PM की मंडला यात्रा पर कांग्रेस का तंज, कहा- मोदी को नहीं पता मनरेगा की हकीकत
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला से देश भर की पंचायती संस्थाओं से संवाद किये, जिस पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह दुर्भाग्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक लोकप्रिय योजना मनरेगा में भ्रष्टाचार को रोकने की मध्यप्रदेश सरकार की असफलता से पीएम पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।
कांग्रेस ने मांग की है कि कि प्रधानमंत्री मनरेगा के भ्रष्टाचार की गंभीरता से जांच कराएं और लोकपाल की नियुक्ति पर विधिसम्मत कार्रवाई करें। जिसके तहत कुल 51 जिलो में 51 लोकपालों की नियुक्ति हो और निर्धारित समय में शिकायतों का निराकरण हो। साथ ही कांग्रेस ने याद दिलाया कि मनरेगा के तहत नर्मदा बेसिन में एक करोड़ से अधिक वृक्षारोपण किया गया था, जिसकी जांच भी लोकायुक्त को करनी चाहिए।
मनरेगा भ्रष्टाचार में सीधी के नाम है विश्व रिकॉर्ड
मध्यप्रदेश मनरेगा भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात रहा है, जिसमें 31 जून 2007 को सीधी में भुगतान का विश्व रिकॉर्ड बनना भी शामिल है। बता दें कि इस समय प्रदेश के 51 जिलो में मनरेगा में आर्थिक तौर पर कमजोर मजदूरों का शोषण रोकने और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए सिर्फ 12 मनरेगा लोकपाल काम कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर सक्रिय ही नहीं हैं।
चार सालों में मुख्यमंत्री ने नहीं की कोई बैठक
कांग्रेस आईटी सेल के अध्यक्ष अजय दुबे कहते हैं कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मनरेगा की साधारण सभा के अध्यक्ष हैं, लेकिन पिछले चार साल से उन्होंने इसकी बैठक नहीं ली। मुख्य सचिव भी मनरेगा के संचालक मंडल के प्रमुख हैं, पर मनरेगा की स्थिति बदहाल है, जबकि मनरेगा कानून के तहत हर राज्य सरकार को मनरेगा में आर्थिक और प्रशासनिक गड़बडियों की जांच हेतु हर जिले में लोकपाल का प्रावधान किया गया है।
2008 से लंबित हैं लोकपाल की नियुक्तियां
मध्यप्रदेश सरकार ने 2008 से लोकपाल की नियुक्ति लंबित रखा गया है, लगातार संघर्ष के बाद 2012 में लोकपाल की नियुक्ति सिर्फ सात संभागीय समिति को मप्र में काम सौंपा गया, जो न केवल कानूनी तौर पर गलत था, बल्कि मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण को छुपाने की साजिश थी।
21 की जगह केवल 12 पदों पर पदस्थ हैं लोकायुक्त
अजय दुबे ने बताया कि आज मध्यप्रदेश में भोपाल-नर्मदापुरम, इंदौर, रीवा-शहडोल, जबलपुर, सागर, ग्वालियर-चम्बल और उज्जैन के 51 जिलो में कुल 21 पदों में केवल 12 पद पर लोकायुक्त पदस्थ कर उन्हीं के जरिए मनरेगा में अनियमितता को रोकने की कागजी कार्रवाई चल रही है। अब तक प्रदेश में कुल 320 शिकायतें आयी हैं, जिनमे 230 लंबित है। किसी भी शिकायत पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई। बुंदेलखंड में जहां सर्वाधिक पलायन होता है, वहां कुल 39 शिकायतों में सभी लंबित हैं।