अंग्रेजों का खजाना लूट गरीबों में बांटते थे भीमा
मध्यप्रदेश। निमाड की धरती भीमा नायक की शहादत से गौरान्वित हैय वह अंग्रेजों के खजाने को लूटकर गरीबों में बांट देते थे। इसलिए उन्हें निमाड का राबिन हुड भी कहा जाता हैय उनके बलिदान दिवस पर प्रदेश भर के लोगों ने उन्हें याद कियाय वहीं सीएम शिवराज िंसंह चौहान ने कहा कि भारत माता के चरणों में परतंत्रता की बेड़ियां काटने के लिए अमर शहीद भीमा नायक ने अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। उनका बलिदान हमेशा राष्ट्र के लिए समर्पित हो जाने की प्रेरणा देता रहेगा।
उनकी सेना में थे दस हजार सेनानी
वीर सपूत अमर शहीद भीमा नायक ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष किया था। भीमा नायक से अंग्रेज कांपते थे। उनका कार्य क्षेत्र बड़वानी से लेकर महाराष्ट्र के खानदेश तक था। उनकी फौज में 10 हजार सेनानी शामिल थे। उन्होंने अंग्रेजी बंदूकों का मुकाबला तीर कमान से किया था। वे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर गरीब जनता में बांट देते थे। इसलिए वे निमाड़ के रॉबिन हुड कहे जाते थे। आदिवासी ममुदाय द्वारा उनकी शहादत पर प्रदेश में कई स्थानों पर इस सप्ताह कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैंय
हुई थी काले पानी की सजा
ऐसे वीर योद्धा एक जनजाति समुदाय में जन्में। उनमें गजब का देश प्रेम था। उन्हें अनेक प्रलोभन दिए गए। लेकिन उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता सर्वोपरि है। उन्हें गद्दारों के कारण धोखे से पकड़ा गया। गिरफ्तारी के बाद भीमा नायक को काला पानी की सजा हुई। उन्हें अंडमान निकोबार के पोर्टव्लेअर में रखा गया। यातना दी गई। 29 दिसम्बर 1876 को पोर्ट व्लेअर में वे शहीद हुए। शहीद भीमा नायक जी का अंजड़ से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम पलासिया सजवाह में छोटीण्छोटी पहाड़ियों के बीच निवास था। वहां गुफा बनाकर रहते थे तथा अंग्रेजों से लोहा लेते थे। किवदंती है कि किसी करीबी की मुखबरी से वह पकडे गए थे मुखबरी किसने की थीए वह अभी तक उनका स्मारक बेहतर नहीं हो सका, निमाड के अलावा देश और प्रदेश में अब उन्हें याद किया जा रहा है।