पूंजी बाजार जैसा रिटर्न चाहते हैं तो Index fund में करें निवेश, यहां कम रहता है जोखिम
नई दिल्ली। शेयर मार्केट (Share Market) में निवेश करना हैं, लेकिन जानकारी सीमित है तो क्या हुआ, म्यूच्यूअल फण्ड हैं ना। लेकिन कई बार निवेशकों की एक शिकायत रहती है कि एक वक़्त पर शेयर बाजार का प्रदर्शन तो अच्छा रहा, लेकिन जिस फण्ड में उन्होंने निवेश किया, उसने कुछ खास प्रदर्शन नहीं दिखाया। यह इसलिए होता है, क्योंकि अधिकांश म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम (Mutual fund scheme) का पोर्टफोलियो फण्ड मैनेजर बड़ी सक्रियता से बनाते हैं और उस पोर्टफोलियो में कौन से शेयर रखने हैं, कब खरीदने हैं और कब बेचने हैं यह सब फण्ड मैनेजर ही तय करते हैं। इसलिए इस तरह के फंड्स को एक्टिवली मैनेज्ड फण्ड कहते हैं।
कोशिश तो फण्ड मैनेजर की यही होती है कि वो निवेशकों को शेयर बाजार के औसत लाभ से अधिक पूँजी लाभ दिला सकें, लेकिन कई बार फण्ड मैनेजर द्वारा चुने गए शेयर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं और नतीजा यह होता है कि शेयर बाजार का प्रदर्शन बेहतरीन रहने के बाद भी कुछ फंड्स उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखा पाते। ऐसे में यदि निवेशक चाहता है कि उसे पूँजी बाज़ार जैसे ही रिटर्न मिलें, तो Index fund एक अच्छी पसंद हो सकती है। हालाँकि, केवल इक्विटी इंडेक्स फण्ड ही नहीं, बल्कि बांड इंडेक्स फण्ड भी निवेश के लिए उपलब्ध हैं।
क्या होता है इंडेक्स
शेयर बाजार में हजारों कम्पनी लिस्टेड हैं, लेकिन बाजार के प्रतिनिधित्व के लिए कुछ चुनिंदा कंपनियों के शेयरों को लेकर कुछ इंडेक्स बनाये गए है। ये इंडेक्स शेयर बाज़ार के लिए एक बैरोमीटर की तरह काम करते है। इससे निवेशकों को बाजार की चाल समझने में मदद मिलती है। ये इंडेक्स कंपनियों के आकार व सेक्टर इत्यादि पर आधारित होते हैं।
उदहारण के तौर पर BSE के फ्लैगशिप इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) 30 चुनिंदा कंपनियों पर आधारित है, जबकि निफ़्टी (Nifty) इंडेक्स में एक वक़्त पर 50 चुनिंदा कंपनियां होती हैं। किसी भी एक वक़्त पर इन चुनिंदा कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि शेयर बाजार की चाल कैसी रही है, हालांकि इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है की सभी शेयरों का प्रदर्शन एक ही दिशा में हुआ हो।
इसी तरह से कंपनियों के आकार के आधार पर बीएसई स्माल कैप (BSE Small Cap) व बीएसई मिड कैप (BSE Mid Cap) जैसे इंडेक्स बने हैं। सेक्टर के आधार पर पर भी Nifty Bank या Nifty Pharma जैसे इंडेक्स होते हैं। बॉन्ड पर आधारित इंडेक्स जैसे Bharat bond index में भी निवेशक पैसा लगा सकते हैं।
इंडेक्स फण्ड में निवेश क्यों
इंडेक्स फण्ड एक तरह से निष्क्रिय फण्ड होते हैं, क्योंकि ये एक इंडेक्स में निवेश करते हैं। इन फंड्स का पोर्टफोलियो (Portfolio) बनाने के लिए किसी विशेष कौशल की जरूरत नहीं होती, बल्कि उस विशेष इंडेक्स में निवेश किया जाता है, जिसको ये फण्ड ट्रैक करता है।
ऐसे में यदि निवेशक एक निफ़्टी इंडेक्स फण्ड में निवेश करता है, तो उस फण्ड का प्रदर्शन निफ़्टी के जैसा ही होगा। कोई भी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम एक इंडेक्स को बेंचमार्क मानकर चलती है और फण्ड मैनेजर का लक्ष्य होता है, उस बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करना, किन्तु कई बार निवेशकों को निराशा हाथ लगती है।
इंडेक्स फण्ड में निवेश करने पर इसकी संभावना नहीं है। किसी भी इंडेक्स फण्ड का प्रदर्शन उस इंडेक्स के बराबर ही होगा जिस पर वो आधारित है। सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूच्यूअल फण्ड (mutual fund) में इंडेक्स फण्ड के मुकाबले जोखिम अधिक होता है। नये निवेशक जो सीमित जोखिम के साथ पूँजी बाजार पर आधारित मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंडेक्स फण्ड एक बेहतरीन चॉइस है।
इंडेक्स फण्ड और ईटीएफ में तुलना
ईटीएफ (ETF) अनिवार्य रूप से इंडेक्स फण्ड ही होते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि एक सामान्य इंडेक्स फण्ड एक म्यूच्यूअल फण्ड की तरह ही काम करता है, जबकि एक ईटीएफ किसी शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज (Stock exchange) में लिस्टेड होता है। इंडेक्स फण्ड की एनएवी दिन में केवल एक बार पूँजी बाजार बंद होने के बाद तय होतो है, जबकि किसी भी शेयर की तरह एक ईटीएफ का मूल्य दिन में कई बार बदलता रहता है।
ईटीएफ इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए निवेशक के पास डीमेट अकाउंट (Demat account) होना अनिवार्य है। जब बाजार में काफी उतार चढ़ाव होता है, ऐसे में ईटीएफ में निवेश करने व बेचने के अवसर तलाशे जा सकते हैं और दिन के निचले स्तरों पर खरीदने और ऊपरी स्तरों पर बेचने की कोशिश की जा सकती है।
इंडेक्स फण्ड पर टैक्स
इंडेक्स फण्ड इक्विटी, डेब्ट या गोल्ड इत्यादि एसेट क्लास पर आधारित हो सकते हैं, इसलिये किसी भी दूसरे फण्ड की तरह यहाँ पर भी Long term और short term capital gains tax की गणना की जाती है। यदि आप शेयर मार्केट पर आधारित इंडेक्स फण्ड में निवेश करते हैं, तो एक साल या उससे कम का समय शार्ट टर्म और एक साल से अधिक का समय लॉन्ग टर्म माना जाता है।
ऐसे इंडेक्स फंड्स पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15.60 प्रतिशत होता है। एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक लाख तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता, किन्तु उससे अधिक के पूँजी लाभ यानि कि कैपिटल गेन पर 10.40 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
इक्विटी को छोड़कर बाकि सभी इंडेक्स फण्ड जैसे Bond ETF या Gold ETF पर 3 साल या उससे कम का निवेश शार्ट टर्म और 3 साल से अधिक का निवेश लॉन्ग टर्म कैपिटल ऐसेट कहलाता है। यहाँ पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स निवेशक की कुल आमदनी के आधार पर तय होता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20.80 प्रतिशत लगता है।