Madhy Pradesh

अ​धिकारियों की लापरवाही भारी न पड जाएं, कोरोना को अब भी ले रहे हल्के में….

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कमलेश पण्डेय[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश के 28 जिलों में कोरोना का संक्रमण फैला चुका है। कुछ जिले ही ग्रीन जिलों में शामिल है। इंदौर,भोपाल ,खरगौन के हालात खाराब है। यहां तक कि कुछ बहुत छोटे जिले जिसमें रायसेन भी शामिल यहां भी लगातार केस संख्या बढ रही है। इसके बाद भी सरकारी अधिकारी,कर्मचारी ही लापरवाह और बेपरवाह बने हुए है। कई अधिकारी और कर्मचारी अभी भी अन्य जिलों में अवागमन कर रहे है। कुछ दूसरे जिलों से घर आने के बाद एंकातवास का पालन नहीं कर रहे और प्रशासन को जानकारी भी देते। वहीं सोशल डिस्टेसिंग का पालन सरकारी महकमें के लोग करना ही नहीं जानते,मास्क को सिर्फ फेशन के तौर पर गाले में लटकाया जा रहा है। ऐसे में आम लोगों से क्या उम्मीद की जाएगी। यही चलता रहा तो आने वाले समय में मप्र को संभालना मुश्किल होगा।

— इस मामले से समझें हो क्या रहा…

प्रधानमंत्री सड़क योजना कार्यालय के महाप्रबंधक एफजे खान की लगभग 7 दिन पहले अपने मूल शहर विदिशा से लौटने के बाद टीकमगढ़ होते हुए छतरपुर आए एफजे खान बिना क्वारंटाइन किए कई बार दफ्तर जाते रहे। विगत दिनों जब कर्मचारियों एवं उनकी कॉलोनी ग्रीन एवेन्यु में रहने वाले लोगों ने यह जानकारी प्रशासन को दी तब कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के निर्देश पर एफजे खान को जिला अस्पताल में आईसोलेट किया गया। शनिवार को कोरोना जांच के लिए उनका सेम्पल भी जबलपुर लेब भेजा गया है। हालांकि उनमें कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं है फिर भी कई जिलों की यात्रा से लौटने के बावजूद क्वारंटाइन एवं सोशल डिस्टेसिंग का पालन न करने वाले एक बड़े अधिकारी की यह गलती खतरनाक साबित हो सकती है। जबकि एफजे खान का कहना है कि मैं विभागीय निर्देशों और अनुमति के तहत टीकमगढ़ से छतरपुर आया था एवं स्क्रीनिंग कराने के बाद घर में ही सेल्फ क्वारंटाइन कर रहा था।

इस तरह के कई मामले है जिसमें अधिकारी और कर्मचारी कोरोना माहामारी के नियमों का पालन नहीं कर रहे है। जिसके परिणाम खतरनाक हो सकते है। कार्यालयों में अब भी सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है,मास्क सिर्फ दिखाने के लिए लब्कए जा रहे है। कहीं कोई गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है। सिर्फ सरकार के सामने नंबर बढाने के लिए कागजों पर काम हो रहा है।

— ग्रीन जिलों में बेहद लपरवाही…

मप्र में कुछ जिले ग्रीन जिलों में शामिल है। यहां अब तक एक भी कोरोना संक्रामित पॉजिटिव केस नहीं आया है। इन जिला में अब ऐसा महौल हो गया कि कोरोना अब यहां आयेगा ही नहीं…। प्रशासन ने इस तरह से छूट दे दी कि बाजार से लेकर गली महोल्लों में मेला लग रहा है। यहां भी सोशल डिस्टेसिंग ​जैसा कुछ नजर नहीं आता है। इन जिलों में गुपचुप तरह से अन्य जिलों से लोग आ रहे है। ग्रीन जिलों की सीमाएं सिर्फ नाम के लिए सील है।

— जहां कम मरीज वहां भी गंभीरता नहीं…

प्रदेश के कुछ ऐसे जिले जहां कम मरीज है, और कोरोना संक्रामण फैलाने की गति काफी कम है ऐसे जिलों में भी अधिकारी,कर्मचारी और आम लोग संक्रामण को लेकर गंभीर नहीं है। पहले के ही तरह दुकानों पर भीड है। सब्जी मंडी में ग्राहकों का मेला लगा है। सडक पर लोग घुमने निकल रहे है। प्रशासन ऐसे जिलों में भी लॉकडाउन का सही तारीके से पालन नहीं करवा रहा है।

— प्रदेश सरकार जल्दबाजी में  कर रही बडी गलती…

कोरोना संक्रामण के शुरूआती दौर में जिस तरह से प्रदेश के हेल्थ विभाग ने लापरवाह और बेपरवाह हो काम किया,ठीक उसी तरह अब प्रदेश सरकार कर रही है। प्रचार और प्रसार पर जितना ध्यान दिया जा रहा है उतना जमीन पर कुछ नहीं है। सरकार ने इंदौर, भोपाल को छोडकर अन्य जिलों में उपार्जन केंद्र शुूरू कर दिए,कृषि मंडियो में व्यापारी किसानों से खरीदी कर रहे है। केंद्र सहित कृषि मंडियों की तस्वीर बता रही है कि आने वाले समय में प्रदेश के क्या हाल ठीक वैसे ही जैसे हेल्थ विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के हुए। लगभग पूरा विभाग ही संक्रामित हो गया।

— प्रदेश की जनता ​को ही समझना होगा…

अब सिर्फ लोग ही कोरोना वायरस से आपने आप को बचा सकते है, सरकार क्या कर रही और क्या करेगी यह सब छोडें और अपने घर ,महोल्लें,कालोनी,गांव,याहर को बचाने के लिए काम करें। लॉकडाउन का जितना अधिक सख्ती से पालन किया जाएगा उतना आप बचें रहेंगे। हर हाल में घर में रहें, बाहर बिल्कुल भी नहीं निकलना है। मास्क लगाना ही है,हाथ बार बार धोना ही है। सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाए। अपने घर,महोल्लों,कालोनी,गांव, शहर में बाहरी व्यक्तियों को न आने दें न आप कहीं जाए। अपने घर,होल्लों,कालोनी,गांव, शहर को सख्ती से सील कर लिजिए। मोबाइल पर एक दूसरे से संपर्क बनाए रखे। किसी को आपातकाल में जरूरत हो तो नियमों का पालन करते हुए सहयता करें। कोरोना संक्रामण की गंभीरता को समझना ही होगा,नहीं तो बहुत देर हो जाएगी और सिवाए पछताने के कुछ हाथ में नहीं रहेगा। पुलिस और स्वास्थ्यकर्मी और सफाई कर्मी का हर हाल में सहयोग कीजिए इस समय सिर्फ यह लोग ही है जो आपके लिए काम कर रहे है।

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