गर्भवती की उपचार के दौरान मौत के एक माह बाद दर्ज हुआ मामला
निजी अस्पतालों में अप्रशिक्षित डॉक्टरों के हाथ में है क्षेत्र के मरीजों की जान
फर्जी अस्पताल और अप्रशिक्षित चिकित्सकों की है भरमार
चंद पैसों के लिए मरीजों की जान को लगा देते है दाव पर
मध्यप्रदेश। गत दिनों सीहोर जिले के आष्टा नगर के पुष्प कल्याण अस्पताल में हुई जच्चा व बच्चा की मौत के बाद परिजनों एवं नागरिकों के आक्रोश के बाद आखिरकार उक्त अस्पताल की दो महिला चिकित्सक एवं एक नर्स के विरूद्व एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें उल्लेख किया गया की कहीं न कही उक्त दोनों मौतों में अस्पताल प्रबंधन की भूमिका भी रही। सवाल यह है की नागरिकों के आक्रोश के बाद मौत के जिम्मेदारों के विरूद्व मामला तो दर्ज किया गया है। लेकिन क्या इसी तर्ज पर संचालित हो रहे अन्य निजी चिकित्सालयों की भी जिम्मेदारों द्वारा कोई छानबीन की जायेगी या फिर किसी और प्रतिक्षा की मौत का इंतजार किया जायेगा।
विदित है की 10 दिसम्बर को आष्टा निवासी मृतका प्रतिक्षा शर्मा को परिजनों द्वारा प्रसव हेतु सेमनरी रोड स्थित निजी अस्पताल पुष्प कल्याण केन्द्र में लेजाया गया था। जहां परिजनों ने आरोप लगाया था की अनुभहीन महिला नर्स व चिकित्सकों द्वारा प्रसव के दौरान की गई लापरवाही के कारण जच्चा व बच्चा दोनों की मौत हो गई थी। इस मौत के बाद नागरिको में आक्रोष की स्थिति पैदा हो गई थी एवं नागरिकों ने एकत्र होकर जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के विरूद्व कार्रवाई की मांग प्रशासन से की थी।
दर्ज हुआ मामला
नागरिकों के आक्रोश देखते हुए 27 दिन लंबी चली जांच के बाद आखिरकार सभी तथ्यों की जांच के बाद जिला स्तर पर गठित जांच दल ने पुष्प कल्याण अस्पताल के प्रबंधन को इन दोनों मौतों के लिए जिम्मेदार मानते हुए फरियादी गिरीष शर्मा द्वारा दिये गए आवदेन के आधार पर अस्पताल में कार्यरत डाॅ हरमेन जोसेफा,डाॅ साबीहा एवं नर्स लारेन के विरूद्व मामला दर्ज किया गया। दर्ज एफआरआई में माना गया की उपचार करने वाली डाक्टर अनुभहीन थी। एफआरआई में यह भी उल्लेख किया गया है की नर्स लारेन द्वारा गलत इंजेक्षन मृतका को लगाया गया था। एफआरआई में सबसे बडा तथ्य यह है की अस्पताल में कोई भी निश्चेतना विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं थी और यहां गंभीर कार्य अप्रशिक्षित नर्स के द्वारा किया जा रहा था जिससे उक्त मौतें हुई। पुलिस द्वारा तीनों के विरूद्व धारा 304 ए के तहत मामला दर्ज किया गया। खबर लिखे जाने तक किसी की गिरफतारी नहीं हो सकी थी।
कब तक चलेगा सिलसिला
प्रतिक्षा शर्मा एवं गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद भी जिम्मेदारों नींद अभी शायद नहीं खुल सकी हैै। इसी का कारण है की नगर एवं आसपास संचालित लगभग एक दर्जन से भी अधिक निजी चिकित्सालयों की कोई जांच नहीं की गई है। इन निजी चिकित्सालयों की स्थिति यह है की मात्र फस्र्टएड का कोर्स करने वाले नौसिखियों द्वारा गंभीर उपचार भी किया जा रहा है। अनुभवहीनता के कारण कई लोग आसामियक मौत का शिकार हो चुके है। हालात यह है की इन चिकित्सालयों में अल्प समय का स्वाथ्य प्रशिक्षण लेकर आये नौसिखियों को प्रबंधन की जिम्मेदारियां सौंप दी गई, जो लोगों की मौत का कारण बन जाती है।
इन पर कब होगी कार्रवाई
ऐसा नहीं है की जिम्मेदारों को निजी अस्पतालों में चल रहे इस गौरख धंधे की जानकारी न हो, लेकिन निजी चिकित्सालयों के प्रबंधन के प्रभाव के चलते जिम्मेदारों द्वारा यहां अपनी आंखे मूंद ली जाती है। जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पडता है। क्षेत्र में संचालित इन निजी अस्पतालों में उपजार के लिए भर्ती मरीजों के परिजनों से फीस तो मनमानी वसूली जाती है, लेकिन सुविधाएं उस अनुपात में नहीं होती है। यदि प्रशासन द्वारा इन निजी चिकित्सालयों की निश्पक्ष जांच की जाये तो कई लापरवाहियां सामने आ सकती है। अब देखना यह है की प्रतिक्षा शर्मा की मौत के बाद प्रशासन की संवेदना कब जागती है।
क्या कहते है जिम्मेदार
प्रसव के दौरान जच्चा एवं बच्चा की हुई मौत के बाद जिला स्तर पर एक जांच समिति का गठन किया गया। जिसमें जांच के बाद लापरवाही पाये जाने पर एफआईआर दर्ज की गई है।
रवि वर्मा, डिप्टी कलेक्टर सीहोर