कोर्ट की फटकार के बाद जागा मंत्रालय! अब पोषण आहार पर आज फेडरेशन से करेंगे फैसला
आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार वितरण पर दिए गए आदेश का पालन नहीं करने को लेकर इंदौर हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
जस्टिस एसएसी शर्मा और जस्टिस वीरेन्दर सिंह की युगल पीठ ने दो टूक कहा कि एमपी एग्रो को अब एक दिन के लिए भी आपूर्ति की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।
इस संबंध में मंगलवार को भोपाल में महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा है कि न्यायलय और सरकार के पोषण आहार पर स्पष्ट निर्देश हैं। इसी के तहत यह कार्य स्वसहायता समूह को देने का प्रयास किया जा रहा है, जिस पर आज फैसला फेडरेशन से करेंगे, इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
कोर्ट में पेश हुए थे प्रमुख सचिव…
अवमानना नोटिस के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कांसोटिया कोर्ट में पेश हुए। यहां उन्होंने कहा, हमने पुरानी व्यवस्था रोक कर नए टेंडर जारी कर दिए हैं, लेकिन इसे लागू करने में समय लगेगा, इसलिए एमपी एग्रो को कुछ दिन आपूर्ति करने दी जाए।
इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने सितंबर 2017 में आदेश दिए थे कि पुरानी व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से बंद कर 30 दिन में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक नीति बनाएं।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि नीति ऐसी हो कि किसी व्यक्ति विशेष को फायदा न हो। इस आदेश का पालन करने की बजाय सरकार ने एक रिव्यू पीटिशन दायर की और 30 दिन का और समय मांगा। इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं होनेे पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव को उपस्थित होने के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने सरकार की रिव्यू पीटिशन पर भी आपत्ति ली। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि सरकार को यदि रिव्यू पीटिशन लगानी थी तो किसी अन्य पीठ या सुप्रीम कोर्ट जाना था।
अफसरों को 2 अप्रैल को किया तलब :
हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में अधिकारियों को 2 अप्रैल को पेश होने के निर्देश दिए हैं। इनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और पोषण आहार का वितरण करने वाली एमपी एग्रो इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के प्रमुख भी शामिल हैं।