सातवां वेतन आयोग : सरकार की ओर से न्यूनतम वेतनमान पर संसद में दिया गया यह बयान
नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए सातवां वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) सैलरी और पेंशन में इजाफा लेकर आया. इस रिपोर्ट के कई पहलुओं पर विवाद रहा. कर्मचारी चर्चाओं के बाद भी रिपोर्ट के प्रावधानों और संस्तुतियों से सहमत नहीं हुए. सरकार ने अपने हिसाब से जरूरी संशोधनों के साथ रिपोर्ट को स्वीकार किया और फिर इसे लागू किया.
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की जो सिफारिशें लागू की गई उसमें से कुछ पर केंद्रीय कर्मचारियों ने आपत्ति जताई. कई मुद्दों पर चर्चा के बाद समाधान निकल गया. सबसे अहम और सर्वाधिक कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा न्यूनतम वेतन मान का रहा जिसे अभी तक कर्मचारियों के हिसाब से सुलझाया नहीं जा सका है.
आज की स्थिति में लाखों कर्मचारी असमंजस में हैं. लाखों कर्मचारी और उनके परिवार उम्मीदें पाले हुए हैं. आखिर स्थिति क्या है. संसद में इस बारे में हाल ही एक सवाल सांसद नीरज शेखर ने किया. इसका जवाब सरकार की ओर से आया जो आज की स्थिति को साफ करता है.
छह मार्च को नीरज शेखर ने प्रश्न किया था. उन्होंने पूछा –
क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या सरकार केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की नाराजगी और सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा वेतन में अब तक की सबसे कम वृद्धि किए जाने को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन को 18000/- रुपए से बढ़ाकर 21000/- रुपए करने और फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3 करने पर सक्रियता से विचार कर रही है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यह किस तारीख से लागू होगा; और
(ग) यदि नहीं, तो सरकारी कर्मचारियों के प्रति सरकार के उदासीन रवैये के क्या कारण हैं?
सरकार की ओर से वित्तमंत्रालय में राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने उत्तर दिया –
टिप्पणियां(क), (ख) और (ग): 18000/- रुपए प्रति माह का न्यूनतम वेतन और 2.57 का फिटमेंट गुणांक 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा संगत कारकों को ध्यान में रखते हुए की गई विशिष्ट सिफारिशों पर आधारित हैं. इसलिए, इस समय इसमें किसी परिवर्तन पर विचार नहीं किया जा रहा है.
बता दें कि नवंबर माह से लेकर अभी तक यह खबरें चली आ रही हैं कि सरकार और कर्मचारियों में न्यूनतम वेतन मान को लेकर कोई समझौता हो गया है. कहा यह भी जा रहा था कि यह दिसंबर माह से लागू हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर कहा गया कि यह जनवरी से लागू हो जाएगा. तब भी यह नहीं हुआ. खबर थी कि यह 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग से पहले 7000 रुपये न्यूनतम वेतनमान हुआ करता था. जबकि लागू होने के बाद इसे 18000 रुपये कर दिया गया. सरकारी कर्मचारियों की यूनियन इसे 26000 करने की मांग कर रही थी. जबकि एक समय आया था कि सरकार इसे 21000 करने पर तैयार हो गई थी. यह बात केवल चर्चाओं में रही. कर्मचारी इसके लिए तैयार नहीं थे.