Air India के खरीदार पर पड़ेगा सिर्फ आधे कर्ज का बोझ
नई दिल्ली। विनिवेश के बाद एयर इंडिया के नए खरीदार पर इसके कर्ज का आधा बोझ ही पड़ेगा। बाकी आधा कर्ज सरकार वहन करेगी। कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उन्हें एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईसॉप) के जरिये नई एयर इंडिया में हिस्सेदार बनने का अवसर दिया जाएगा। यह हिस्सेदारी उन्हें सरकार की 24 फीसद हिस्से में से दी जाएगी।
सरकार ने बुधवार को एयर इंडिया में अपनी 76 फीसद हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया था। इसी के साथ इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट (ईओआइ) मांगी गई हैं। एयर इंडिया पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के अनुसार सरकार होल्डिंग कंपनी के जरिये एयर इंडिया का कुछ कर्ज स्वयं वहन करेगी।
सूत्रों के अनुसार नई एयर इंडिया में केवल 24,576 करोड़ रुपये का ब्याज युक्त कर्ज हस्तांतरित होगा। जबकि शेष 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज एसेट होल्डिंग कंपनी के पास बना रहेगा। सिन्हा ने कहा, “नए खरीदार द्वारा एयर इंडिया में किए जाने वाले मूल्यवर्धन में हम भागीदार बनना चाहते हैं। केवल 24 फीसद इक्विटी रखने और एयर इंडिया के प्रबंधन छोड़ने के पीछे यही मकसद है।”
उन्होंने कहा दुनिया में कोई भी सरकार एयरलाइन नहीं चलाती है। एयर इंडिया के अस्तित्व को बचाने और इसकी खोई प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए इसे पेशेवर टीम के हवाले करना आवश्यक है। सरकारी ढांचे में रहते हुए ऐसा संभव नहीं है। इसलिए महाराजा को पेशेवर हाथों में देना ही बेहतर है।
विमानन राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि एयर इंडिया की प्रमुख रियल एस्टेट संपत्तियां ही नई एयर इंडिया को हस्तांतरित की जाएंगी। जबकि कम महत्वपूर्ण संपत्तियों और जमीनों को विशेष प्रयोजन कंपनी (स्पेशल पर्पज व्हीकल-एसपीवी) के हवाले किया जाएगा। होल्डिंग कंपनी इन संपत्तियों का उपयोग एयर इंडिया का आधा कर्ज अदा करने में करेगी।
पुनरुद्धार पैकेज के तहत एयर इंडिया को देय रकम के बारे में उनका कहना था कि इस राशि का उपयोग लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने में किया जाएगा।
एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद है। इससे पहले सितंबर तक इसके खरीदार का चयन हो जाएगा।
पूर्व पायलट ने एयर इंडिया पर दिवालिया प्रक्रिया की मांग की-
एयर इंडिया के एक पूर्व पायलट ने एयर लाइन के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में शिकायत की है। उसने मांग की है कि एयरलाइन उसके बकाये का भुगतान नहीं कर पाई है, इस वजह से उसके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की जाए। एयर इंडिया में 28 साल तक काम कर चुके कैप्टन सुबोध कुमार ने 67.84 लाख रुपये के दावे निपटाने की मांग की है। आरोप लगाया गया है कि 2012 से 2016 के बीच वेतन व भत्तों के भुगतान में उनके साथ भेदभाव किया गया।