नोटबंदी: 2.24 लाख फर्जी कंपनियां बंद, 35 हजार कंपनियों की जानकारी सरकार को मिली
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने हजारों फर्जी कंपनियों पर नकेल कसी है। पांच सौ और हजार के नोट चलन से बाहर करने के बाद 56 बैंकों से मिली रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए केंद्र ने 2.24 लाख फर्जी कंपनियां बंद की हैं।
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इनमें से अधिकतर कंपनियां दो साल या उससे अधिक समय से एक्टिव नहीं थीं। जबकि कई कंपनियों के खातों में पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है। इस दौरान 56 बैंकों ने हजारों कंपनियों की जानकारी साझा की थी। बैंकों ने बताया था कि इन कंपनियों के हजारों खातों में नोटबंदी के बाद 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है।
बैंकों की तरफ से मिली जानकारी के आधार पर सरकार ने जांच की और इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। सरकार के मुताबिक, नोटबंदी से पहले एक कंपनी के खाते में राशि नकारात्मक थी लेकिन फैसले के बाद इस कंपनी के खाते में 2484 करोड़ रुपये जमा किए गए और बाद में निकाले गए। नोटबंदी के दौरान लेनदेन का ज्यादा इस्तेमाल चल व अचल संपत्तियों को खरीदने में किया गया।
तीन लाख निदेशक अयोग्य
सरकार ने कंपनियों के साथ ही इनके करीब तीन लाख निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। कंपनी एक्ट 2013 के तहत 3.09 लाख बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित किया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने लगातार तीन वर्षों तक फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स और वार्षिक आय की जानकारी नहीं दी। इनमें से तीन हजार निदेशक ऐसे थे, जो अलग-अलग 20 से अधिक कंपनियों में डायरेक्टर थे। यह कानून के खिलाफ है। कंपनियों के बोर्ड में डमी निदेशकों की नियुक्त रोकने के लिए भी सरकार कड़ी व्यवस्था कर रही है। नई व्यवस्था के तहत कंपनी निदेशक के लिए नए आवेदनों को संबंधित व्यक्ति के पैन या आधार नंबर से जोड़ा जाएगा, जिससे डमी निदेशकों की नियुक्ति पर लगाम लगेगी।
एसएफआईओ प्रणाली से नजर
सरकार भविष्य में इस तरह की धांधली को रोकने के लिए प्रभावी प्रणाली विकसित कर रही है। केंद्र सरकार सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) एक ‘प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली’ विकसित करने पर काम कर रही है। इसका मकसद विनियामक तंत्र को और मजबूत बनाना है। इस तरह की कंपनियों से संबंधित सूचनाओं को प्रवर्तन अधिकारियों से भी साझा किया गया है।
पंजीकरण रद्द हुई कंपनियों के संदर्भ में राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि ऐसी इकाइयों की संपत्तियों के पंजीकरण की अनुमति नहीं दें, ना ही इनसे जुड़े किसी ट्रांजेक्शन को स्वीकार करें।