विज्ञान प्रसारक सारिका का नवाचार, मप्र में टोला टीचिंग
-सारिका घारू की टोला टीचिंग की अभूतपूर्व पहल
-विज्ञान प्रसारक सारिका ने हाईस्कूल के विद्यार्थियों के लिये बनाई विज्ञानगीतमाला
मध्यप्रदेश। राग दरबारी और मेघमल्हार का तो नाम सुना है लेकिन अब राग विज्ञान की नई अवधारणा लेकर नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञानप्रसारक सारिका घारू मध्यप्रदेश के सुदूर ग्रामों तथा आदिवासी टोलों तक निकल पड़ी हैं।
सारिका घारू इस नवाचार में न मोबाईल की जरूरत, न नेटवर्क और डाटा की समस्या और न ही टीवी देखने के लिये बिजली कटौती की चिंता। इसके बाद भी आम कक्षाओं से दूरी बनाने वाले विद्यार्थी भी सुर में सुर मिला कर गा रहे हैं और बता रहे है कि धातु में होती है चमक, अधातु में नहीं। धमनी और शिरा में अंतर, आदर्श ईधन के लक्षण, परावर्तन, अपवर्तन, सोलर कुकर, ओजोनपरत और कई खास टाॅपिक को गीतों में ढालकर मधुर स्वर में बच्चों के साथ गायन करके टोला मंजीरा के बच्चों को हाईस्कूल विज्ञान का पाठ पढ़ा रही हैं ।
नर्मदापुरम कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव की पहल पर सारिका उन गांवों ,टोलों में जाकर कोविड की नई गाईडलाईन का पालन करते हुये बच्चों को जब विज्ञान गुनगुनाने का नवाचार करती हैं तो आमतौर पर स्कूल से बंक करने वाला विद्यार्थी भी टोलाटींिचंग की क्लास में स्वयं आकर विज्ञान गुनगुनाने से अपने आप को नहीं रोक पाते हैं।
सारिका के इस नवाचार में 25 गीत गायन करके इनका वीडियो एलबम भी तैयार किया है जिसे विद्युत की उपलब्धता वाले गांवों में एक टीवी पर दिखाया जाता हैं ।
इस नवाचार में सारिका ने 25 विशाल पोस्टर तैयार किये हैं जिसमें किताबों की कठिन भाषा को दैनिक व्यवहार की भाषा में बदल कर पाठ्यसामग्री को समझाया गया है। इनमें प्रतीकात्मक रूप से टीचर को पढ़ाते दिखाया गया है ताकि बच्चों को विद्यालय का मनोविज्ञान मिल सके और वे गंभीर होकर पढ़ सकें।
बच्चों को राइटअप भी दिया जा रहा है ताकि कम समय में अधिक बच्चों तक विज्ञान को पहुंचाया जा सके। बच्चें बाद में रोटेशन में इस प्रिटेड सामग्री को अपने समूह के अन्य बच्चों को नोट करवा देते हैं।
भारत सरकार के केंद्रीय विज्ञान सचिव आशुतोष शर्मा ने सारिका के इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि ग्रामीण से छोटे शहरों तक स्कूल जाने वाले युवा दिमागों को प्रेरित करने और उत्तेजित करने के लिये विज्ञान की बहुत आवष्यक्ता है। गुनगुनायें साइंस एक असाधारण रूप ये प्रभावी, समर्पित, ग्रासरूट पर कार्य कर रहीं विज्ञान प्रसारक सारिका घारू का एक अद्भुत प्रयास है। इस नवीनतम पेशकश में उन्होंने विज्ञान को सरल रूप से बताने के लिये सार्थक और गायन योग्य गीत बनाया है।
उल्लेखनीय है कि सारिका विज्ञान प्रसारक होने के साथ ही प्रयाग विश्वविद्यालय से संगीत में उपाधि प्राप्त की है।
— कैसे है अलग टोला टीचिंग-
- बच्चों को गीली जमीन पर बिना दरी के न बिठा कर ग्रीन मेट पर फांेल्डिंग स्टूल पर बैठाया जाता है। मेट तथा फोल्डिंग स्टूल सारिका स्वयं अपने साथ लेकर टोले में पहुंचती हैं
अच्छे प्रदर्शन के आधार पर क्लास के बीच-बीच में बच्चों को मैडल पहनाये जाते है। इससे बाकी बच्चों में भी आगे आने की ललक पैदा होती है।
सारिका के अनुसार टोला क्लास में हाईस्कूल विज्ञान का लगभग 50 प्रतिषत परीक्षा में पूछा जाने वाला भाग समाहित है।
इस क्लास के लिये न मोबाईल, न नेटवर्क और न ही डाटा की जरूरत है।
ग्राम के बाकी लोगों को सार्वजनिक साउंड का प्रयोग जैसा कोई अवांक्षित ध्वनिप्रदूषण नहीं सुनाई देता है।
लगभग 180 वर्गमीटर में 20 बच्चों को बैठाया जाता है। अर्थात प्रत्येक बच्चे को 9 वर्गमीटर से ज्यादा की जगह दी जात है।
टींचिग में स्वैच्छा से शामिल होने वाले बच्चों का ताप भी लिया जाता है।
टीचिंग आरंभ होने के पहले बच्चों को मास्क सारिका स्वयं देती हैं तथा कोविड सबंधी वैज्ञानिक जानकारी देती है।