कषि कानून पर भाजपा ने सफाई देने उतारे कार्यकर्ता और नेता
– कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंदः राजो मालवीय
मध्यप्रदेश। देश में चल रहे किसान आन्दोलन को देश भर में जिस तरह से किसानों को आमजनों की हमदर्दी मिल रही है। उसने भाजपा की मुश्किलें बढा दी। जनता में पार्टी की किरकिरी हो रही है। इससे बचने के लिए भाजपा ने प्रदेश भर में किसान आन्दोलन पर सफाई देने के लिए अपने नेता और कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार दिया है। अब यह कितनी लीपा पोती कर पाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा। इसी क्रम में सीहोर में भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता राजो मालवीय द्वारा होटल क्रिसेंट रिसोर्ट में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए बताया कि केंद्र सरकार के तीनों कानून किसानों को यह अवसर देते हैं कि वे अपनी उपज का उचित मूल्य हासिल करने के लिए उसे मंडी के बाहर भी बेच सकें। उनके पास फसलों की बिक्री के लिए अधिक विकल्प हों और वे बिचौलियों के जाल से मुक्त हों। केंद्र सरकार कई बार यह भी स्पष्ट कर चुकी है कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को खत्म किया जा रहा है और न ही मंडी व्यवस्था समाप्त की जा रही है।
कार्पोरेट को हौआ बनाने की बात कही
किसानों के जो समूह देश की राजधानी को घेरे बैठे हैं उन्हें यह समझना होगा कि महज उनके लिए केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने वाली, क्योंकि ये किसानों के हित में सुविचारित नीतियों का प्रतिफल हैं। कॉरपोरेट जगत का हौवा दिखाकर नए कानूनों का विरोध सच्चाई की अनदेखी करना है। यह समझने की जरूरत है कि आढ़ती भी व्यापारी ही हैं। फिर कॉरपोरेट जगत के रूप में निजी क्षेत्र का डर दिखाकर एक दूसरे किस्म के व्यापारियों की ढाल बनने का क्या मतलब अगर किसान आढ़तियों पर भरोसा कर सकते हैं तो कॉरपोरेट जगत पर अविश्वास का क्या आधार हो सकता हैघ् इससे भी अधिक कांट्रैक्ट फार्मिंग के सकारात्मक नतीजों की अनदेखी कैसे की जा सकती है।
निजी क्षेत्र का सहयोग आवश्यक
भारत में कृषि क्षेत्र की उत्पादकता दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले कहीं पीछे है। अधिकांश किसानों की गरीबी का यह सबसे बड़ा कारण है। यह उत्पादकता तब तक नहीं बढ़ने वाली जब तक कृषि के आधुनिकीकरण के कदम नहीं उठाए जाएंगे। यह काम सरकार अकेले नहीं कर सकती है। इसमें निजी क्षेत्र का सहयोग आवश्यक है। निजी क्षेत्र अगर कृषि में निवेश के लिए आगे आएगा तो इसके लिए कानूनों की आवश्यकता तो होगी ही। जो लोग इस मामले में किसानों को बरगलाने का काम कर रहे हैं वे वामपंथी सोच से ग्रस्त हैं। यह वह सोच है जो सब कुछ सरकार से चाहने.मांगने पर भरोसा करती है।
किसान आंदोलन के नाम पर सस्ती सियासत
विरोध के अधिकार के नाम पर किसान आंदोलन के बहाने जो कुछ हो रहा है वह संकीर्णता और अंधविरोध की पराकाष्ठा ही है। दुर्भाग्य से यह सब राष्ट्रीय हितों की कीमत पर किया जा रहा है। ऐसी राजनीति देश का क्या भला करेगी जो न तो किसी तर्क से संचालित हो और न राष्ट्रहित पर केंद्रित हो, बल्कि सरकार और समाज का ध्यान भटकाने का काम करेघ् किसान आंदोलन को हवा दे रहे राजनीतिक दल हाशिये पर पहुंच जाने के बाद अब झूठ और दुष्प्रचार के आधार पर लोगों को बरगलाने का काम कर रहे हैं। उन्हें इसकी भी चिंता नहीं है कि इस आंदोलन के नाम पर जो सियासत की जा रही है वह देश को कमजोर करने का काम करेगी। मोदी सरकार में यह पहला अवसर नहीं है जब किसी मामले में दुष्प्रचार और गलत तथ्यों के आधार पर झूठा माहौल बनाने की कोशिश की गई हो और वह भी सिर्फ इसलिए कि विरोधी दल राजनीतिक रूप से भाजपा अथवा प्रधानमंत्री मोदी का सामना नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे दल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं। पत्रकारवार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष रवि मालवीय ए विधायक सुदेश राय ए पूर्व जिलाध्यक्ष सीताराम यादव भाजपा जिला प्रवक्ता राजकुमार गुप्ता मंडल अध्यक्ष प्रिन्स राठौर राजू सिकरवार हृदेश राठौर सहित नगर के सभी गण मान्य पत्रकार उपस्थित थे।
सफाई और निशाना दोनों
देश में हो रहे किसान आन्दोलन पर भाजपा बैकपफुट पर है इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता है। ऐसे में भाजपा नेताओं ने किसानों के लिए लाये गए बिलों पर अपनी सपफाई भी दी और विपक्ष् पर निशाना भी साधा और कार्पोरेट के क2षि क्षेत्र में आने से बेहतर अवसर की बात कही। पर दुष्परिणाम प्रदेश में ही सामने आने लगे है। पहला मामला ग्वालियर से सामने आया जहां एक बिचौलिया किसानों की उपज खरीदने के बाद बिना भुगतान किये ही पफरार हो गया। हालांकि प्रशासन ने कार्रवाई की है।