अजित जोगी से याद आया….खबर का खंडन
[mkd_highlight background_color=”” color=”RED”] कीर्ति राणा[/mkd_highlight]
बात उन दिनों की है जब छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे और अजित जोगी का पूर्व सीएम की हैसियत से इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम था।प्रश्न पूछने की मेरी बारी आई तो मैंने हीरा खनन से जुड़ी डीबीयर्स कंपनी और रमन सिंह सरकार से जुड़ा प्रश्न पूछ लिया।(सरकार और इस कंपनी के बीच हीरा खदान संबंधी एमओयू इंदौर की सयाजी होटल* में साइन हुआ था)।
शायद जोगी भी ऐसे किसी प्रश्न का इंतजार कर रहे थे जिसमें वह छग सरकार के मुखिया को घेर सकें।उन्होंने कंपनी से रमन सिंह की मिलीभगत के आरोप लगाए और चूंकि मेरे प्रश्न पर बोले थे तो मैंने खबर भी उसी प्रश्न से उठाई, संपादक श्रवण गर्ग जी ने पेज वन पर डबल कॉलम में लगाई भी।
अगले दिन शाम को ऑफिस पहुंचा तो संपादक ने केबिन में बुला लिया।बताया कि सुधीर भाई साब (एमडी) पूछ रहे हैं खबर के संबंध में।मैंने कहा आप को तो पता है ना प्रेस से मिलिए कार्यक्रम था उसमें बोले हैं जोगी।उनका कहना था आप बात करिए सुधीरजी से।
मैंने उन्हीं के केबिन से बात की फोन पर। सुधीर जी का कहना था जिस तरह आप ने लिखा है बाकी अखबारों ने तो ऐसा नहीं लिखा है। मेरा जवाब था, मेरे प्रश्न का जवाब दिया था तो मैंने उसी से खबर बनाई है और दूसरे अखबार वाले उस तरह से क्यों लिखेंगे।उन्होंने पूछा आप वाली बात बाकी अखबारों ने छापी है क्या, देख कर बताइए।
मैंने सारी चर्चा संपादक को सुनाई, उनका कहना था जाइए, फाइल में देखिए बाकी अखबारों ने क्या छापा है, मुझे बताइए।मैंने प्यून से उस दिन के अखबारों की फाइल मंगवाई और नईदुनिया, नवभारत, स्वदेश, इंदौर समाचार आदि अखबारों में छपी अजित जोगी वाली खबर में मेरे प्रश्न के जवाब में जोगी ने जो कहा था उन लाइनों को तलाशा, अंडर लाईन किया और फाइल ले जाकर संपादक को दिखा दी।उनका कहना था सुधीर जी से आप ही बात करिए और उन्हें बताइए।
मैंने उनसे बात की, उनका कहना था मुझे फैक्स कर दीजिए।संपादक जी को बताया तो उनका कहना था आप कर दीजिए। सारे अखबारों से कतरन काटी और उन्हें फैक्स कर दिया।संपादक जी को बताया कि फैक्स कर दिया है, वे बोले सुधीर जी को बता दीजिए।कुछ देर बाद जब सुधीर जी को फोन किया और जानकारी दी कि फैक्स कर दिया है। उनका कहना था मैंने सारे अखबारों की कटिंग देख ली है, तुम्हारी गलती नहीं है, अजित जोगी का स्लीप ऑफ टंग है (उनकी जुबान फिसल गई)। मैंने कहा भाई साब ये जोगी जी का स्लीप ऑफ टंग हो सकता है मेरा स्लीप ऑफ पेन ( मेरी कलम नहीं फिसली है) नहीं है।
सुधीर जी ने कहा हां तुम ठीक हो लेकिन फिर भी हमें इस खबर को लेकर जोगी जी का खंडन छापना पड़ेगा। मैंने कहा आप जैसा उचित समझें।पेज वन पर जोगी की खबर छपी थी और पेज वन पर ही सिंगल कॉलम में खबर का खंडन छपा जिसमें जोगी के हवाले से कहा गया था कि मैंने ऐसा नहीं कहा था, मेरे कथन को तोड़-मरोड़ कर प्रकाशित किया गया।
सयाजी होटल में कंपनी और सरकार के बीच एमओयू पर साइन की औपचारिकता वाला समारोह हुआ था।हीरा कंपनी की ओर से मुख्यमंत्री को जो पेन साईन करने के लिए दिया गया था।उस पेन के ढक्कन वाले क्लिप को लेकर खूब चर्चा चली थी कि उस क्लिप के ऊपर महंगा हीरा लगा था।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती जैसे आरोप तब तक लगते रहे जब तक छग में जोगी के हाथ में कांग्रेस की कमान रही। इस बार यदि रमन सिंह तो दूसरे चुनाव में जोगी सीएम बनेंगे यह छग में सभी जानते थे।नेता प्रतिपक्ष रहते भी अजित जोगी के रुतबे में कोई कमी नहीं रही। यही नहीं झीरम घाटी में हुए भीषण नर संहार जिसमें महेंद्र कर्मा, वीसी शुक्ल आदि नेता शहीद हुए उसमें अजित जोगी का बच जाना भी चर्चा में रहा था, हांलाकि जांच में जोगी की लिप्तता जैसे कोई प्रमाण उजागर नहीं हुए थे। जोगी को कांग्रेस से निकालने के बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है।जोगी जी ने क्षेत्रीय पार्टी गठित कर चुनाव लड़ा जरूर था लेकिन उनकी पार्टी का प्रभाव नजर नहीं आया।