Madhy Pradesh

सूत्रधार : तनाव मुक्त और स्वस्थ वातावरण बनाए रखने की पहल

 

– लॉकडाउन में हर दिन ‘पांच का प्रपंच’ का इंतजार

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]

 

 

जब व्हाट्सएप से लेकर न्यूज तक कोरोना छाया रहा तब लॉकडाउन वाले दो महीने से अधिक की अवधि मेंनाटक-फिल्म आदि को समर्पित संस्था ‘सूत्रधार’ ने अपने ढाई सौ से अधिक सदस्यों वाले ग्रुप को ‘पांच केप्रपंच’ का चस्का लगा दिया।शाम 5 बजते ही ग्रुप के सदस्य व्हाट्स एप पर इंतजार करते थे कि आज एडमिनसत्यनारायण व्यास पांच का प्रपंच में क्या सामग्री पढ़वाएंगे।

केट में साइंटिस्ट के पद से 2003 में रिटायर हुए सत्यनारायण व्यास ने ‘सूत्रधार’ संस्था की स्थापना ठीक 13 वर्ष पहले जून में ही की थी। उद्देश्य यही था कि सांस्कृतिक गतिविधियों में दिलचस्पी रखने वाले कलानुरागीवर्ग को हर माह कोई नाटक, फिल्म, डाक्यूमेंट्री आदि दिखाई जाए। सूत्रधार के बैनर तले आयोजित किए जानेवाली ऐसी गतिविधियों का खर्च पहले वे मिलने वाली पेंशन की राशि से वहन करते थे। पहला नाटक ‘कमला’ मेडिकल कॉलेज सभागृह में आयोजित किया था।टिकट का दाम था 40 रु, रुचि रखने वालों ने तो टिकटखरीद कर नाटक देखा लेकिन शहर के कई रंगकर्मी हॉल तक आकर इसलिए वापस लौट गए कि 40 रु काटिकट क्यों खरीदें। बाद में उन्होंने नियमित दर्शकों की सलाह पर हजार रु वार्षिक सदस्यता शुल्क तय करदिया। उन्हें यह प्रेरणा भी संस्था ‘सानंद’ से मिली जो अपने मराठीभाषी सदस्यों के लिए नाट्य-संगीत समारोहपूरे साल आयोजित करती रहती है।

अभी जब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते सभी गतिविधियां बंद हो गईं तो एसएन व्यास ने सूत्रधारके सदस्यों के लिए सतत 63 दिन ‘पांच का प्रपंच’ शुरु कर दिया। वे ग्रुप में हर दिन एक कविता, एक लघुकथा, शार्ट फिल्म ठीक शाम 5 बजे सेंड कर रहे थे।कवियों-व्यंग्य लेखकों में शरद जोशी, नरेश मेहता, केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण, चंद्रकांत देवताले, सरोज कुमार, पवन करण, अरुण कमल, सुधीर सक्सेना तोकहानीकारों में मंटो, अशोक भाटिया आदि की लघु कथा तो शार्ट फिल्म, डाक्यूमेंट्री में ईरानी फिल्म, भारतीयफिल्म, कव्वाली, स्वामी विवेकानंद, जेपी आदि पर लघु फिल्म नियमित सेंड करते रहे।इस अवधि में ग्रुप परकोरोना को लेकर एक शब्द तक नहीं कहा गया क्योंकि उद्देश्य तनाव मुक्त और स्वस्थ वातावरण बनाए रखनाथा।

-सांस्कृतिक सूनेपन से जन्मा ‘सूत्रधार’

मुंबई के भाभा परमाणु केंद्र से व्यास का 1986 में इंदौर ट्रांसफर हुआ। उनका कहना है मुंबई में हर दिन नाटक, संगीत, सांस्कृतिक आयोजन होते रहते थे, इंदौर में वैसी चहलपहल कम ही देखने को मिली।केट से रिटायरमेंटके बाद ‘सूत्रधार’ की स्थापना की और देश के विभिन्न क्षेत्रों से नाट्यदल आमंत्रित कर शो करवाना शुरु किए, इन 13 वर्षों में 256 विविध कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं।

-सानंद के 27 साल और 1800 कार्यक्रम

सानंद संस्था की स्थापना 27 साल पहले की गई। संस्थापक अध्यक्ष जयंत महाजन फिर सुधाकर कालेअध्यक्ष, दो दशक से अधिक समय मानद सचिव रहे जयंत भिसे ने बताया तब से अब तक 1800 नाटक आदिकरवा चुके हैं।चूंकि 4 हजार सदस्य हैं इसलिए किसी भी कार्यक्रम पांच समूह के लिए करते हैं।वार्षिकसदस्यता शुल्क 900 से लेकर 4 हजार रु है।लॉकडाउन के चलते फिलहाल कोई गतिविधि नहीं की है।

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