Madhy Pradesh

MP BY ELECTION : मध्यदेश में प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बनाने की आर्य के कंधों पर भी जिम्मेदारी

मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश में इस समय भाजपा सत्ताधारी दल है। उपचुनाव सामने है और उपचुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र पर बहुत दारोमदार है, यह क्षेत्र सरकार को बनाये रखने और हटाने की निर्णायक भूमिका में है। शायद इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस बार ग्वालियर चंबल क्षेत्र से भाजपा में अनुसूचित जाति के कद्दावर नेता लाल सिंह आर्य जो मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। अब उन्हें अनसूचित जाति मोर्चे की कमान सौंप दी गई है।
मध्य प्रदेश में उप चुनाव के पूर्व आर्य को यह जिम्मेदारी मिली है। उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। भाजपा और अनुसूचित जाति के लोगों की बीच वर्तमान दौर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बनाने की जिम्मेदारी श्री आर्य के कंधों पर आ गई है।
– अनुसूचित जाति की सियासत का गढ़
मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति की सियासत पर नजर डाली जाए तो ग्वालियर चंबल क्षेत्र गढ़ माना जाता है, यहां बहुजन समाज पार्टी मजबूत स्थिति है, इस पार्टी में अनुसूचित के कई कददावर नेता है, जो अनुसूचित जाति की सियासत को बखूबी जानते पहचानते हैं, जमीनी कार्यकर्ता है, कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के चर्चित नेता फूल सिंह बरैया को अपने पाले में कर लिया है। आजाद समाज पार्टी भी यहां सकि्रय है, इससे अनुसूचित जाति से कई युवा नेता उभरे हैं। अब प्रदेश की अनुसूचित जाति के इस गढ़ में भाजपा ने भी दांव खेलते हुए भाजपा में अनुसूचित जाति के नेता लाल सिंह आर्य जिम्मेदारी सौंपकर मैदान में उतार दिया है।
– बसपा नेताओं को टक्कर देंगे आर्य
मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सियासी जमीन जहां बहुत मजबूत मानी जाती है, वह है भिंड यहां बसपा के पास एक विधायक भी हैं। यहां लोकसभा चुनाव से लेकर निकाय चुनावों तक बसपा की मजबूत जमीन है, प्रत्येक चुनाव में सम्मान जनक मत हासिल करती आई है। यह अलग विषय है कि वर्तमान में भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। इसी जमीन से भाजपा नेता लाल सिंह आर्य आते हैं। इस जिले से वह विधायक भी रह चुके हैं। अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि अनुसूचित जाति की सियासत को और कितनी मजबूती प्रदान करेंगे।
– बदल रही अजा की सियासत
मध्यप्रदेश में अब अनुसूचित जाति की सियासत बदल रही है। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ हुई घटनाओं ने उनके बीच सत्ता से दूरियों में इजाफा किया इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। अब सूरते हाल यह है अनुसूचित जाति के बीच से सामाजिक आन्दोलनों से कई युवा चेहरे उभर कर आ रहे हैं, और समाज के बीच स्वीकार्यता भी बढ़ रही है। ऐसी चुनौतियों के बीच श्री लाल सिंह आर्य के कंधे पर जिम्मेदारियों का बोझ आया है। वह प्रदेश में अनुसूचित जाति कितना भरोसा जीतेंगे यह तो वक्त ही बतायेगा।

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