Madhy Pradesh

कोरोना काल में उपभोक्ता का ऑनलाईन शाॅपिंग की तरफ रूझान बढ़ा: प्रो. योगेश उपाध्याय

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”blue “]— डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा वर्चुअल राष्ट्रीय काॅन्फरेंस[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश। डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू द्वारा “COVID-19 : Emerging Challenges and Dimensions of Management” विषय पर चार दिवसीय वर्चुअल राष्ट्रीय काॅन्फरेंस के समापन में तृतीय टेक्नीकल सत्र में बीज वक्तव्य के रूप में बड़ौदा विश्वविद्यालय के प्रो. योगेश उपाध्याय ने कहा कि कोविड-19 परिदृश्य में उद्योगों द्वारा विपणन रणनीतियों में बदलाव किया गया है। कन्ज्यूमर व्यवहार में तीव्र गति से बदलाव आया है। असंभावित परिस्थितियों ने नए आयामों को जन्म दिया है। उपभोक्ता मूल्य और निष्ठा से सुसज्जित वस्तुओं के प्रति आकर्षित हुआ है। ऑनलाईन शाॅपिंग की तरफ रूझान बढ़ा है। आने वाले समय में वही उद्योग स्थापित रहेंगे जो इस वर्चुअल युग के अनुरूप ढलेंगे।

विशेष अतिथि, वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय, कोटा के डाॅ. पीके शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय डिजिटल माॅर्केटिंग का है। प्रौद्योगिकी ने माॅर्केटिंग के सभी आयामों का स्पर्श किया है। उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को माॅग के अनुरूप ऑनलाईन ही पूर्ण किया जा रहा है। कोविड-19 के युग में डिजिटल माॅर्केटिंग के द्वारा प्रोडक्ट्स की जानकारी कुछ ही मिनटों में ग्राहकों के पास पहुॅच रही है। वर्तमान समय में पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर ऑनलाईन एज्यूकेशन की मांग उत्पन्न हुयी है। डिजिटल माॅर्केटिंग में सोशल मीडिया एवं सर्चइंजन महत्वपूर्ण है।

पीपुल्स विश्वविद्यालय भोपाल के प्रबंधन संकाय के निदेशक डाॅ. समीर शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान में पूरा औद्योगिक क्षेत्र भौतिक विपणन से डिजीटल विपणन की ओर बढ़ा है। डिजिटल माॅर्केटिंग इंटरनेट पर डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले उत्पादों या सेवाओं का विपणन है, जिसमें मोबाईल फोन ऐप्स के माध्यम से प्रदर्शन विज्ञापन और किसी भी डिजिटल माध्यम का उपयोग शामिल है। आज के समय जहां लोगों की पंसद हर सेकेण्ड बदलती है वहां हमें माॅर्केटिंग के तरीके भी वहीं अपनाने चाहिए जिन्हें हम लोगों की पसंद के हिसाब से किसी भी समय बदल सकें।
सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रो. करूणेश सक्सेना ने ई-कस्टमर रिलेशनशिप मैंनेजमेंट विषय पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को समझकर पूरा किया जा रहा है। जरूरी है कि उपभोक्ताओं की आवाज को सुनते रहें। कम समय में डिजिटली अधिकतम उपभोक्ताओं से संपर्क कर उनके प्रोडेेक्ट एवं सर्विसेस की जानकारी दे पा रहें है। साथ ही सही दिशा-निर्देश उपलब्ध करा रहें है। इस तरीके से आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बढ़ा है। कस्टमर लाईफ टाइम वैल्यू का भी महत्व बढ़ा है। ग्राहकों की संतुष्टि की भूमिका महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि, जगन्नाथ इन्टरनेशनल मैनेजमेंट स्कूल, नई दिल्ली के प्रो. डी.के. वैद्य ने कहा कि वैश्विक महामारी ने प्रबंधन के समस्त आयामों को प्रभावित किया है। विशेषकर ग्राहकों की संतुष्टि के लिए माॅर्केटिंग की नई रणनीतियों को अपनाया जा रहा है। विपणन के विभिन्न पहलुओं जैसे उत्पाद, मूल्य, स्थान सभी में बदलाव आया है। ऑनलाईन उपभोक्ताओं की संख्या में तेजी से विस्तार हुआ है। तकनीकी निपुणताओं के साथ ही संचार निपुणताओं का महत्व बढ़ा है। वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए पाठ्यक्रमों में बदलाव की आवश्यकता है। विभिन्न उद्योगों द्वारा काॅपोरेट सोशल रिस्पाॅसिबिलिंटी के द्वारा समाज में समरसता का कार्य किया जा रहा है।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सिम्बाॅयसिस विश्वविद्यालय, इन्दौर के कुलपति प्रो. संजय कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि समस्या कितनी भी बड़ी हो समाधान उसमें नीहित होता है। चुनौतियों के साथ ही अवसर सामने आते हैं। वर्तमान विपरीत परिस्थितियों में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक तैयारी आवश्यक है। फिजिकल से डिजिटल माॅर्केटिंग समय की मांग है। डिजिटल प्लेटफार्म ने अपना स्थान बना लिया है। ग्राहक ही हमारे भगवान है, उनके संवेदनात्मक व्यवहार को महत्व देना होगा।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने अपने समापन सम्बोधन में कहा कि यह वर्चुअल काॅन्फ्रेरेंस निश्चित ही प्रबंधन के बदलते आयामों में नए मानकों को स्थापित करने की ओर कदम है। कोविड-19 की इस महामरी के दौर में जीवन के प्रबंधन को सिखाने का काम किया है। अब हमें अपने पाठ्यक्रमों में भी समयानुकूल परिवर्तन लाने होंगे।
प्रो. आर.के शुक्ला द्वारा प्रस्तावना वक्तव्य एवं स्वागत उद्बोधन ने कहा कि मार्केटिंग के नये आयामों पर चर्चा करने का समय है और समय के अनुसार बदलाओं को अपनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक प्रो. किशोर जाॅन द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम सचिव डाॅ. भरत भाटी एवं डाॅ. विशाल पुरोहित और कार्यक्रम में तकनीकी रूप से डाॅ. रश्मि जैन, डाॅ. मनोज गुप्ता एवं श्री शंकर गोहिल ने सहयोग दिया।

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