भारत-पाक युद्ध में RSS कार्यकर्ता ने देश की रक्षा के लिए दे दी थी जान: मोहन भागवत
मेरठ । आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश की रक्षा के लिए ‘तीन दिन में स्वयंसेवकों की सेना तैयार’ के बयान को लेकर हुए विवाद के बाद अब स्वयंसेवक के ‘बलिदान’ का जिक्र किया. मोहन भागवत ने दावा किया कि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान संघ से जुड़े 15 साल के एक कार्यकर्ता ने बीएसएफ की मदद करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था.
संघ प्रमुख भागवत ने मेरठ में चल रहे राष्ट्रोदय सम्मेलन में इकट्ठा हुए करीब एक लाख कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रविवार को कहा, “1971 में यह आदिवासी किशोर नौवीं क्लास में पढ़ा करता था, तब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने उससे गन पाउडर से भरे कॉर्टन सीमा से सटी चौकियों तक पहुंचाने को कहा था. इतिहास गवाह है कि (आरएसएस का) स्वयंसेवक रहे उस किशोर को मुश्किल वक्त में देश की मदद करने के दौरान दुश्मन सैनिकों ने गोली मार दी थी.”
भागवत ने उस घटना का जिक्र करते हुए बताया कि 15 साल का वह लड़का पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से सटी सीमा के पास ही रहा करता था. उसने सीमा पर पाकिस्तानियों सैनिकों की हलचल देखी तो बीएसएफ को खबर दी. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘एक दिन उस लड़के ने देखा कि पूर्वी पाकिस्तान से सैनिकों भारत की सीमा में घुसना कर दिया है. वह किशोर समझदारी से काम लेते हुए भारतीय जवानों के पास भागा और उन्हें इसकी खबर दी थी.’
मोहन भागवत ने इस दौरान बताया कि उसकी शहादत के सम्मान में पश्चिम बंगाल के रायगंज जिले में उसके नाम से एक शहीद स्मारक भी बना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देशहित के लिए आवश्यक हो तो स्वयंसेवक प्राण भी दे देंगे.