RAFI BIRTHDAY : रफी साहब अच्छे गायक होने के साथ ही अच्छे इंसान भी थे
मो. रफी भारतीय उप महाद्वीप और संसार के विशिष्ट गायक माने जाते हैं। इतनी बड़ी शख्सियत लेकिन स्वभाव इतना सरल की जो मिलता उनका फेन हो जाता था। रफी साहब अच्छे गायक होने के साथ ही अच्छे इंसान भी थे। भारतीय पार्शव गायकों में अनेकों ने खास मुकाम पाया, लेकिन इनमें भी मोहम्मद रफी की बात सबसे अलग है। वे 24 दिसम्बर 1924 को अखंड भारत के पंजाब प्रान्त के सुल्तानपुर में जन्मे थे। हिंदी सिनेमा के लिए रफी साहब ने अनेकों सदाबहार गीत गाये। हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में भी उन्होंने गीत गाए। मैंने उनके कई सिन्धी गीत सुने हैं। उनके गाए गीतों में कई अमर रचनाएं हैं। गुरुदत्त, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, जॉय मुखर्जी, शम्मी कपूर, राजकुमार, धर्मेन्द्र, ऋषि कपूर और दूसर सेकड़ों नायकों को रफी साहब ने आवाज दी।
रफी साहब के गाए कई गीत उनकी विशेष प्रतिभा का प्रमाण हैं। फिल्म एक नारी दो रूप का गीत दिल का सूना साज तराना ढूंढ़ेगा, मुझको मेरे बाद जमाना ढुंढ़ेगा बेमिसाल है। ऐसे ही सैकड़ों और भी गीत है। फिल्म हंसते जख्म का गीत तुम जो मिल गए हो में स्वर का ऐसा उतार चढ़ाव है, जो श्रोताओं को गीत की सिचुएशन में शामिल कर मौजूदगी का अहसास करवाता है। उनका गाया फिल्म हकीकत का देशभक्ति गीत कर चले हम फिदा अमर शहीदों को श्रद्धांजलि है। देव आनंद और साधना की फिल्म साजन की गलियां परदे पर तो नहीं आई, लेकिन इस फिल्म के रफी साहब के गाए गीत हमने जिसके ख्वाब सजाये आज वा मेरे सामने है की बात ही निराली है। इस फिल्म में रफी साहब का ये गीत जब रिकॉर्ड करवाया गया तो वे फिल्म के नायक देव साहब के अंदाज में गा रहे थे।
मोहम्मद रफी सादी जीवन शैली के हिमायती रहे। यही बात उनकी संतानों में देखने को मिलती है। ऐसा कहते हैं पिता के गुण पुत्र में आ जाते हैं, हुनर भी खत्म नहीं होता। मोहम्मद रफी साहब के बेटे शाहिद रफी ने कुछ साल पहले भोपाल में मंच से गाए गए गीत बदन पे सितारे लपेटे हुए को आज भी शहरवासियों के जहन में है। शाहिद जी ने बताया था कि सरल स्वभाव के उनके पिता अमिताभ जी पर फिल्माए गीत की रिकॉर्डिंग के बाद घर आकर सहज अबंदाज में कहा था कि मालूम है आज अमिताभ जी के लिए गाकर आ रहा हूं, ये बात ऐसी सादगी से कोई अहंकार .शून्य व्यक्ति ही कह सकता है। रफी साहब उम्दा गायिकी और सादगी भरे अंदाज के आज के सेलेब्रिटी गायक व कलाकार भी फेन है अब ।मोहम्मद रफी ने अन्य भाषाओं
में भी गीत गाये।
रफी साहब 31 जुलाई 1980 को दुनिया छोड़ कर चले गए। भोपाल में रफी साहब के लिए दीवानगी का आलम यह है कि आज भी राजधानी में दो सौ से अधिक तो मंच गायक हैं जो रफी साहब के गीत गाते हैं। शहर के जहांगीराबाद के रफी प्रेमी श्री मंसूर अली ने एक म्यूजियम बना लिया है,जहां रफी साहब के लगभग सभी गीतों के कैसेट्स, सीडी और रिकॉर्ड मौजूद हैं। हर साल शहर भर में रफी साहब की जन्म वर्षगांठ से नए साल के आने तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष कोरोना के प्रभाव की वजह से कार्यक्रम भले ही कम हुए हैं, लेकिन उनके फेंस ने अपने अजीज मो. रफी को अपने ग्रुप व साथियों के साथ मिलकर श्रद्धांजलि दी।