Madhy Pradesh

खूबसूरती बढ़ाने के लिए महिलाएं गालों पर लगाती थी खून

खूबसूरती निखारने के लिए प्लास्टिक सर्जरी या राइनोप्लास्टी जैसी तकनीक भले ही हम आज इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यह सदियों पुरानी विधा है। तकनीक के जरिए इसे अब आसान, सभी के लिए और पहले से भी ज्यादा बेहतर बना दिया गया है। आयुर्वेद में भी प्लास्टिक सर्जरी जैसी चिकित्सा का उल्लेख मिलता है। मिस्र के इतिहास में भी इस बात का जिक्र है कि वहां की महिलाएं अपने गालों पर खून लगाया करती थी, ताकि उनके गाल गुलाबी हो जाएं और उनकी शार्पनेस बढ़ जाए।

राइनोप्लास्टी को लेकर विज्ञान और तकनीक के साथ इतिहास की कुछ ऐसी ही जानकारियां शहर में शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिनी राइनोप्लास्टी सेमिनार में विशेषज्ञों ने साझा की। सेमिनार के वक्ता व लंदन से आए राइनोप्लास्टी एक्सपर्ट डॉ.संदीप पाउल ने बताया कि ईरान में सबसे ज्यादा राइनोप्लास्टी होती है। बात अगर इंदौर जैसे शहर की करें तो यहां भी पिछले दो सालों में राइनोप्लास्टी और प्लास्टिक सर्जरी को लेकर रूझान बढ़ा है।

वास्तव में राइनोप्लास्टी कराना अब आईफोन खरीदने जितना आसान और सस्ता हो गया है। सेल्फी का शौक, फिल्म इंडस्ट्री के सितारों की तरह दिखने की चाह में युवा इसमें ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। राइनोप्लास्टी कराने वाले सबसे ज्यादा अपनी नाक पर ध्यान देते हैं। माना जाता है कि नाक जितनी शार्प होगी खूबसूरती उतनी ही निखरकर आएगी और यही सोच युवाओं को इस कॉस्मेटिक सर्जरी की ओर आकर्षित कर रही है।

40 फीसदी लड़के भी करवा रहे राइनोप्लास्टी

सेमिनार में डॉ. ब्रजेंद्र बसेर ने बताया कि शहर के युवाओं में इसके प्रति रूझान बहुत बढ़ा है। इसे कराने वालों में 60 फीसदी लड़कियां और 40 फीसदी लड़के हैं। शहर में एक साल में प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों की संख्या 5 हजार तक पहुंच गई है और राइनोप्लास्टी कराने वालों की संख्या भी 400 का आंकड़ा पार कर रही है। ये कॉस्मेटिक सर्जरी 18 से 35 साल तक के युवा करा रहे हैं। शहर में 80 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक में यह सर्जरी हो रही है।

चमड़ी के रंग और आकार पर निर्भर है सर्जरी की तकनीक

विशेषज्ञों ने सेमिनार में बताया ये कॉस्मेटिक सर्जरी की तकनीक हमारी चमड़ी के रंग और उसके आकार पर निर्भर करती है। हर व्यक्ति पर एक सी तकनीक अप्लाई नहीं की जा सकती। महानगरों के बाद अब इंदौर, भोपाल जैसे शहरों में भी इसका चलन बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में सबसे ज्यादा दबी हुई नाक की सर्जरी की जाती है क्योंकि इसे कुष्ठ रोग का लक्षण समझा जाता है इसलिए लोग इसे जल्दी से जल्दी ठीक कराना चाहते हैं। सेमिनार में डॉक्टर्स को लाइव सर्जरी द्वारा तकनीक संबंधी जानकारियां भी विशेषज्ञों ने दी।

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