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सोने के आयात में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी, निर्यात के सभी सेक्टर में भी तेजी, इकोनॉमिक रिकवरी के लिए अच्छा संकेत

नई दिल्ली। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष अप्रैल में सोने के आयात में पिछले वर्ष अप्रैल के मुकाबले 2,20,357.24 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहला मौका होगा जब सोने के आयात में दो लाख फीसद से अधिक का इजाफा हुआ है। हालांकि, यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से पिछले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से काफी कम कारोबार होने की वजह से आई है।

शुक्रवार को जारी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष अप्रैल में 6.23 अरब डॉलर मूल्य के सोने का आयात किया गया, जबकि पिछले वर्ष अप्रैल में सिर्फ 28 लाख डॉलर मूल्य के सोने का आयात हुआ था। जेम्स व ज्वैलरी की निर्यात मांग बढ़ने से भी सोने के आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष अप्रैल के निर्यात में पिछले वर्ष अप्रैल के मुकाबले 195.72 फीसद का इजाफा रहा। इस वर्ष अप्रैल के निर्यात में वास्तविक तेजी है, क्योंकि वर्ष 2019 के अप्रैल के मुकाबले इसमें 17.62 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने बताया कि निर्यात के सभी सेक्टर रिकवर कर रहे हैं और कुछ सेक्टर में खास तेजी है। उन्होंने कहा इसे देखते हुए ही चालू वित्त वर्ष के लिए 400 अरब डॉलर यानी लगभग 29 लाख करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि कई सारे क्षेत्र जो पिछले वर्ष में खराब प्रदर्शन कर रहे थे उनमें भी काफी तेजी से रिकवरी हुई है। इस वर्ष अप्रैल में जेम्स व ज्वैलरी के निर्यात में पिछले वर्ष अप्रैल के मुकाबले 160.24 फीसद का इजाफा रहा।

वाणिज्य सचिव ने कहा कि निर्यात के साथ आयात में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था की रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। इस वर्ष अप्रैल के आयात में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 167.05 फीसद और वर्ष 2019 के अप्रैल के मुकाबले 7.87 फीसद की बढ़ोतरी रही। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने में वस्तुओं के निर्यात के साथ सेवा क्षेत्र के निर्यात का प्रदर्शन भी बेहतर रहा।

अप्रैल में सेवा क्षेत्र के निर्यात में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 28.68 फीसद की बढ़ोतरी रही। सेवा क्षेत्र में मुख्य रूप से आईटी शामिल होता है इसलिए पिछले वर्ष अप्रैल में भी सेवा क्षेत्र के निर्यात का प्रदर्शन वस्तुओं के निर्यात की तरह धड़ाम नहीं हुआ था।

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