हिट एंड रन पर सुलझा गतिरोध, ट्रक हड़ताल खत्म; चर्चा के बाद ही नए प्रविधान लागू करने का आश्वासन
एआइएमटीसी की कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने कहा यह कानून अभी तक लागू नहीं हैं। हम यह कानून लागू नहीं होने देंगे। उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में ट्रक चालकों की अघोषित हड़ताल के बाद सरकार ने एआइएमटीसी के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया था। एआइएमटीसी पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार से हिट एंड रन के नए प्रविधान तत्काल वापस लेने की मांग की थी।
एआइएमटीसी के पदाधिकारियों और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के बीच मंगलवार देर शाम बातचीत के बाद सरकार और इस संगठन ने सभी वाहन चालकों से अघोषित हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की। बैठक के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि अभी नए कानून लागू नहीं हुए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) को लागू करने से पहले एआइएमटीसी से विचार-विमर्श किया जाएगा और इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
एआइएमटीसी की कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने कहा, ‘यह कानून अभी तक लागू नहीं हैं। हम यह कानून लागू नहीं होने देंगे।’ उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में ट्रक चालकों की अघोषित हड़ताल के बाद सरकार ने एआइएमटीसी के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया था। एआइएमटीसी पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार से हिट एंड रन के नए प्रविधान तत्काल वापस लेने की मांग की थी। उनकी दलील है कि ये प्रविधान ड्राइवरों का काम मुश्किल करेंगे और इनके डर से ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ रहे हैं।
बता दें कि आइपीसी में ऐसे मामलों में दो वर्ष की सजा का प्रविधान था। एआइएमटीसी के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का दावा था कि राज्यों में ट्रक एसोसिएशनों की स्वत:स्फूर्त हड़ताल के कारण 60 से 70 प्रतिशत ट्रक नहीं चले। बताते चलें कि हड़ताल के चलते पश्चिमी और उत्तर भारत में लगभग दो हजार पेट्रोल पंपों पर स्टाक खत्म हो गया था या खत्म होने की कगार पर था।
मीडिया से कहा, विषय को जटिल नहीं बनाएं
सरकार से वार्ता से पहले प्रेस कांफ्रेंस में हड़ताल के औचित्य और सड़क सुरक्षा के गंभीर मसले को लेकर उठे सवालों पर एआइएमटीसी पदाधिकारियों ने मीडिया को नसीहत दी कि वे इस मामले को जटिल न बनाएं। उन्होंने इन सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि हिट एंड रन पर अधिकतम सख्ती तो तभी होगी जब दोषी ड्राइवर पुलिस अथवा मजिस्ट्रेट को सूचना नहीं देंगे, अभी तो केवल कानून बना है और इसके नियम तक नहीं बने हैं, फिर उनकी आशंका किस बात को लेकर है। सड़क सुरक्षा का मसला भारत के लिए बहुत गंभीर है, जिसमें केवल हिट एंड रन के मामले ही 50 प्रतिशत से ज्यादा हैं, अगर ये प्रविधान सख्त हैं तो उनकी नजर में इसमें क्या सुधार होना चाहिए आदि-आदि।