Madhy Pradesh

MP POLITICS : कांग्रेस ने निकाय चुनाव में किया बेहतर, तो बढेगी ताकत

– निकाय चुनाव के रणनीति बनाने में जुटी कांग्रेस
मध्यप्रदेश। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों की तारीखें कभी भी घोषित हो सकती है। कांग्रेस ने निकाय चुनाव में उपचुनावों में मिली हार की भरपाई करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए माना जा रहा है कि कांग्रेस निकाय चुनावों में इस बार जमीनी स्तर के नेताओं को चुनावी मैदान में उतारेगी। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को भी मौका मिल सकता हैय यदि कांग्रेस निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसकी ताकत प्रदेश में और बढेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले निकाय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है। बेहतर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस में कई स्तरों पर मंथन किया जा रहा है। टिकट वितरण पर खासा ध्यान दिया जाएगा। कांग्रेस से जुडे सूत्रों का कहना है कि इस बार कांग्रेस एक जुट होकर प्रदेश भर में निकाय चुनावों में मैदान में उतरेगी और कमलनाथ सरकार में किये गए कार्यो को भी मतदाताओं के सामने रखेगी। हालांकि कांग्रेस के कददावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के वजह से ग्वालियर चंबल क्षे़त्र के अलावा प्रदेश भर में उनके समर्थक भी भाजपा में चले गए है, उसकी भरपाई भी कांग्रेस को करना है।
बीजेपी में टिकट की मारामारी
प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में सत्ताधारी दल है। ऐसे में चंबल, मालवा, विध्य क्षेत्र में भाजपा में निकाय में अध्यक्ष पद के दावेदारों की संख्या अधिक है और टिकट अधिक मारामारी है। सियासी सूत्रों की माने तो भाजपा में प्रत्येक निकाय में अध्यक्ष पद के लिए करीब आधा दर्जन पार्टी के कार्यकर्ता और नेता टिकट के लिए दावेदारी जता रहे है। ऐसे में बीजेपी में भीतर घात का अंदेशा भी बढता जा रहा है। यदि बीजेपी सामजस्य नहीं बैठा पाई तो बीजेपी की यह कमजोरी कांग्रेस के लिए फायदे बंद हो सकती है।
बागी भी हराते है कांग्रेस को
निकाय चुनावों में कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद बगावत के सुर अधिक देखे जाते हैए प्रदेश की अधिकांश निकाय में अध्यक्ष के पद के लिए कांग्रेस से बगावत कर उनके ही नेता या पिफर कार्यकर्ता निर्दलीय रूप में चुनावी मैदान में उतर जाते है। इससे कांग्रेस के अधिक्रत उम्मीदवारों को हार का सामना करना पडता है, जबकि बीजेपी में इस तरह की स्थित नहीं बनती है। कुल मिलाकर इस बार के निकाय चुनावों में यह देखना काबिले गौर होगा प्रदेश में होने वाले इन चुनावों में निकाय चुनावों में किस पार्टी से कितने बागी मैदान में उतरते है।
अन्य दलों के वोटर भी बिगाडते हैं गणित
प्रदेश में भाजपा कांग्रेस के अलावा बसपा और अन्य स्थानीय दल विधान सभा चुनावों में तो अपनी भूमिका निभाते हुए चुनाव लडते है पर निकाय चुनावों में वह ज्यादा स्थानों पर अपने उम्मीदवारों को नहीं उतार पाते है। ऐसे में इन पार्टियों से जुडे वोटर निकाय चुनाव का गणित बिगाड देते है। यह वोटर भी जिस करवट बैठते उस तरफ ही जीत चली जाती है। इस बार स्थानीय दलों के कितने उम्मीदवार चुनावी समर में उतरेंगे यह तो वक्त ही बताएगा। पर प्रदेश में निकाय चुनाव की राह इस बार इतनी आसान नहीं है।

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