धीरे-धीरे जकड़ता है माइंड गेम्स का रोमांच, जानिए- कैसी है अजय देवगन की डेब्यू वेब सीरीज
नई दिल्ली। 4 फरवरी को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अजय देवगन निर्मित क्राइम वेब सीरीज द ग्रेट इंडियन मर्डर आयी थी। अब इसके ठीक एक महीने बाद अजय ने खुद क्राइम वेब सीरीज रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस से बेव सीरीज की दुनिया में बतौर अभिनेता अपनी पारी का आगाज किया है, जो डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर ही शुक्रवार को स्ट्रीम कर दी गयी।
ब्रिटिश शो लूथर की इस सीरीज का निर्माण अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने बीबीसी स्टूडियो के साथ मिलकर किया है, जबकि निर्देशक राजेश मापूसकर हैं, जिनके निर्देशन में बनी मराठी फिल्म वेंटिलेटर फिल्म काफी चर्चित रही थी और इसे समीक्षकों की भी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली थीं। राजेश ने फरारी की सवारी से बतौर निर्देशक सिनेमा में डेब्यू किया था। इससे पहले वो राजकुमार हिरानी की फिल्मों में बतौर सह-निर्देशक काम करते रहे थे। इसके अलावा उन्होंने विज्ञापन फिल्मों की दुनिया में काफी काम किया है और कई नामचीन कम्पनियों के लिए विज्ञापन फिल्में बनायी हैं।
कहने का मतलब यह है कि अब तक हल्की-फुल्की भावनात्मक पारिवारिक फिल्में बनाते रहे राजेश ने रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस के साथ पहली बार क्राइम जॉनर में हाथ आजमाया है। क्राइम भी छोटे-मोटे नहीं, बल्कि हैवानियत की हदें लांघने वाले जघन्य अपराध। रूद्र की डार्कनेस को उभारने में राजेश मापूसकर कामयाब रहे हैं और इसमें उनका पूरा साथ अजय देवगन ने दिया है।
अपने ही अंधेरों से घिरा मुंबई पुलिस की स्पेशल सेल यूनिट का डीसीपी रूद्रवीर सिंह इस वेब सीरीज में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में दो मोर्चों पर लड़ता नजर आता है। राजेश का रूद्र रोहित शेट्टी के सिंघम से बिल्कुल अलग है। रूद्र को भी गुस्सा आता है, मगर वो इंसानों के बजाए आस-पास की चीजों पर उतरता है। इस लिहाज से रूद्र ड्रामाटिक सिंघम से अधिक विश्वसनीय है।
रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस तकरीबन एक-एक घंटे के छह एपिसोड्स में फैली हुई है। हर एपिसोड अपराध की एक नई कहानी और अपराधी को लेकर आता है और इसके साथ रूद्र की जिंदगी भी आगे बढ़ती रहती है। रूद्र, उन वेब सीरीज में शामिल हैं, जो धीरे-धीरे पेस पकड़ती हैं और फिर सीरीज के आखिरी एपिसोड तक पहुंचते-पहुंचते पुलिस और अपराधियों के बीच चल रहे माइंड गेम्स का रोमांच आपको जकड़ लेता है।
छह एपिसोड्स के शीर्षक भी इसमें दिखाए जाने वाले अपराध को झलकी पेश करते हैं। मसलन, पहले एपिसोड का शीर्षक है- जीनियस की औकात। कहानी एक ऐसे अपराधी आलिया चौक्सी के बारे में है, जो खुद को जीनियस मानती है और इस बात को साबित करने के लिए अपने ही माता-पिता और कुत्ते का कत्ल कर देती है
कत्ल इस तरह के किया गया है कि पुलिस को कोई सबूत नहीं मिलता। पूरी सीरीज में यही एक अनुसलझा केस है। हालांकि, आलिया और रूद्र के बीच की समीकरण इस पूरी सीरीज का एक हाइलाइट है। आलिया के खिलाफ रूद्र कोई सबूत नहीं ढूंढ पाता, मगर उसकी तीव्र बुद्धि का कायल हो जाता है और आने वाले एपिसोड्स में कुछ गुत्थियों सुलझाने के लिए उसकी मदद भी लेता है। आलिया भी रूद्र के व्यक्तित्व के स्याह पहलू की ओर आकर्षित हो जाती है।
रूद्र की निजी जिंदगी बिखर चुकी है। अपराधियों को पकड़ने में डूबे रूद्र से पत्नी शाइला दुर्रानी दूर जा चुकी है। उसका राजीव दत्तानी के साथ प्रेम-प्रसंग है। हालांकि, शाइला के दिल से रूद्र नहीं निकला है। वहीं रूद्र भी शाइला को बेइंतहा प्यार करता है और उसे वापस लाने की कोशिशों में जुटा है। रूद्र की इस उलझन का आलिया बीच-बाच में अपने आनंद के लिए दोहन करते नजर आती है।
दूसरा एपिसोड 100 किलर एक साइकोलॉजिकल किलर के बारे में है, जो पुलिस वालों की हत्या कर रहा है। तीसरा एपिसोड बलि का बकरा एक मानसिक रूप से असंतुलित मगर खुद को शातिर मानने वाले हाइ प्रोफाइल पेंटिंग आर्टिस्ट की खोज पर आधारित है, जो पेंटिंग बनाने में भी वो खून का ही इस्तेमाल करता है। कई औरतों की गुमशुदगी में उसका हाथ है।
चौथे एपिसोड का शीर्षक वीक स्पॉट है। यह एक ऐसे हत्यारे के बारे में है, जो अपनी पत्नी की बेवफाई का बदला बेकसूर लड़कियों की हत्या करके लेता है। पांचवां एपिसोड जबान का पक्का और छठा तोड़-फोड़ है। पहले एपिसोड में रूद्र की निजी उलझनों से शुरू हुई कहानी आखिरी एपिसोड में उसकी निजी जिंदगी के एक दर्दनाक मोड़ पर ही खत्म होती है। आखिरी एपिसोड पूरी सीरीज का सबसे अहम और दिलचस्प एपिसोड है।
ब्रिटिश टीवी सीरीज लूथर के भारतीय रूपांतरण रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस को उपेन चौहान और जय शीला बंसल ने लिखा है। रूद्र की कहानी को मुंबई शहर की पृष्ठभूमि में दिखाया गया है, मगर इस तरह कि यह शहर कुछ अलग-सा नजर आता है। आम तौर पर दिखाये जाने वाले मुंबई के पहचान-चिह्न यहां नाम मात्र को मिलेंगे। रूद्र की मुंबई देखकर कुछ-कुछ बैटमैन के गॉथम जैसा फील आता है। रूद्र और आलिया, सीरीज के सबसे दिलचस्प किरदार हैं।
रूद्र- एक ऐसा पुलिस ऑफिसर जो जिंदगी बचाने के लिए गैरकानूनी रास्ता अख्तियार करने से भी नहीं चूकता, जिसके चलते सस्पेंड होना और जांच आयोग के सामने पेश होना उसकी नौकरी का अभिन्न अंग बन चुका है, मगर यह सब उसे अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने से नहीं रोक पाते। रूद्र के किरदार में अजय बिल्कुल परफेक्ट च्वाइस हैं। इस किरदार को निभाने के लिए जिसे भावनात्मक इंटेसिटी और एक स्याह परत की जरूरत थी, अजय उसमें फिट नजर आते हैं।
सहयोगी कलाकारों में राशि खन्ना इस सीरीज का सुखद आश्चर्च हैं। उन्हें स्क्रीन पर देखना दिलचस्प लगता है और अजय के साथ उनकी रहस्मयी रिलेशनशिप भी लुभाती है। एसीयू की चीफ के रोल में अश्विनी कालसेकर और ज्वाइंट सीपी के किरदार आशीष विद्यार्थी कहानी को सपोर्ट करते हैं। रूद्र के दोस्त और साथी अफसर गौतम नवलखा के किरदार में अतुल कुलकर्णी ने जबरदस्त काम किया है।
शुरू के कुछ एपिसोड्स में दर्शक को लगता है कि उन्हें आखिर सीरीज में रखा ही क्यों गया है, रूद्र से सिर्फ यह पूछने के लिए कि तू ठीक है ना? मगर, सीरीज के आखिरी एपिसोड्स में कहानी जिस तरह मुड़ती है, अतुल कुलकर्णी का किरदार रूद्र के पैरेलल आकर खड़ा हो जाता है। गौतम के किरदार की स्याह और उसली परतों को उकेरने में अतुल का अभिनय कमाल है।
रूद्र की पत्नी शाइला के रोल में एशा देओल तख्तानी ठीक लगी हैं। वहीं, उनके प्रेमी के रोल में सत्यजीत दुबे ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवायी है। यहां एक और कलाकार का जिक्र करना जरूरी है, वो हैं तरुण गहलौत, जिन्होंने अजय के जूनियर प्रबल ठाकुर का रोल निभाया है। इस सीरीज ने तरुण को उभरने का पूरा मौका दिया है और उन्होंने इस मौके का फायदा भी उठाया।
रूद्र के विश्वासपात्र के किरदार में तरुण दर्शक की नजरों में चढ़ने में सफल रहते हैं। मिलिंद गुणाजी, लूक केनी, राजीव कचरू, विक्रम सिंह चौहान, केसी शंकर, हेमंत खेर समेत कई कलाकार एपिसोडिक आधार पर आते हैं। रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस सीरीज के शुरुआती दो एपिसोड्स कुछ धीमी रफ्तार से आगे बढ़ते हैं, मगर तीसरे एपिसोड से सीरीज गति पकड़ती है और फिर दर्शक को जकड़कर बिंज बॉच के लिए मजबूर करती है। इंटेंस इनवेस्टिगेटिव क्राइम ड्रामा के शौकीनों के लिए रूद्र- द ऐज ऑफ डार्कनेस मुकम्मल सीरीज है।