Madhy Pradesh

MP POLITICS : जनता के लिए सरकार बदलने का किया था दावा,अब नहीं आ रहे नजर

—कांग्रेस से भाजपा में हुए थे शामिल
—कोरोना काल में जनता की आवाज उठाने की जरूरत

जोरावर सिंह

मध्यप्रदेश की सियासत में जब भाजपा की दमोह में हार हुई है तभी से रोजाना नई नई चर्चाएं सियासी गलियारों से आ रही है। जहां भाजपा में हार का मंथन चल रहा है, यह अलहदा विषय है, मगर जब सियासी चर्चाएं जोर पकड रही है ऐसे में सोशल मीडिया पर यह सवाल भी खडे हो रहे हैं कि जब वह कांग्रेस में थे, उनके भीतर जनता के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लडने का जज्बा था, जो अब नजर नहीं आ रहा है, जबकि इस समय कोरोना काल में आमजनता को जन प्रतिनिधियों के सहायता की ज्यादा आवश्यकता है।

मध्यप्रदेश में 2018 हुए आम चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी, और कांग्रेस पार्टी मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई। लेकिन महज एक साल के भीतर ही कांग्रेस में आपसी मतभेद उभरने लगे। जिसका परिणाम यह हुआ कि करीब डेढ दशक के बाद सत्ता में आई कांग्रेस फिर सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस के कई विधायक तात्कालिक कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शािमल हो गए। तब इन विधायकों और अब भाजपा के राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया था कि आमजनता और किसानों की बात नहीं सुनी जा रही है। इसलिए वह सडक पर उतरने की बात भी कह चुके थे, आखिरकर उनकी नाराजगी दूर नहीं हो सकी, और नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने अपनी सरकार गंवाई।

इनकी सियासत मुश्किल में…

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनावों में भाजपा में शामिल हुए कांग्रेसी विधायक और मंत्री अपनी विधायकी बचाने में कामयाब रहे, लेकिन कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे एंदल सिंह कंसाना, िगरिराज दंडोतिया, इमरती देवी को पराजय का सामना करना पडा। इस कडी में हाल ही हुए दमोह उपचुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राहुल सिंह लोधी को करारी हार का सामना करना पडा है, अब इनकी सियासत मुशकिल में नजर आ रही है।

—अब नहीं हो पा रहे मुखर

मध्यप्रदेश में डबरा से विधायक रही और तात्कालिक कांग्रेस सरकार में मंत्री रही इमरती देवी तब की कांग्रेस सरकार से खासी नाराज दिखती थी, उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि वह तो माननीय सिंधिया जी के कहने पर कुए में भी कूदने के लिए तैयार हैं। वह उनकी कटटर समर्थक थी, और उपचुनाव में हारने के बाद उन्होंने कहा था, वह खुद चुनाव हारी हैं सरकार तो उनकी पार्टी की है, इसलिए वह आमजनता की लडाई लडती रहेंगी, लेकिन वर्तमान में वह उतनी सकि्रय नजर नहीं आ रही है। इसके साथ ही हाल ही में दमोह से राहुल सिंह लोधी भी उपचुनाव बडे अंतर से हार गए है, मगर यह नेता चुनाव हारने के बाद मुखर नहीं हो पा रहे है।

—आमजन परेशानी में…

इस दौरान कोरोना काल चल रहा है, इस समय प्रदेश के अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्थाओं और संसाधनों की कमी के कारण से कोरोना से पीडित मरीजों को और उनके परिजनों को मुश्िकलों का सामना करना पड रहा है, कहीं आक्सीजन कमी तो कहीं रेमडेसीविर इंजेक्शन की मारामारी से आम जनता को दो चार होना पड रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में लॉकडाउन लगे होने के कारण से गरीब परिवारों को आिर्थक संकटों का सामना भी करना पड रहा है। इस आपदा के दौर में भी यह नेता आमजनता की आवाज बुलंद नहीं कर पा रहे हैं तो सवाल खडे होना तो लाजिमी है। कि आखिर अब ऐसा क्या हो गया जो हमेशा मुखर रहने वाले चुप्पी साधे हुए हैं।

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