उत्तर प्रदेश के हाथरस में अत्याचार बैचेनी मध्यप्रदेश में
मध्यप्रदेश। अभी सबसे बड़ा मुद्दा देश में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए अत्याचार का है। उत्तर प्रदेश में जो अत्याचार उस बेटी के साथ गुनाहगारों ने किया वह तो अलग है उसके बाद जो कुछ हुआ और हो रहा है उसे देश देख रहा है। जैसे जैसे इस मामले में उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बैकफुट पर आ रही है, उतनी ही बैचेनी मध्यप्रदेश में बढ़ती जा रही है।
मध्यप्रदेश की सियासत में बैचेनी क्यों बढ़ रही है, इसके पीछे की कहानी यह है कि यहां उपचुनाव होना है और इन उपचुनावों पर मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार का भविष्य टिका हुआ है। पर अब भाजपा नेताओं एवं जो प्रत्यासी उपचुनाव के समर में उतरेंगे, उनके लिए यह हालात एक तरफ कुआ और दूसरी खाई जैसी स्िथति बन गई है, अब करें क्या, और देश में लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे देश के लोगों का गुस्सा बढ़ेगा, भाजपा के नेताओं और जो चुनाव लड़ने वाले हैं, उनके लिए शुभ संकेत नहीं होंगे।
– किसके साथ खड़े हों
उत्तर प्रदेश में बढ़ते वबाल के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा फंसती जा रही है, भाजपा के नेताओं के सहित जो प्रत्यासी भाजपा से चुनाव लड़ने वाले है, उनमें कुछ तो इस समय मंत्री भी अब यदि भाजपा नेता और कांग्रेस के कमलनाथ की नाव मंझधार में छोड़कर भाजपा के शिवराज सिंह चौहान की नाव में सवार हो गए है, अब हालात यह हैं यदि वह अपना मुंह खोलते हैं, और पीडि़ता के पक्ष में दो चार शब्द बोल देते हैं, तो जहां वह भाजपा की गाइड लाईन से बाहर जाएंगे, वहीं भाजपा के कट्टर कैडर वोट के नाराज होने के भी खतरे है। और जिस तरह से बहुजन समाज गुस्से में है ऐसे में कुछ नहीं बोले तो बहुजन समाज के सामने वोट मांगने किस मुंह से जाएंगे।
– निर्णायक भूमिका में है बहुजन
ऐसा भी नहीं है जिन 28 सीटों पर उपचुनाव मध्यप्रदेश में होना है, उनमें से करीब 10 से 11 सीटें तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की ही है, दूसरी तरफ 28 ही सीटों पर अनुसूचित जाित और अनुसूचित जन जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में है, जो उप चुनाव के परिणाम को कभी भी पलट सकते हैं। ऐसे में भाजपा के लिए कुछ ज्यादा ही जोखिम नजर आ रहा है। इस समय देश में बहुजन नाराज है, उन पर अत्याचार हो रहे हैं। बहुजनों की नाराजगी क्या गुल खिलायेगी यह तो उपचुनाव के परिणाम ही बताएंगे।