Madhy Pradesh

कांग्रेस की गौशालाओं को भाजपा गौशाला केबिनेट से देगी जबाब

मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ-केबिनेट के गठन का निर्णय लिया है। इस केबिनेट में पशुपालन, वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को शामिल किया जायेगा। गौ-केबिनेट की प्रथम बैठक गोपाष्टमी के दिन 22 नवम्बर को आगर-मालवा में गौ अभ्यारण में आयोजित की जाएगी। इसमें गाय के गोबर के कंडों का उपयोग सहित अन्य उत्पादों पर विचार विमर्श होगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए एकीकृत समेकित कृषि के महत्व को रेखांकित किया है। कृषि में खाद्यान्न के उत्पादन और कृषकों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के साथ गौ पालन की अहम भूमिका है। कृषि कार्य में संलग्न कृषकों को पशुपालन के लिए काफी समय मिलता है। गौ पालन की दिक्कतें दूर होंगी और इसे आर्थिक रूप से उपयोगी बनाने की दिशा में योजनाओं और कार्यक्रमों को गति मिलेगी। साथ ही गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए उपायों को अपनाया जायेगा। इस केबिनेट के निर्णयों पर अमल हुआ। कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के साथ किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ मिला। उन्हें आर्थिक रूप से काफी फायदा हुआ। ठीक इसी तरह गौ-केबिनेट के गठन से गौ-सेवकों, पशु पालकों और किसानों को फायदा होगा। मुख्यमंत्री ने गौ-केबिनेट के लिए आगर-मालवा जिले में स्थित गौ-अभ्यारण का चयन किया है। यह भारत में प्रारंभ होने वाला प्रथम गौ-अभ्यारण था। यह प्रदेश की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गोपाष्टमी गौ-अभ्यारण में मनाने की घोषणा की थी। मध्यप्रदेश में गौ-सेवकों को गौ-शालाओं के संचालन के लिए सहायता दी गई। अशक्त और अस्वस्थ गायों के लिए उपचार और पोषण की व्यवस्थाएं भी की गईं। गौ-सेवा आयोग के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां आयोजित कर गौ- शालाओं के विकास के लिए सहयोग किया गया। मध्यप्रदेश में छह विभाग मुख्य रूप से गौ-केबिनेट निर्णयों के क्रियान्वयन को अंजाम देंगे। गाय के गोबर के कंडों का उपयोग भी किस तरह बढ़े, इस दिशा में कार्य योजना को लागू किया जाएगा। छह विभागों की सक्रियता से क्रियान्वयन के स्तर पर कठिनाई नहीं होगी। समन्वय से कार्य पूरे किए जाएंगे। वर्तमान में गौ-काष्ठ के निर्माण को प्रोत्साहन मिल रहा है। इस उत्पाद के विपणन के नये आयामों पर विचार किया जाएगा। इसी तरह गौ-दुग्ध से निर्मित अन्य वस्तुओं के विपणन के लिए भी प्रयास होंगे।

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