कोरोना दवाइयों और पीडितों के नाम पर ऑनलाईन वित्तीय ठगी से बचाव के लिए सायबर पुलिस की सलाह
मध्यप्रदेश। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य सायबर योगेश चौधरी ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि वर्तमान कोरोना महामारी का फायदा उठाते हुये सायबर अपराधी विभिन्न सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से कोरोना की दवाईयों व कोरोना पीडितों के नाम पर ऑनलाईन वित्तीय ठगी कर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। अपराधी अपने मोबाईल नम्बर को विभिन्न प्रचार माध्यम, सोशल मीडिया तथा सर्च परिणाम के द्वारा प्रचारित करते है तथा कोरोना के इलाज में युक्त दवाईयाँ, इंजेक्शन की आपातकालीन प्रदाय करने वाली संस्था होने का दावा करते है। उस नम्बर पर बात करने पर सामग्री प्रदाय हेतु राशि एडवांस में किसी एकाउंट में डलवाकर, सामग्री न प्रदाय कर पीड़ित व्यक्ति के साथ ठगी की जाती है।
अपराधी किसी कोरोना पीडित व्यक्ति की तस्वीर व्हाट्सएप ग्रुपों में डालकर यह बताते हैं कि यह उनके मां-पिता या भाई-बहन हैं, इनके उपचार के लिये उनके पास पैसा नहीं है और खाते की जानकारी देकर पैसा मांगते हैं। ऐसा देखने में आया है कि कई लोग सेवाभाव में ऐसे अकाउंट में पैसा डाल देते हैं, जबकि ऐसा कोई व्यक्ति कहीं किसी अस्पताल में भर्ती होता ही नहीं है। वे सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को बताते है कि उनके पास आक्सीजन कंसन्ट्रेटर व आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है और वे शीध्र डिलीवरी आप तक पहुंचाने की जवाबदारी लेकर आपसे किसी अन्य अकॉउट में पैसे डलवा लेते हैं तथा संपर्क से बाहर हो जाते है। ऐसे कई माध्यमों से लोगों के साथ आर्थिक धोखाधड़ी के अपराध बढ़ रहे हैं।
श्री चौधरी ने कहा कि इन प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि जब तक की आपको पुष्टी न हो जाये कभी भी किसी अन्जान व्यक्ति के अकॉउंट में पैसे ट्रासफर न करें। न ही ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा भेजी गयी किसी लिंक पर क्लिक करें। सोशल मीडिया अथवा अन्य संचार माध्यमों से ऑक्सीजन, लॉजिस्टिक दवाइयाँ तथा इजेक्शन के लिये सर्च करने पर दिखाई देने वाले किसी भी नम्बर पर विश्वास न करें एवं राशि जमा करने के पूर्व उस संस्था तथा दावे का सत्यापन कर लेना उचित है। किसी भी प्रकार की दवाइयां , इंजेक्शन, कंसन्ट्रेटर, आक्सीजन आदि ऑनलाइन मंगाने के लिये उनकी कंपनी के नाम वाले अकॉउंट में ही पैसा डालें, किसी भी व्यक्ति के पर्सनल खाते में नहीं। हो सके तो कैश ऑन डिलीवरी ऑप्शन ही चुनें। पहले पुष्टि कर लें कि ऐसा कोई व्यक्ति किसी अस्पताल में वाकई एडमिट है या नहीं। ऐसा करने के लिये आप उस अस्पताल की वेबसाइट पर जाकर उस पर दिये नम्बरों पर बात करके जानकारी ले सकते हैं। यदि आपके साथ ऐसा कोई अपराध हो तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Toll Free नम्बर 15526 पर करें।