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भारत में बेटे की चाहत ज्यादा, जानें आर्थिक सर्वे से जुड़ी ये खास बातें

नई दिल्ली। सोमवार को लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वे 2018 पेश कर दिया। इस सर्वे में भारतीय समाज में बेटे के लिए बढ़ती चाहत के साथ-साथ चालू एवं आने वाले साल मे देश की आर्थिक तस्वीर क्या रहेगी। इसका खाका पेश किया गया।

इस सर्वे में भविष्य में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई भी गई है। हम अपनी इस खबर में आपको आर्थिक सर्वे से जुड़ी 10 बड़ी और अहम बातें बताने जा रहे हैं।

करदाताओं की संख्या बढ़ी-

इस आर्थिक सर्वे में बताया गया कि देश में पंजीकृत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अप्रत्यक्ष कर देनेवालों की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। जीएसटी में छोटे उद्यमों का भी पंजीकरण बढ़ा है।

नॉन-ऐग्रीकल्चर पे-रोल मौजूदा अनुमान से ज्यादा-

इस आर्थिक सर्वे के मुताबिक औपचारिक गैर कृषि भुगतान चिट्ठा अनुमान से कहीं ज्यादा रहा है। देश का फॉर्मल सेक्टर, विशेषकर फॉर्मल नॉन-ऐग्रिकल्चर पे-रोल को मौजूदा अनुमान की तुलना में बहुत अधिक पाया गया है।

अंतरराष्ट्रीय निर्यात का आंकड़ा पेश किया गया-

अंतरराष्ट्रीय निर्यात से जुड़े आंकड़ों को आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार शामिल किया गया। आंकड़ों के मुताबिक निर्यात प्रदर्शन और राज्य निवासियों के जीवन स्तर के बीच मजबूत संबंध के बारे में संकेत मिले हैं।

देश का निर्यात समतावादी-

आर्थिक सर्वे बताता है कि भारत का सृदृढ़ निर्यात ढांचा अन्य बड़े देशों से अधिक समतावादी रहा है। हमारे देश के निर्यात में बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी कम रही है, हालांकि हमारे पड़ोसी देशों की स्थिति इससे थोड़ा अलग है। निर्यात में शीर्ष एक फीसद भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी महज 38 फीसद है।

रेडीमेड कपड़ों के निर्यात में इजाफा-

कपड़ा प्रोत्साहन पैकेज से कपड़ा उद्योग को काफी फायदा पहुंचा है। कपड़ा प्रोत्साहन पैकेज से रेडीमेड परिधानों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। सिले-सिलाए परिधानों का निर्यात लगभग 16 फीसद बढ़ा है।

भारतीय समाज में बेटे की चाहत ज्यादा-

आर्थिक सर्वे के जरिए यह बात भी सामने आई है कि भारतीय समाज में बेटे की चाहत ज्यादा रहती है। इस सर्वे के जरिए देश में बालक-बालिका अनुपात के अपेक्षाकृत कम रहने का पता चला है। इतना ही नहीं इस सर्वे में भारत और इंडोनेशिया में जन्म लेने वाले बालक-बालिका अनुपात की भी तुलना की गई है।

टैक्स से जुड़े मुकदमे कम हुए-

आर्थिक सर्वे 2018 यह भी बताता है कि टैक्स डिपार्टमेंट के सामने जो कर संबंधी विवाद सामने आए, उनमें कमी आई है। हालांकि यह दर 30 फीसद से कम आंकी गई है।

बचत को दिया गया बढ़ावा-

इस सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि देश में बचत को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है। इसके जरिए महत्वपूर्ण निवेश में नई जान फूंकने के साथ-साथ उसको बढ़ावा देने की कोशिश भी की गई है। इसमें कहा गया कि बचत में वृद्धि से आर्थिक विकास नहीं हुआ, जबकि निवेश में वृद्धि से आर्थिक विकास निश्चित तौर पर हुआ है।

राज्यों का कर संग्रह दूसरे देशों की तुलना में कम-

भारतीय राज्यों और अन्य राज्य सरकारों का प्रत्यक्ष कर संग्रह अन्य दूसरे संघीय देशों की तुलना में बहुत कम देखा गया। इस सर्वे में भारत, ब्राजील और जर्मनी में स्थानीय सरकारों के कुल राजस्व में प्रत्यक्ष कर के अनुपातों की तुलनात्मक तस्वीर पेश की गई।

खराब मौसम से कृषि पर पड़ा असर-

इस सर्वे में बताया गया कि भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से कृषि पर व्यापक प्रतिकूल असर पड़ा है। इस तरह का असर सिंचित क्षेत्रों की तुलना में गैर-सिंचित क्षेत्रों में दोगुना पाया गया है।

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