बड़ी…ऐसे होगा ठेकेदारों को फायदा
बता दें कि जिन कामों में ज्यादा रेट आए हैं उनमें सिर्फ दो ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था। जो अफसरों से मिलीभगत कर आपस में एक दूसरे के लिए थोड़ा कम और अधिक टेंडर डाले। यदि इन कामों की स्वीकृति होती है तो 10 करोड़ का सीधा नुकसान होगा। वहीं, जिनमें कम रेट आए हैं उनमें तीन से पांच ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था। प्रतिस्पर्धा में कम रेट आने से निगम को फायदा हुआ।
नीचे से ऊपर तक सेटिंग
बताया जा रहा है कि इस मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक सबकुछ सुनियोजित तरीके से सेटिंग करते हुए ज्यादा रेट डाले गए हैं। यही वजह है कि निगम को नुकसान होने के बावजूद भी टेंडर निरस्त नहीं किए गए। यही नहीं दरें स्वीकृति के लिए एसएलटीसी में स्वीकृति के बजाए पहले एमआईसी में भेज दिया गया। जबकि इससे पहले सभी अमृत योजना के प्रोजेक्ट को एसएलटीसी के बाद एमआईसी फिर परिषद भेजा गया था।
एमआईसी के बाद ही दरें स्वीकृति के लिए फाइल एसएलटीसी में भेजने का नियम है। आयुक्त की अध्यक्षता में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी समिति में रहते हैं। सारे पहलुओं के परीक्षण के बाद यदि कोई गड़बड़ी है तो निरस्त किया जाएगा। – प्रभाकांत कटारे, प्रमुख अभियंता, नगरीय प्रशासन विभाग
इन कामों के आए ज्यादा रेट
टेंडर नंबर 9394
अनुमानित लागत- 7 करोड़ 52 लाख 40 हजार
रेट आए 6.97 फीसदी ज्यादा
लागत से अधिक नुकसान- 52 लाख, 44 हजार 228 रुपए
टेंडर नंबर 9400
अनुमानित लागत- 13 करोड़ 8 लाख 60 हजार।
रेट आए- 4.80 फीसदी अधिक
नुकसान- 62 लाख 81 हजार 280 रुपए
टेंडर नंबर 9405
अनुमानित लागत- 11 करोड़ 25 लाख रुपए
रेट आए- 6.54 फीसदी अधिक
नुकसान- 73 लाख 57 हजार 500 रुपए
टेंडर नंबर 9411
अनुमानित लागत- 5 करोड़ 62 लाख 50 हजार
रेट आए- 6.90 फीसदी अधिक
नुकसान- 38 लाख 81 हजार 250 रुपए।
टेंडर नंबर- 9412
अनुमानित लागत- 5 करोड़ 35 लाख 50 हजार।
रेट आए- 7.33 फीसदी अधिक
नुकसान- 39 लाख 25 हजार 215 रुपए।
टेंडर नंबर 10074
अनुमानित लागत- 9 करोड़ 93 लाख 60 हजार।
रेट आए- 4.51 फीसदी अधिक
नुकसान- 45 लाख 10 हजार 944 रुपए।
टेंडर नंबर 10076
अनुमानित लागत- 8 करोड़ 27 लाख 10 हजार
रेट आए- 6.97 फीसदी अधिक
नुकसान- 57 लाख 64 हजार 887 रुपए।
टेंडर नंबर- 10080
अनुमानित लागत- 10 करोड़ 61 लाख 10 हजार।
रेट आए- 2.20 फीसदी अधिक
नुकसान- 23 लाख 34 हजार 420 रुपए।
टेंडर नंबर- 10090
अनुमानित लागत- 7 करोड़ 66 लाख 80 हजार।
रेट आए- 6.56 फीसदी अधिक
नुकसान- 50 लाख 30 हजार 208 रुपए।
टेंडर नंबर- 10091
अनुमानित लागत- 10 करोड़ 27 लाख 80 हजार रुपए।
रेट आए- 9.12 फीसदी अधिक
नुकसान- 93 लाख 73 हजार 536 रुपए।