कोरोना वारियर्स की संक्रमण से मौत के बाद भटक रहा परिवार
शासन से अब तक नहीं मिली परिवार को कोई सहायता
भोपाल। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में जहा कई कोरोना वारियर्स ने अपनी जानी की बाजी लगाकर दूसरों की जान बचाकर अपना धर्म निभाया, लेकिन जब खुद के परिवार पर ही संकट गहराने लगा तो कोेई भी मदद को आगे नहीं आया। खुद प्रसाशन और सरकार ने भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया। दअरसल मामला सीहोर जिले के नसरूल्लागंज क्षेत्र का है। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के अंतर्गत क्षेत्र में दूसरे प्रदेश से आए हुए मजदूर लाक डाउन लगने के कारण अपने-अपने प्रदेश नहीं जा पा रहे थे। उस दौरान मजदूर यहीं पर फस चुके थे।मजदूर नर्मदा तटों पर रहने को मजबूर थे। उस समय मजदूरों की खाने पीने की व्यवस्था खाद्य विभाग की ओर से की गई थी। एक माह तक इस व्यवस्था का जिम्मा मार्केटिंग सोसायटी के सेल्समैन जीवन सिंह पंवार को दी गई थी। श्री पंवार ने भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। इस के साथ-साथ ही क्षेत्र के गरिब परिवारों के घर जाकर खाद्यान्न वितरण भी किया गया था। वही कंटेनमेंट जोन में अधिकारियों के मार्गदर्शन में व्यवस्था भी संभाली थी। सेल्समैन जीवन पंवार कि पिछले दिनों भोपाल के चिरायु अस्पताल में कोरोना की चपेट में आने से मौत हो गई।
परिवार आर्थिक मदद के लिए भटकने को मजबूर
दुखद घटना के बाद शासन की तरफ से परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं कराई गई जबकि देखा जाए तो मृतक को कोरोना वारियर्स के रूप में प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए थी। मृतक की पत्नी माया बाई पंवार ने बताया कि अब उसके सामने कोई विकल्प नहीं है। आर्थिक मदद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है इस संबंध में क्षेत्र के समस्त उचित मूल्य दुकान विक्रेताओं ने विगत दिनों मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया। समस्त सेल्समैनो ने ज्ञापन में मांग की गई कि खाद्यान्न वितरण करते समय अचानक तबीयत खराब हो गई थी जिसके बाद उनकी भोपाल हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई। उनके परिवार में पत्नी दो बैटे है।
अब मुख्यमंत्री से है आस
मृतक की पत्नी माया बाई ने बताया कि मदद के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों से गुहार लगा चुके है, लेकिन अब तक किसी ने भी परिवारी सुध नहीं ली है। अब प्रदेश के मुखिया से ही उम्मीद बची है। मदद को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहाने से गुहार लगा कर न्याय की मांग करेगें।