Madhy Pradesh

MADHYA PRADESH : कोरोना ग्राफ के नीचे लुढ़कने की वजह चढता हुआ चुनावी पारा है क्या!

 

– तो क्या चुनाव की वजह से गिरा दिए कोरोना के ग्राफ?
– दिया जा रहा है फिर एक भयाभह स्थिति को आंमत्रण

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]दिलीप पाल[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश। एक और यहां कोरोना से लोंगों की जानें जा रही है तो वहीं दूसरी ओर कागजों पर कोरोना के ग्राफ गिराने का खेल चल रहा है। मप्र में होने जा रहे 28 विधानसभा चुनावों के कारण कोरोना को एक तरफ रखते हुए न तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जा रहा है और न ही अब कोरोना की जांच में कोई दिलचस्पी ली जा रही है। लिहाजा इसके चलते अब यह हालात् बन गए हैं कि सरकारी आंकड़ो के मायाजाल में लोगों को भ्रमित कर यह बताया जा रहा है कि अब कोरोना के मरीजों में कमी आ रही है। जबकि स्थिति इसके उलट है। कोरोना के मरीजों की टेस्टिंग ही नहीं हो रही है। जबकि इसके पहले यह स्थिति थी कि हर संदिग्ध मरीज की जांच गंभीरता के साथ की जा रही थी।
मप्र में नबम्वर माह में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव की वजह से अब यह बताया जा रहा है कि कोरोना बीमारी का वायरस अब कमजोर पडऩे लगा है। जो रिपोर्ट शासन द्वारा हाल ही में प्रस्तुत की गई है उसके तहत् यह बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या में 37 प्रतिशत की कमी आई है तो वहीं इस बीमारी से मरीजों का रिकबरी रेट भी 88.4 प्रतिशत तक बढ़ गया है। वहीं इस बीमारी से मृत्यु दर में भी 1.78 प्रतिशत तक हो गई है। कोरोना की इस रिपोर्ट की समीक्षा मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों ने कोरोना से जल्द मुक्ति की बात की थी।
राज्य शासन के अधिकारियों द्वारा जो समीक्षा की गई है उसके अनुसार जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि प्रदेश के इंदौर एवं भोपाल जिलों में कोरोना के सर्वाधिक नए प्रकरण सामने आ रहे हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर एवं उज्जैन क्षैत्र में कोरोना के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। इन जगहों पर रोजाना ढाई सौ से चार सौ तक मामले आ रहे हैैं, लेकिन मरीजों का रिकवरी रेट भी काफी अच्छा है। इसके अलावा अन्य जिलों में कोरोना की ग्रोथ रेट में निरंतर कमी आ रही है। इंदौर में कोरोना की ग्रोथ रेट 1.59 प्रतिशत है, वहीं भोपाल में यह 1.15 प्रतिशत है। ग्वालियर में कोरोना ग्रोथ रेट 0.51 फीसदी है। इसी प्रकार उज्जैन में कोरोना ग्रोथ रेट 0.51 फीसदी है।
मप्र स्वास्थ्य सचिव मो. सुलेमान का कहना है कि अब तक कोरोना के 55 फीसदी मरीजों को होमआईसोलेशन में रखा गया है तो वहीं 45 प्रतिशत मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। जबकि कोई दो माह पूर्व कोरोना मरीजों की संख्या इससे ज्यादा थी। लोंगों की जागरुकता के कारण यह कमी आई है।

यह है हकीकत –

इधर मैदानी हकीकत यह बंया कर रही है कि कोरोना संक्रमण से पहले की ही तरह लोग परेशान हैं। संक्रामित लोगों को अस्पाताल तक स्वंय ही जाना पड रहा हैं। कई अस्पतालों में समय पर बेड नहीं मिल रहे है। जबकि जिला अस्पतालों में अब गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू तक नहीं शुरू किए गए है। न ही अब कंटेंटमेंट जोन बनाए जा रहे है और जांच का दायरा काफी कम कर दिया गया है। इधर जागरूकता की कमी के चलते लोग भीड वाली जगहो पर भी मास्क नहीं लगा रहे है और न ही सोशलडिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है। जिन विधानसभा क्षैत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं वहां न तो लोग सोशलडिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही मास्क आदि लगा रहे हैं। लिहाजा आने वाले समय में बड़ी तादद में मरीज सामने आएंगे और इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि एक बार फिर से भयाभय स्थिति का सामना करना पड़े।

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