पद्मावत’ पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, फिल्म देखने को राजी हुई करणी सेना
फिल्म ‘पद्मावत’ पर मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज पर राज्यों के बैन लगाने के रोक के आदेश में बदलाव के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोनों राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा है कि फिल्म रिलीज होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इस बीच फिल्म का लगातार विरोध कर रही करणी सेना ने फिल्म देखने के संजय लीला भंसाली के न्योते को स्वीकार कर लिया है।
बीजेपी शासित दोनों राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट से फिल्म रिलीज के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। राज्यों ने कानून व्यवस्था भंग होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। बता दें कि राजस्थान में ‘पद्मावत’ का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। राजपूत संगठन करणी सेना ने खुली धमकी दे रखी है कि फिल्म रिलीज होने पर परिणाम भुगतने के लिए लोग तैयार रहें। करणी सेना के नेताओं के साथ एक बैठक के बाद राजस्थान के गृहमंत्री कटारिया ने कहा था सरकार का मानना है कि आमजन की भावनओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। उधर मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में राज्य सरकार को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का अधिकार दिया जाना चाहिए, क्योंकि पद्मावत की रिलीज से शांति भंग होने की संभावनाएं हैं।
बता दें कि पद्मावत विवाद के चलते गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, यूपी और हरियाणा ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। राज्यों के इस फैसले के खिलाफ फिल्म निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। जिसके बाद 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में फिल्म के बैन के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानून- व्यवस्था को बनाए रखने का काम राज्य सरकारों का हैं। अगर सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर दिया है तो ऐसे सूरत में फिल्म पर बैन नहीं लगाया जा सकता है।
इस बीच संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज का विरोध कर रही करणी सेना उसे देखने को तैयार हो गई है। यह जानकारी करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने दी। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता ने पहले आश्वासन दिया था कि विशेष स्क्रीनिंग दिखाई जाएगी। अब उन्होंने लिखित में न्योता भेजा है, जिसके लिए वह तैयार हैं। भंसाली ने 20 जनवरी को करणी सेना और राजपूत सभा को इस संबंध में खत लिखा था। फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होनी है। करणी सेना के बदले रुख से फिल्म के शांति से रिलीज हो जाने के आसार मजबूत हो गए हैं। वैसे भी अब तक जिन चुनिंदा लोगों ने फिल्म देखी है, उन्होंने इसमें कुछ भी विवादित नहीं होने का ही दावा किया है।
भले ही करणी सेना प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने रिलीज से पहले पद्मावत देखने का भंसाली का प्रस्ताव मान लिया हो, लेकिन इसके बावजूद विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में फिल्म का विरोध उग्र हो गया है। कई जगहों पर हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई हैं। उत्तर प्रदेश में फिल्म न दिखाने की मांग को लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद कालवी ने कहा कि हम अपनी बात योगी जी के पास रखने गए थे। वह क्या कदम उठाएंगे, यह तो वही बता सकते हैं। यह बात सही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई भी सरकार इसका प्रदर्शन रोक नहीं सकती है। लेकिन, केंद्र व प्रदेश सरकार के पास यह अधिकार है कि वह इस विवादित फिल्म पर स्थायी प्रतिबंध लगा सकती है। उन्होंने कहा कि संजय लीला भंसाली ने उन्हें फिल्म देखने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन इसमें फिल्म दिखाने की तारीख नहीं बताई है। यह पत्र केवल धोखा है और तमाशा बनाने के लिए है। मैं फिल्म देखने के लिए तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि मीडिया भी साथ चले। भंसाली ने 20 जनवरी को करणी सेना और राजपूत सभा को इस संबंध में खत लिखा था। कालवी ने बताया कि यह फैसला करणी सेना लेगी कि फिल्म को देखने कौन लोग जाएं। करणी सेना के चुने लोग ही देशभर में रिलीज करने की अनुमति देने का फैसला भी करेंगे। कालवी के मुताबिक, सेंसर बोर्ड ने नौ में से केवल तीन लोगों को ही फिल्म दिखाई थी। अब हम चाहते हैं कि वे छह लोग और कुछ पत्रकार भी फिल्म देखें और फैसला करें।
कालवी ने कहा कि फिल्म के विरोध में देश के सभी सिनेमाघरों में करणी सेना ‘जनता कर्फ्यू’ लगाएगी। इसके लिए थियेटर मालिकों से फिल्म प्रदर्शित न करने व जनता से फिल्म न देखने के लिए गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि करणी सेना तोड़फोड़ व हिंसा में विश्वास नहीं रखती है लेकिन गलत चीजों का विरोध करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी व्यक्ति को सांस्कृतिक मर्यादा, ऐतिहासिक मूल्यों व तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य में कुछ थिएटर मालिक फिल्म प्रदर्शित नहीं करना चाहते हैं। लेकिन जो दिखाना चाहते हैं, उन्हें पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगी।