Madhy Pradesh

लोकसभा चुनाव के चलते ढाई माह में ही नई सरकार को दिखाना होगा प्रदर्शन, चुनावी वादों को लेकर परखेगी जनता

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम तीन दिसंबर को आने के साथ यह निर्धारित हो जाएगा कि सरकार में कौन बैठेगा। सरकार किसी भी दल की बने पर शुरू के ढाई माह उसके लिए बेहद चुनौती भरे होंगे। वजह, लोकसभा चुनाव के चलते जनता के सामने सरकार को अपना प्रदर्शन दिखाना होगा।

10 दिसंबर तक बन सकती है सरकार

मार्च के पहले पखवाड़े में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने की संभावना है। 10 दिसंबर के आसपास प्रदेश में सरकार बन सकती है। इस तरह देखा जाए तो लोकसभा चुनाव के पहले लगभग ढाई माह ही नई सरकार को कामकाज के लिए मिलेंगे। नियमित कार्यों के अलावा सरकार को यह दिखाना होगा कि घोषणा पत्र में उसने जो वादे जनता से किए हैं उन्हें पूरा करने की दिशा में क्या और किस गति से कदम बढ़ाया है।

भारी-भरकम वादों को पूरा करने का रहेगा दबाव

भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही दलों ने बड़े वर्ग को लुभाने वाली कई घोषणाएं की हैं, जिन्हें प्रारंभ करने को लेकर स्वाभाविक दबाव रहेगा। सत्ता में आने के लिए दोनों दलों ने जनता से भारी-भरकम वादे किए हैं। कांग्रेस ने लोक लुभावन कई घोषणाएं की हैं। सौ यूनिट बिजली बिल माफ और दो सौ यूनिट तक आधा, नारी सम्मान योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर माह डेढ़ हजार रुपये, पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर सहित 11 तरह की गारंटी देने की बात कही है।

अन्य राज्य की तरह मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने वादा किया है कि सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में इन पर मुहर लग जाएगी। वहीं, भाजपा ने लाड़ली बहना योजना में महिलाओं को हर माह मिलने वाले एक हजार 250 रुपये को धीरे-धीरे बढ़ाकर तीन हजार तक करने, लाड़ली बहनों को 450 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर, लाड़ली बहनों काे आवास, हर लोकसभा क्षेत्र में मेडिकल कालेज की स्थापना, गेहूं और धान के उपार्जन पर बोनस देने सहित 10 बड़ी गारंटी दी है।

सरकार बनते ही जनता उन घोषणाओं के पूरा होने की आस लगाएगी जिससे उसे आर्थिक मदद मिलने वाली है या उसकी जेब का खर्च कम होने वाला है। इन्हें पूरा करने के लिए बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता होगी। राज्य सरकार के ऊपर पहले से ही तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपये का ऋण है। ज्यादा कर्ज की वजह से कांग्रेस हमेशा ही भाजपा सरकार को घेरती रही है।

ऐसे में सरकार कोई भी हो पर ऋण लेना भी विपक्ष के लिए मुद्दा बनेगा। इस तरह नई सरकार चुनौतियाें से घिरेगी। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की घोषणाएं पूरा करने में लगभग 65 हजार करोड़ और भाजपा को अपने संकल्प पूरे करने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

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